नमस्कार दोस्तों, आज हम पॉक्सो एक्ट की धारा 31 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) की धारा 31? साथ ही हम आपको POCSO ACT की धारा 31 क्या परिभाषित करती है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) की धारा 31 का विवरण
पॉक्सो एक्ट की धारा 31 के अंतर्गत किसी विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को लागू होंगे और उक्त उपबंधों के प्रयोजनों के लिए विशेष न्यायालय को सेशन न्यायालय समझा जाएगा तथा विशेष न्यायालय के समक्ष अभियोजन का संचालन करने वाले व्यक्ति को, लोक अभियोजक समझा जाएगा, तो यह पॉक्सो एक्ट की धारा 31 विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को दंड प्रक्रिया को परिभाषित करती है।
पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) की धारा 31 के अनुसार
विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 का लागू होना-
इस अधिनियम में अन्यथा उपबंधित के सिवाय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबंध (जमानत और बंधपत्र के संबंध में उपबंधों सहित) किसी विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को लागू होंगे और उक्त उपबंधों के प्रयोजनों के लिए विशेष न्यायालय को सेशन न्यायालय समझा जाएगा तथा विशेष न्यायालय के समक्ष अभियोजन का संचालन करने वाले व्यक्ति को, लोक अभियोजक समझा जाएगा।
Application of Code of Criminal Procedure, 1973 to proceedings before a Special Court-
Save as otherwise provided in this Act, the provisions of the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974) (including the provisions as to bail and bonds) shall apply to the proceedings before a Special Court and for the purposes of the said provisions, the Special Court shall be deemed to be a Court of Sessions and the person conducting a prosecution before a Special Court, shall be deemed to be a Public Prosecutor.
हमारा प्रयास पॉक्सो एक्ट की धारा 31 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप बेझिझक कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
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