पॉक्सो एक्ट की धारा 28 | विशेष न्यायालयों को अभिहित किया जाना | Pocso Act Section- 28 by in hindi | Designation of Special Courts.

POCSO Section-28

नमस्कार दोस्तों, आज हम पॉक्सो एक्ट की धारा 28 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) की धारा 28? साथ ही हम आपको POCSO ACT की धारा 28 क्या परिभाषित करती है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) की धारा 28 का विवरण

पॉक्सो एक्ट की धारा 28 के अंतर्गत राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिले के लिए इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए सेशन न्यायालय को एक विशेष न्यायालय होने के लिए, अभिहित करेगी, यह पॉक्सो एक्ट की धारा 28 ऐसे मामलो की अतिशीघ्र सुनवाई हेतु विशेष न्यायालयों की स्थापना को परिभाषित करता है।

पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) की धारा 28 के अनुसार

विशेष न्यायालयों को अभिहित किया जाना—

(1) त्वरित विचारण उपलब्ध कराने के प्रयोजनों के लिए राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिले के लिए इस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए सेशन न्यायालय को एक विशेष न्यायालय होने के लिए, अभिहित करेगी:
परन्तु यदि किसी सेशन न्यायालय को, बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 (2006 का 4) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन उन्हीं प्रयोजनों के लिए अभिहित किसी विशेष न्यायालय को, बालक न्यायालय के रूप में अधिसूचित कर दिया है, तो ऐसा न्यायालय इस धारा के अधीन विशेष न्यायालय समझा जाएगा।
(2) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का विचारण करते समय कोई विशेष न्यायालय किसी ऐसे अपराध का [ उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी अपराध से भिन्न] विचारण भी करेगा जिसके साथ अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के अधीन उसी विचारण में आरोपित किया जा सकेगा।
(3) इस अधिनियम के अधीन गठित विशेष न्यायालय को, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) में किसी बात के होते हुए भी, उस अधिनियम की धारा 67ख के अधीन अपराधों का, जहां तक वे किसी कृत्य या व्यवहार या रीति में बालकों को चित्रित करने वाली लैंगिक प्रकटन सामग्री के प्रकाशन या पारेषण से संबंधित हैं, या बालकों का आन-लाईन दुरुपयोग सुकर बनाते हैं, विचारण करने की अधिकारिता होगी।

Designation of Special Courts-
(1) For the purposes of providing a speedy trial, the State Government shall in consultation with the Chief Justice of the High Court, by notification in the Official Gazette, designate for each district, a Court of Session to be a Special Court to try the offences under the Act:
Provided that if a Court of Session is notified as a Children’s Court under the Commissions for Protection of Child Rights Act, 2005 (4 of 2006) or a Special Court designated for similar purposes under any other law for the time being in force, then, such court shall be deemed to be a Special Court under this section.
(2) While trying an offence under this Act, a Special Court shall also try an offence [other than the offence referred to in sub-section (1)], with which the accused may, under the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974), be charged at the same trial.
(3) The Special Court constituted under this Act, notwithstanding anything in the Information Technology Act, 2000 (21 of 2000), shall have jurisdiction to try offences under Section 67B of that Act in so far as it relates to publication or transmission of sexually explicit material depicting children in any act, or conduct or manner or facilitates abuse of children online.

हमारा प्रयास पॉक्सो एक्ट की धारा 28 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप बेझिझक कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
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