आये दिन सुन रहे व देख भी रहे कि लडकियों और महिलाओ के साथ बडी बर्बता के साथ रेप और मर्डर हो रहे है। जैसा कि हम सभी लोग जानते है 16 दिसम्बर 2012 मूवी देखकर वापस बस से घर लौट रही छात्रा का रेप बडी बर्बता से किया गया, जिसका उपचार होते हुये दिनांक 29 दिसम्बर 2012 को मृत्यु हो गयी थी । जिसके पश्चात् लगभग् 7 वर्ष पश्चात् दिनांक 20 मार्च 2020 को निर्भया रेप काण्ड मे दोषियो को फांसी की सजा सुनाई गयी थी । अब आप अनुमान लगा सकते है कि हमारे देश की न्यायव्यवस्था कैसी है । निर्भया रेप काण्ड के बाद सरकार व्दारा ऐसे बडी बर्बता से होने वाले रेप के मामलो को फास्ट ट्रैक कोर्ट को भेजने तथा जल्द से जल्द सुनवाई कराकर दोषी को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिये कानून मे संसोधन किया गया था । इसके पश्चात् भी सरकार को ऐसे माललो अतिशीघ्र सुनवाई पूर्ण कराकर आरोपी को सख्त से सख्त दण्ड दिया जाना चाहिये ।
पीडित महिलाओ एवंम् लडकिया अपने भारत मे अधिकतर् ऐसे मामलो मे छिपाने का प्रयास करती है क्योकि उन्हे समाजिक एवंम् परिवारिक मान एवंम् प्रतिष्ठा को बचाने के लिये करती है और कुछ महिलाओ को पुलिस प्रशासन व्दारा डरा एवंम् धमका कर भगा दिया जाता है इसके कारण भी दोषियों को और छूट मिलती है, जिसके उपरान्त वह लोग भविष्य मे और जघन्य अपराध और ऐसे कृत्य करते रहते है । आज हम सभी देख रहे है हमारे भारत मे ऐसे मामले अत्यधिक तेजी से बढ रहे है । ऐसे लोगो को कानून व्यवस्था व्दारा अत्यधिक शक्ति लाने की अवश्यकता है और कठोर से कठोर दण्ड देने की अवश्यकता है ।
हमारे भारत के संविधान मे भी लडकियो और महिलाओ को अपनी ऐसी स्थिति के लिये भी बहुत से कानून बनाये गये है जो बहुत सी महिलाओ एवंम् लडकियो को ठीक से पता तक नही है । आइये जानते है वह ऐसे कौन से कानून बनाये गये है जो महिलाओ व लडकियो के लिये सहायक हो सकते है ।
पॉक्सो कानून के तहत 18 साल से कम उम्र
पॉक्सो कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्शुअल अपराध इस कानून के दायरे में आता है। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लड़के या लड़की दोनों को ही प्रॉटेक्ट किया गया है। इस एक्ट के तहत बच्चों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हैरसमेंट और पॉर्नोग्रफी जैसे अपराध से प्रॉटेक्ट किया गया है। 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है। पॉक्सो कानून की धारा-3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट को परिभाषित किया गया है। इसके तहत कानून कहता है कि अगर कोई शख्स किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कोई भी ऑब्जेक्ट या फिर प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चों को किसी और के साथ ऐसा करने के लिए कहा जाता है या फिर बच्चे से कहा जाता है कि वह ऐसा उसके (आरोपी) साथ करे तो यह सेक्शन-3 के तहत अपराध होगा और इसके लिए धारा-4 में सजा का प्रावधान किया गया है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर अपराधी को कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
प्राइवेट पार्ट टच करने पर
अगर कोई शख्स किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को टच करता है या फिर अपने प्राइवेट पार्ट को बच्चों से टच कराता है तो ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर धारा-8 के तहत 3 साल से 5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। अगर कोई शख्स बच्चों का इस्तेमाल पॉर्नोग्रफी के लिए करता है तो वह भी गंभीर अपराध है और ऐसे मामले में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। बच्चों के साथ ऐसा कोई काम करते हुए अगर उसकी पॉर्नोग्रफी की जाती है तो वैसे मामले में कम से कम 10 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद तक हो सकती है।
ऐंटी-रेप लॉ में क्या है
16 दिसंबर 2012 को निर्भया गैंग रेप और हत्या के बाद की वारदात के बाद रेप और छेड़छाड़ से संबंधित कानून को सख्त करने के लिए सड़क से लेकर संसद तक बहस चली और फिर वर्मा कमिशन की सिफारिश के बाद सरकार ने कानून में तमाम बदलाव किए थे। संसद में बिल पास किया गया और दो अप्रैल 2013 को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। सीनियर वकील रमेश गुप्ता के मुताबिक, मौजूदा समय में रेप व छेड़छाड़ के मामले में जो कानूनी प्रावधान हैं, उसके तहत रेप के कारण अगर कोई महिला मरणासन्न अवस्था में पहुंच जाती है या फिर मौत हो जाती है तो उस स्थिति में दोषियों को फांसी तक की सजा हो सकती है। साथ ही रेप मामले में अगर कोई शख्स दूसरी बार दोषी पाया जाता है, तो उसे फांसी की सजा तक हो सकती है।
रेप की परिभाषा
आईपीसी की धारा-375 में रेप मामले में विस्तार से परिभाषित किया गया है। इसके तहत बताया गया है कि अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरन शारीरिक सम्बन्धं बनाता है तो वह रेप होगा। साथ ही मौजूदा प्रावधान के तहत महिला के साथ किया गया यौनाचार या दुराचार दोनों ही रेप के दायरे में होगा। इसके अलावा महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में अगर पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट डालता है, तो वह भी रेप के दायरे में होगा।
रेप में उम्रकैद तक की सजा
महिला की उम्र अगर 18 साल से कम है और उसकी सहमति भी है तो भी वह रेप ही होगा। अगर कोई महिला विरोध न कर पाए इसका मतलब सहमति है, ऐसा नहीं माना जाएगा। आईपीसी की धारा-376 के तहत कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया।
रेप में कब फांसी
इसके अलावा आईपीसी की धारा-376 ए के तहत प्रावधान किया गया कि अगर रेप के कारण महिला Die situation (मरने जैसी स्थिति) में चली जाए तो दोषी को अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है। साथ ही गैंग रेप के लिए 376 डी के तहत सजा का प्रावधान किया गया, जिसके तहत कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रभर के लिए जेल (नेचरल लाइफ तक के लिए जेल) का प्रावधान किया गया। साथ ही 376 ई के तहत प्रावधान किया गया कि अगर कोई शख्स रेप के लिए पहले दोषी करार दिया गया हो और वह दोबारा अगर रेप या गैंग रेप के लिए दोषी पाया जाता है तो उसे उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा होगी।
आईपीसी की धारा 96 से लेकर 106 तक राइट टू सेल्फ डिफेंस का प्रावधान है. इसके तहत हर व्यक्ति को अपनी सुरक्षा, अपनी पत्नी की सुरक्षा, अपने बच्चों की सुरक्षा, अपने करीबियों और अपनी संपत्ति की सुरक्षा कर सकता है, कुछ परिस्थितियों में अगर आत्मरक्षा में किसी की जान चली जाती है तो राइट टू सेल्फ डिफेंस के तहत रियायत मिल सकती है ।
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा-100
आत्म रक्षा (Right to Private) के अन्तर्गत कोई व्यक्ति हो या 5-6 व्यक्ति आपके ऊपर किसी भी तरह से हमला करते है और आपको ऐसा प्रतीत होता हो कि यह हमारी जान भी ले सकते है या आपको शारीरिक नुकसान जैसे सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हैरसमेंट पहुचाना चाहते है, तो आप उनको अपनी आत्म रक्षा के लिये जान से तक की मार सकते है । इन्हे भारतीय दण्ड संहिता की धारा-100 के अतर्गत रखा गया है आईये जानते है किन किन परिस्थियों मे –
- बलात्कार करने के इरादे से हमला;
- अस्वाभाविक वासना को तृप्त करने के इरादे से चौथा-एक हमला;
- अपहरण या अपहरण के इरादे से हमला;
- तेजाब फेकने का कार्य या प्रयास करना जिससे यथोचित रूप से आशंका कारित हो कि अन्यथा ऐसे कृत्य का परिणाम घोर क्षति होगा
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