भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 162 | दस्तावेजों का पेश किया जाना | Indian Evidence Act Section- 162 in hindi| Production of documents.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 162 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 162, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 162 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 162 के अन्तर्गत किसी दस्तावेज को पेश करने के लिए समनित साक्षी, यदि वह उसके कब्जे में शक्त्यधीन हो, ऐसे किसी आक्षेप के होने पर भी, जो उसे पेश करने या उसकी ग्राह्यता के बारे में हो, उसे न्यायालय में लाएगा। ऐसे किसी आक्षेप की विधिमान्यता न्यायालय द्वारा विनिश्चित की जाएगी।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 162 के अनुसार

दस्तावेजों का पेश किया जाना—

किसी दस्तावेज को पेश करने के लिए समनित साक्षी, यदि वह उसके कब्जे में शक्त्यधीन हो, ऐसे किसी आक्षेप के होने पर भी, जो उसे पेश करने या उसकी ग्राह्यता के बारे में हो, उसे न्यायालय में लाएगा। ऐसे किसी आक्षेप की विधिमान्यता न्यायालय द्वारा विनिश्चित की जाएगी।
न्यायालय, यदि वह ठीक समझे, उस दस्तावेज का, यदि वह राज्य की बातों से सम्बन्धित न हो, निरीक्षण कर सकेगा, या अपने को उसकी ग्राह्यता अवधारित करने के योग्य बनाने के लिए अन्य साक्ष्य ले सकेगा।
दस्तावेजों का अनुवाद- यदि ऐसे प्रयोजन के लिए किसी दस्तावेज का अनुवाद कराना आवश्यक हो तो न्यायालय, यदि वह ठीक समझे, अनुवादक को निदेश दे सकेगा कि वह उसकी अन्तर्वस्तु को गुप्त रखे, सिवाय जबकि दस्तावेज को साक्ष्य में दिया जाना हो; तथा यदि अनुवादक ऐसे निदेश की अवज्ञा करे, तो यह धारित किया जाएगा कि उसने भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 166 के अधीन अपराध किया है।

Production of documents-
A witness summoned to produce a document shall, if it is in his possession or power, bring it to Court, notwithstanding any objection which there may be to its production or to its admissibility. The validity of any such objection shall be decided on by the Court.
The Court, if it sees fit, may inspect the document, unless it refers to matters of State, or take other evidence to enable it to determine on its admissibility.
Translation of documents- If for such a purpose it is necessary to cause any document to be translated, the Court may, if it thinks fit, direct the translator to keep the contents secret, unless the document is to be given in evidence; and if the interpreter disobeys such direction, he shall be held to have committed an offence under Section 166 of the Indian Penal Code (45 of 1860).

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 162 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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