किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act Section-18) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा 18 के अनुसार, जहां बोर्ड का जांच करने पर यह समाधान हो जाता है कि बालक ने, आयु को विचार में लाए बिना कोई छोटा अपराध या कोई घोर अपराध किया है; या सोलह वर्ष से कम आयु के बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है [या सोलह वर्ष से अधिक आयु के बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है और बोर्ड ने धारा 15 के अधीन प्रारंभिक निर्धारण करने के पश्चात् मामले का निपटारा कर दिया है, जिसे JJ Act Section-18 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 18 (Juvenile Justice Act Section-18) का विवरण
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 18 JJ Act Section-18 के तहत किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) जहां बोर्ड को जांच करने पर यह समाधान हो जाता है कि बालक ने, आयु को विचार में लाए बिना कोई छोटा अपराध या कोई घोर अपराध किया है; या सोलह वर्ष से कम आयु के बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है [या सोलह वर्ष से अधिक आयु के बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है। बालक को, समुचित जांच करने के पश्चात् और ऐसे बालक, तथा उनके माता-पिता या संरक्षक को परामर्श देने के पश्चात् उपदेश या भर्त्सना के पश्चात् मा जाने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 18 (JJ Act Section-18 in Hindi)
विधि का उल्लंघन करते पाए गए बालक के बारे में आदेश–
(1) जहां बोर्ड का जांच करने पर यह समाधान हो जाता है कि बालक ने, आयु को विचार में लाए बिना कोई छोटा अपराध या कोई घोर अपराध किया है; या सोलह वर्ष से कम आयु के बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है [या सोलह वर्ष से अधिक आयु के बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है और बोर्ड ने धारा 15 के अधीन प्रारंभिक निर्धारण करने के पश्चात् मामले का निपटारा कर दिया है। तो तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी और अपराध की प्रकृति, पर्यवेक्षण या मध्यक्षेप की विशिष्ट आवश्यकता ऐसी परिस्थितियों, जो सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट में बताई गई हैं, और बालक के पूर्व आचरण के आधार पर बोर्ड यदि ऐसा करना ठीक समझता है तो वह,-
(क) बालक को, समुचित जांच करने के पश्चात् और ऐसे बालक, तथा उनके माता-पिता या संरक्षक को परामर्श देने के पश्चात् उपदेश या भर्त्सना के पश्चात् मा जाने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा:
(ख) बालक को सामूहिक परामर्श और ऐसे ही क्रियाकलापों में भाग लेने का निदेश दे सकेगा;
(ग) बालक को किसी संगठन या संस्थान अथवा बोर्ड द्वारा पहचान किए गए विनिर्दिष्ट व्यक्ति, व्यक्तियों या व्यक्ति समूह के पर्यवेक्षणाधीन सामुदायिक सेवा करने का आदेश दे सकेगा;
(घ) बालक या बालक के माता-पिता या संरक्षक को जुर्माने का संदाय करने का आदेश दे सकेगा :
परंतु यदि बालक कार्यरत है तो वह यह सुनिश्चित कर सकेगा कि तत्समय प्रवृत्त किसी श्रम विधि के उपबंधों का उल्लंघन न हुआ हो;
(ङ) बालक को सदाचरण की परिवीक्षा पर छोड़ने और माता-पिता, संरक्षक या योग्य व्यक्ति की देखरेख में रखने का निदेश, ऐसे माता-पिता, संरक्षक या योग्य व्यक्ति द्वारा बालक के सदाचरण और उसकी भलाई के लिए बोर्ड की अपेक्षानुसार प्रतिभू सहित या रहित तीन वर्ष से अधिक की कालावधि के लिए बंधपत्र निष्पादित किए जाने पर, दे सकेगा;
(च) बालक को सदाचरण की परिवीक्षा पर छोड़ने और बालक के सदाचरण और भलाई को सुनिश्चित करने के लिए किसी सुविधा उपयुक्त तंत्र की देखरेख और पर्यवेक्षण में रखने का निदेश तीन वर्ष से अनधिक की कालावधि के लिए दे सकेगा;
(छ) बालक को तीन वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के लिए, जो वह ठीक समझे, सुधारात्मक सेवाएं, जिनके अंतर्गत शिक्षा, कौशल विकास, परामर्श देने, आचरण उपांतरण चिकित्सा के लिए और विशेष गृह में ठहरने की कालावधि के दौरान मनश्चिकित्सीय समर्थन देना भी है, विशेष गृह में भेजने का निदेश दे सकेगा :
परंतु यदि बालक का आचरण और व्यवहार ऐसा हो गया है जो बालक के हित में या विशेष गृह में रहने वाले अन्य बालकों के हित में नहीं होगा तो बोर्ड, ऐसे बालक को सुरक्षित स्थान पर भेज सकेगा ।
(2) यदि उपधारा (1) के खंड (क) से खंड (छ) के अधीन कोई आदेश पारित किया जाता है तो बोर्ड
(i) विद्यालय में हाजिर होने;
(ii) किसी व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र में हाजिर होने;
(iii) किसी चिकित्सा केंद्र में हाजिर होने;
(iv) किसी विनिर्दिष्ट स्थान पर बारंबार जाने या हाजिर होने से बालक को प्रतिषिद्ध करने; या का
(v). व्यसनमुक्ति कार्यक्रम में भाग लेने, अतिरिक्त आदेश पारित कर सकेगा ।
(3) जहां बोर्ड, धारा 15 के अधीन प्रारंभिक निर्धारण करने के पश्चात् यह आदेश पारित करता है कि उक्त बालक का, वयस्क के रूप में और विचारण करने की आवश्यकता है वहां बोर्ड मामले के विचारण को ऐसे अपराधों के विचारण की अधिकारिता वाले बालक न्यायालय को अंतरित करने का आदेश दे सकेगा।
Juvenile Justice Act Section-18 (JJ Act Section-18 in English)
Orders regarding child found to be in conflict with law–
(1) Where a Board is satisfied on inquiry that a child irrespective of age has committed a petty offence, or a serious offence, or a child below the age of sixteen years has committed a heinous offence, [or a child above the age of sixteen years has committed a heinous offence and the Board has, after preliminary assessment under Section 15, disposed of the matter] then, notwithstanding anything contrary contained in any other law for the time being in force, and based on the nature of offence, specific need for supervision or intervention, circumstances as brought out in the social investigation report and past conduct of the child, the Board may, if it so thinks fit,–
(a) allow the child to go home after advice or admonition by following appropriate inquiry and counselling to such child and to his parents or the guardian;
(b) direct the child to participate in group counselling and similar activities;
(c) order the child to perform community service under the supervision of an organisation or institution, or a specified person, persons or group of persons identified by the Board;
(d) order the child or parents or the guardian of the child to pay fine:
Provided that, in case the child is working, it may be ensured that the provisions of any labour law for the time being in force are not violated;
(e) direct the child to be released on probation of good conduct and placed under the care of any parent, guardian or fit person, on such parent, guardian or fit person executing a bond, with or without surety, as the Board may require, for the good behaviour and childs well-being for any period not exceeding three years;
(f) direct the child to be released on probation of good conduct and placed under the care and supervision of any fit facility for ensuring the good behaviour and childs well-being for any period not exceeding three years;
(g) direct the child to be sent to a special home, for such period, not exceeding three years, as it thinks fit, for providing reformative services including education, skill development, counselling, behaviour modification therapy, and psychiatric support during the period of stay in the special home:
Provided that if the conduct and behaviour of the child has been such that, it would not be in the childs interest, or in the interest of other children housed in a special home, the Board may send such child to the place of safety.
(2) If an order is passed under clauses (a) to (g) of sub-section (1), the Board may, in addition pass orders to
(i) attend school; or
(ii) attend a vocational training centre; or
(iii) attend a therapeutic centre; or
(iv) prohibit the child from visiting, frequenting or appearing at a specified place; or (v) undergo a de-addiction programme.
(3) Where the Board after preliminary assessment under section 15 pass an order that there is a need for trial of the said child as an adult, then the Board may order transfer of the trial of the case to the Children’s Court having jurisdiction to try such offences.
हमारा प्रयास किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act Section) की धारा 18 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।