नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 78 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 78 साथ ही हम आपको IPC की धारा 78 सम्पूर्ण जानकारी एवम् परिभाषा इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 78 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 78 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। यदि न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कोई कार्य, जो उस निर्णय या आदेश के प्रवृत्त रहते किया जाए, वह अपराध की श्रेणी में नही आयेगा। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 78 इसी विषय के बारे में बतलाती है।
आईपीसी की धारा 78 के अनुसार-
न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य-
कोई बात जो न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में की जाए या उसके द्वारा अधिदिष्ट हो, यदि वह उस निर्णय या आदेश के प्रवृत्त रहते की जाए अपराध नहीं है, चाहे उस न्यायालय को ऐसा निर्णय या आदेश देने रही हो, परन्तु यह तब जब कि वह कार्य करने वाला व्यक्ति सद्भावपूर्वक विश्वास करता हो कि उस न्यायालय को वैसी अधिकारिता थी।
Act done pursuant to the judgment or order of Court-
Nothing which is done in pursuance of, or which is warranted by the judgment or order of, a Court of justice, if done whilst such judgment or order remains in force, is an offence, notwithstanding the Court may have had no jurisdiction to pass such judgment or order, provided the person doing the act in good faith believes that the Court had such jurisdiction.
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 78 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो,तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।