आईपीसी की धारा 89 | संरक्षक द्वारा या उसकी सहमति से शिशु या उन्मत व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य| IPC Section- 89 in hindi| Act done in good faith for benefit of child or insane person, by or by consent of guardian.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 89 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 89 साथ ही हम आपको IPC की धारा 89 सम्पूर्ण जानकारी एवम् परिभाषा इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 89 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 89 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। यह धारा उन मामलो को परिभाषित करती है, जैसा हम सभी ने देखा कि कभी-कभी डॉक्टर्स द्वारा किसी मरीज की इलाज करते समय मरीज की मृत्यु भी हो जाती है, तो उन मामलों में क्या हम डॉक्टर का अपराधी कहेंगे नही, यह धारा उन शिशु या चित्तविकृति वाले व्यक्ति की यदि किसी डॉक्टर्स द्वारा ऑपरेशन में मृत्यु कारित हो जाती है, तो वह अपराधी नहीं होगा। यह धारा इसी तरह  से ऐसे मामलो को परिभाषित करती है, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 89 इसी विषय के बारे में बतलाती है।

आईपीसी की धारा 89 के अनुसार-

संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य-

कोई बात, जो बारह वर्ष से कम आयु के या विकृतचित व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक उसके संरक्षक के, या विधिपूर्ण भारसाधक किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा, या की अभिव्यक्त या विवक्षित सम्मति से की जाए, किसी ऐसी अपहानि के कारण, अपराध नहीं है जो उस बात से उस व्यक्ति को कारित हो, या कारित करने का कर्त्ता का आशय हो या कारित होने की सम्भाव्यता कर्त्ता को ज्ञात हो :
अपवाद
पहला- इस अपवाद का विस्तार साशय मृत्यु कारित करने या मृत्यु कारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा।
दूसरा-इस अपवाद का विस्तार मृत्यु या घोर उपहति के निवारण के या किसी घोर रोग या अंग शैथिल्य से मुक्त करने के प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए किसी ऐसी बात के करने पर न होगा जिसे करने वाला व्यक्ति जानता हो कि उससे मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है;
तीसरा- इस अपवाद का विस्तार स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने, या घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा जब तक कि वह मृत्यु या घोर उपहति के निवारण के या किसी घोर रोग या अंग शैथिल्य से मुक्त करने के प्रयोजन से न की गई हो;
चौथा- इस अपवाद का विस्तार किसी ऐसे अपराध के दुष्प्रेरण पर न होगा जिस अपराध के किए जाने पर इसका विस्तार नहीं है।

Act done in good faith for benefit of child or insane person, by or by consent of guardian-
Nothing which is done in good faith for the benefit of a person under twelve years of age, or of unsound mind, by or by consent, either express or implied, of the guardian or other person having lawful charge of that person, is an offence by reason of any harm which it may cause, or be intended by the doer to cause or be known by the doer to be likely to cause to that person :
Exception
First.- That this exception shall not extend to the intentional causing of death, or to the attempting to cause death; ;
Secondly.- That this exception shall not extend to the doing of anything which the person doing it knows to be likely to cause death, for any purpose other than the preventing of death or grievous hurt, or the curing of any grievous disease or infirmity: Thirdly- That this exception shall not extend to the voluntary causing of grievous hurt, or to the attempting to cause grievous hurt, unless it be for the purpose of preventing death or grievous hurt, or the curing of any grievous disease or infirmity;
Fourthly- That this exception shall not extend to the abetment of any offence, to the committing of which offence it would not extend.

दृष्टान्त
क सद्भावपूर्वक, अपने शिशु के फायदे के लिए अपने शिशु की सम्मति के बिना, यह सम्भाव्य जानते हुए कि शस्त्रकर्म से उस शिशु की मृत्यु कारित होगी, न कि इस आशय से कि उस शिशु को मृत्यु कारित कर दें शल्य चिकित्सक द्वारा पथरी निकलवाने के लिए अपने शिशु की शल्य क्रिया करवाता है। क का उद्देश्य शिशु को रोगमुक्त कराना था, इसलिए वह इस अपवाद के अन्तर्गत आता है।

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 89 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो,तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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