कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-83 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 83 के अनुसार रजिस्ट्रार, किसी रजिस्ट्रीकृत भार के संबंध में उसके समाधानप्रद रूप में यह साक्ष्य दिए जाने पर कि ऐसे ऋण का, जिसके लिए भार सृष्ट किया गया था, पूर्णतः या भागतः भुगतान कर दिया गया है या उसे चुका दिया गया है या भारग्रस्त संपत्ति या उपक्रम का भाग भार से निर्मुक्त कर दिया गया है, जिसे Companies Act Section-83 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 83 (Companies Act Section-83) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 83 Companies Act Section-83 के अनुसार रजिस्ट्रार, किसी रजिस्ट्रीकृत भार के संबंध में उसके समाधानप्रद रूप में यह साक्ष्य दिए जाने पर कि ऐसे ऋण का, जिसके लिए भार सृष्ट किया गया था, पूर्णतः या भागतः भुगतान कर दिया गया है या उसे चुका दिया गया है या भारग्रस्त संपत्ति या उपक्रम का भाग भार से निर्मुक्त कर दिया गया है।
कंपनी अधिनियम की धारा 83 (Companies Act Section-83 in Hindi)
कंपनी से प्रज्ञापना के अभाव में चुकाए जाने और निर्मुक्ति विषयक प्रविष्टियां करने की रजिस्ट्रार की शक्ति–
(1) रजिस्ट्रार, किसी रजिस्ट्रीकृत भार के संबंध में उसके समाधानप्रद रूप में यह साक्ष्य दिए जाने पर कि-
(क) ऐसे ऋण का, जिसके लिए भार सृष्ट किया गया था, पूर्णतः या भागतः भुगतान कर दिया गया है या उसे चुका दिया गया है; या
(ख) भारग्रस्त संपत्ति या उपक्रम का भाग भार से निर्मुक्त कर दिया गया है या कंपनी की संपत्ति या उपक्रम का भाग नहीं रह गया है,
भारों के रजिस्टर में, यथास्थिति, पूर्णतः या भागतः चुकाए जाने का या इस तथ्य का संपत्ति या उपक्रम का भाग भार से निर्मुक्त किया जा चुका है या वह कंपनी की संपत्ति या उपक्रम का भाग नहीं रह गया है, एक ज्ञापन इस तथ्य के होते हुए भी कि कंपनी से उसे उस तथ्य की कोई प्रज्ञापना प्राप्त नहीं हुई है, प्रविष्ट कर सकेगा ।
(2) रजिस्ट्रार धारा 81 की उपधारा (1) के अधीन रखे गए भारों के रजिस्टर में प्रविष्टि करने के तीस दिन के भीतर प्रभावित पक्षकारों को सूचित करेगा।
Companies Act Section-83 (Company Act Section-83 in English)
Power of Registrar to make entries of satisfaction and release in absence of intimation from company–
(1) The Registrar may, on evidence being given to his satisfaction with respect to any registered charge,—
(a) that the debt for which the charge was given has been paid or satisfied in whole or in part; or
(b) that part of the property or undertaking charged has been released from the charge or has ceased to form part of the company‘s property or undertaking, enter in the register of charges a memorandum of satisfaction in whole or in part, or of the fact that part of the property or undertaking has been released from the charge or has ceased to form part of the company‘s property or undertaking, as the case may be, notwithstanding the fact that no intimation has been received by him from the company.
(2) The Registrar shall inform the affected parties within thirty days of making the entry in the register of charges kept under sub-section (1) of section 81.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 83 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स मे कमेंट करके पूछ सकते है।