नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 210 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 210 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 210 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 210 के अन्तर्गत जब पुलिस रिपोर्ट से भिन्न आधार पर संस्थित किसी मामले में (जिसे इसमें इसके पश्चात् परिवाद वाला मामला कहा गया है) मजिस्ट्रेट द्वारा की जाने वाली जांच या विचारण के दौरान उसके समक्ष यह प्रकट किया जाता है कि उस अपराध बारे में जो उसके द्वारा की जाने वाली जांच या विचारण का विषय है पुलिस द्वारा अन्वेषण हो रहा है, तब मजिस्ट्रेट ऐसी जांच या विचारण की कार्यवाहियों को रोक देगा और अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी से उस मामले की रिपोर्ट मांगेगा। यदि पुलिस रिपोर्ट परिवाद वाले मामले में किसी अभियुक्त से सम्बन्धित नहीं है या यदि मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट पर किसी अपराध का संज्ञान नहीं करता है तो वह उस जांच या विचारण में जो उसके द्वारा रोक ली गई थी, इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार कार्यवाही करेगा।
सीआरपीसी की धारा 210 के अनुसार
परिवाद वाले मामले में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया और उसी अपराध के बारे में पुलिस अन्वेषण-
(1) जब पुलिस रिपोर्ट से भिन्न आधार पर संस्थित किसी मामले में (जिसे इसमें इसके पश्चात् परिवाद वाला मामला कहा गया है) मजिस्ट्रेट द्वारा की जाने वाली जांच या विचारण के दौरान उसके समक्ष यह प्रकट किया जाता है कि उस अपराध बारे में जो उसके द्वारा की जाने वाली जांच या विचारण का विषय है पुलिस द्वारा अन्वेषण हो रहा है, तब मजिस्ट्रेट ऐसी जांच या विचारण की कार्यवाहियों को रोक देगा और अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी से उस मामले की रिपोर्ट मांगेगा।
(2) यदि अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी द्वारा धारा 173 के अधीन रिपोर्ट की जाती है और ऐसी रिपोर्ट पर मजिस्ट्रेट द्वारा ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध किसी अपराध का संज्ञान किया जाता है जो परिवाद वाले मामले में अभियुक्त है तो, मजिस्ट्रेट परिवाद वाले मामले की और पुलिस रिपोर्ट से पैदा होने वाले मामले की जांच या विचारण साथ-साथ ऐसे करेगा मानों दोनों मामले पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित किए गए हैं।
(3) यदि पुलिस रिपोर्ट परिवाद वाले मामले में किसी अभियुक्त से सम्बन्धित नहीं है या यदि मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट पर किसी अपराध का संज्ञान नहीं करता है तो वह उस जांच या विचारण में जो उसके द्वारा रोक ली गई थी, इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार कार्यवाही करेगा।
Procedure to be followed when there is a complaint case and police investigation in respect of the same offence-
(1) When in a case instituted otherwise than on a police report (hereinafter referred to as a complaint case), it is made to appear to the Magistrate, during the course of the inquiry or trial held by him, that an investigation by the police is in progress in relation to the offence which is the subject-matter of the inquiry or trial held by him, the Magistrate shall stay the proceedings of such inquiry or trial and call for a report on the matter from the police officer conducting the investigation.
(2) If a report is made by the investigating police officer under Section 173 and on such report cognizance of any offence is taken by the Magistrate against any person who is an accused in the complaint case, the Magistrate shall inquire into or try together the complaint case and the case arising out of the police report as if both the cases were instituted on a police report.
(3) If the police report does not relate to any accused in the complaint case or if the Magistrate does not take cognizance of any offence on the police report, he shall proceed with the inquiry or trial, which was stayed by him, in accordance with the provisions of this Code.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 210 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।