नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 212 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 212 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 212 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 212 के अन्तर्गत जब अभिकथित अपराध के समय और 1 स्थान के बारे में और जिस व्यक्ति के (यदि कोई हो) विरुद्ध अथवा जिस वस्तु के (यदि कोई हो) विषय में वह अपराध किया गया, उस व्यक्ति या वस्तु के बारे में ऐसी विशिष्टियां, जैसी अभियुक्त को उस बात की, जिसका उस पर आरोप है, सूचना देने के लिए उचित रूप से पर्याप्त हैं, आरोप में अन्तर्विष्ट होंगी।
सीआरपीसी की धारा 212 के अनुसार
समय, स्थान और व्यक्ति के बारे में विशिष्टियाँ-
(1) अभिकथित अपराध के समय और 1 स्थान के बारे में और जिस व्यक्ति के (यदि कोई हो) विरुद्ध अथवा जिस वस्तु के (यदि कोई हो) विषय में वह अपराध किया गया, उस व्यक्ति या वस्तु के बारे में ऐसी विशिष्टियां, जैसी अभियुक्त को उस बात की, जिसका उस पर आरोप है, सूचना देने के लिए उचित रूप से पर्याप्त हैं, आरोप में अन्तर्विष्ट होंगी।
(2) जब अभियुक्त पर आपराधिक न्यासभंग या बेईमानी से धन या अन्य जंगम संपत्ति के दुर्विनियोग का आरोप है तब इतना ही पर्याप्त होगा कि विशिष्ट मदों का जिनके विषय में अपराध किया जाना अभिकथित है, या अपराध करने की ठीक-ठीक तारीखों का विनिर्देश किए बिना, यथास्थिति, उस सकल राशि का विनिर्देश या उस जंगम संपत्ति का वर्णन कर दिया जाता है जिसके विषय में अपराध किया जाना अभिकथित है, और उन तारीखों का, जिनके बीच में अपराध का किया जाना अभिकथित है, विनिर्देश कर दिया जाता है और ऐसे विरचित आरोप धारा 219 के अर्थ में एक ही अपराध का आरोप समझा जाएगा:
परन्तु ऐसी तारीखों में से पहली और अंतिम के बीच का समय एक वर्ष से अधिक का न होगा।
Particulars as to time, place and person–
(1) The charge shall contain such particulars as to the time and place of the alleged offence, and the person (if any) against whom, or the thing (if any) in respect of which, it was committed, as are reasonably sufficient to give the accused notice of the matter with which he is charged.
(2) When the accused is charged with criminal breach of trust or dishonest misappropriation of money or other movable property, it shall be sufficient to specify the gross sum or, as the case may be, describe the movable property in respect of which the offence is alleged to have been committed, and the dates between which the offence is alleged to have been committed, without specifying particular items or exact dates, and the charge so framed shall be deemed to be a charge of one offence within the meaning of Section 219 :
Provided that the time included between the first and last of such dates shall not exceed one year.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 212 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।