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जनसंख्या नियंत्रण कानून-

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भारत देश आज सबसे घनी आबादी वाला देश माना जाता है क्योकि भारत मे प्रतिदिन लगभग् 60-65 हजार बच्चे पैदा हो रहे है, इसी तरह से चीन मे लगभग् 55-60 हजार प्रतिदिन बच्चे पैदा हो रहे है और जबकि अमेरिका मे 20-25 हजार बच्चे प्रतिदिन बच्चे पैदा हो रहे है । जो आने वाले समय मे भारत मे सबसे बडा अभिषाप है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त से जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जतायी तो अब भविष्य मे सरकार की ओर से जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का विचार किया जा रहा था कि जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिये दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुके बी0जे0पी0 नेता अश्वनी उपध्याय प्रेजेंटेशन देने के लिये प्रधानमंत्री कार्यालय पहुचंकर लंबा-चौडा प्रेजेंटेशन भी दे दिया । अश्वनी उपध्याय प्रेजेंटेशन मे यह कहा कि अटल बिहारी सरकार की ओर से सन् 2000 मे गठित वेंकटचलैया आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की सिफारिश की थी ।

वेंकटचलैया आयोग का सुझाव

बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय ने पीएमओ में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर प्रजेंटेशन दिया, अश्वनी उपाध्याय ने इस कानून के पीछे कई तर्क दिये, उन्होने कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी सरकार मे 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष की मेहनत के बाद संविधान मे (Article) अनुच्छेद-47A जोडने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था, जिसे आज तक लागू नही किया गया । अब तक 125 बार संविधान संसोधन हो चुका है, कई बार सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बदल चुकी है। सैकडो नये कानून बन गये, लेकिन देश के लिये सबसे जरूरी जनसंख्या नियंत्रण कानून नही बनाया गया है, जबकि हम दो-हमारे दो कानून से देश की 50%समस्याओं का समाधान हो जायेगा ।

भारत की जनसंख्या वृद्धि स्तर

भारत की जनसंख्या वृद्धि स्तर दिन प्रतिदिन बढता ही जा रहा है, क्योकि भारत मे मौजूदा समय मे 124 करोड भारतीयो के पास आधार कार्ड है, लगभग् 20 प्रतिशत नागरिको के पास (विशेष रूप से बच्चे), जिनके पास आधार कार्ड नही है और लगभग् 5 करोड बाहर आये हुये जैसे- बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये जो अवैध रूप से भारत मे रह रहे है, इससे स्पष्ट होता है कि हमारे देश की जनसंख्या 135 करोड नही, ब्लकि 150 करोड हो चुकी है और यदि संसाधनो की बात करे तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की लगभग् 2% है और पीने के पानी को देखे तो 4% है, किन्तु जनसंख्या 20% प्रतिशत है । आज को देखते हुये आने वाले कल का अनुमान अगर लगाया जाये तो, जनसंख्या वृद्धि एक दिन सबसे बडी समस्या का रूप लेगा ।

बढती हुयी जनसंख्या से आने वाले विनाश

• भारत मे अत्यधिक तेजी से बढती हुयी जनसंख्या को देखे तो भविष्य मे आने वाली परिस्थिति भी अत्यन्त दुर्लभ होगी, क्योकि सुविधा और संसाधन कभी प्रत्येक नागरिक को नही मिल पायेगे और प्रत्येक नागरिक आने वाले कल को व्यवस्थित भी नही हो पायेगा, क्योकि अगर जनसंख्या विस्फोट पर अंकुश नही लगाया जायेगा तो बढती जनसंख्या बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी जैसी तमाम समस्याए भी साथ लायेगी ।
• बढती जनसंख्या न केवल हमारा आर्थिक संतुलन बिगड़ रहा है बल्कि पारिस्थितिकीय संतुलन खतरे का निशान पार कर रहा है। यह तेजी से बढ़ती जनसंख्या का ही दुष्परिणाम है कि सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है जिससे प्राकृतिक एवं मानव जन्य आपदाओं तथा जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियां सिर उठा रही हैं।
• जनसंख्या का दबाव निर्धनता, बेरोजगारी, आवास की समस्या, कुपोषण, चिकित्सा सुविधाओं पर दबाव तथा कृषि पर भार के रूप में भी देखा जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि के पर्यावरण के विभिन्न घटकों पर गंभीर प्रभाव देखने में आये हैं जिससे कई आर्थिक, सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। आर्थिक विकास में अवरोध, पर्यावरण प्रदूषण तथा अन्य पर्यावरणीय समस्यायें, ऊर्जा संकट, औद्योगिकी-करण एवं नगरीकरण, यातायात की समस्यायें, रोजगार की समस्यायें आदि जनसंख्या के लगातार वृद्धि के ही दुष्परिणाम हैं।
• जनसंख्या दबाव के कारण कृषि के लिए भूमि दिन-प्रतिदिन कम होती जा है, क्योंकि उनके आवास, सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने से लगातार कृषि भूमि कम होती जा रही है। इसके स्वाभाविक परिणाम होंगे खाद्यान्न और पेय जल की उपलब्धता में कमी। इससे समाज के बहुत बड़े वर्ग को स्वास्थ्य और शिक्षा से वंचित रहना पड़ सकता है।
• जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण के विभिन्न घटकों पर गम्भीर प्रभाव दिख रहे है जिससे कई आर्थिक, सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। आर्थिक विकास में अवरोध, पर्यावरण प्रदूषण तथा अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ, ऊर्जा संकट, औद्योगिकीकरण एवं नगरीकरण, यातायात की समस्याएँ, खाद्यान्न की समस्यायें, मूल-भूत सुविधाओ से वंचित होना, रोज़गार की समस्याएँ आदि जनसंख्या के निरन्तर वृद्धि के ही दुष्परिणाम हैं।
जनसंख्या वृद्धि कम करने के लिये सबसे पहले समाज अथवा सरकार को इस पर गम्भीर विचार करना चाहिये, क्योकि दिन-प्रतिदिन अवश्यकतायें बढती जा रही है लेकिन सुविधायें सीमित ही है तो इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि एक दिन जनसंख्या विस्फोट आने वाले कल को विनाश की ओर अग्रसर कर रहा है, इसलिये प्रत्येक मनुष्य इस पर विचार करना चाहिये ।

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