कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-139 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 139 के अनुसार प्रत्येक कंपनी, प्रथम वार्षिक साधारण अधिवेशन में, किसी ऐसी व्यष्टि या किसी फर्म को संपरीक्षक के रूप में नियुक्त करेगी, जो उस अधिवेशन के समाप्त होने से उसके छठें वार्षिक साधारण अधिवेशन के समाप्त होने तक और उसके पश्चात् प्रत्येक छठे अधिवेशन के समाप्त होने तक पद धारण करेगा, जिसे Companies Act Section-139 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 139 (Companies Act Section-139) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 139 Companies Act Section-139 के अनुसार प्रत्येक कंपनी, प्रथम वार्षिक साधारण अधिवेशन में, किसी ऐसी व्यष्टि या किसी फर्म को संपरीक्षक के रूप में नियुक्त करेगी, जो उस अधिवेशन के समाप्त होने से उसके छठें वार्षिक साधारण अधिवेशन के समाप्त होने तक और उसके पश्चात् प्रत्येक छठे अधिवेशन के समाप्त होने तक पद धारण करेगा।
कंपनी अधिनियम की धारा 139 (Companies Act Section-139 in Hindi)
संपरीक्षको की नियुक्ति-
(1) इस अध्याय के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक कंपनी, प्रथम वार्षिक साधारण अधिवेशन में, किसी ऐसी व्यष्टि या किसी फर्म को संपरीक्षक के रूप में नियुक्त करेगी, जो उस अधिवेशन के समाप्त होने से उसके छठें वार्षिक साधारण अधिवेशन के समाप्त होने तक और उसके पश्चात् प्रत्येक छठे अधिवेशन के समाप्त होने तक पद धारण करेगा और ऐसे अधिवेशन में कंपनी के सदस्यों द्वारा संपरीक्षकों के चयन की रीति और प्रक्रिया ऐसी होगी, जो विहित की जाए:
परंतु कंपनी ऐसी नियुक्ति से संबंधित मामला सदस्यों द्वारा उसका अनुसमर्थन किए जाने के लिए प्रत्येक वार्षिक अधिवेशन में रखेगी:
परंतु यह और कि ऐसी नियुक्ति किए जाने से पूर्व ऐसी नियुक्ति के लिए संपरीक्षक की लिखित सहमति और उससे यह प्रमाणपत्र अभिप्राप्त किया जाएगा कि नियुक्ति, यदि की जाती है तो, ऐसी शर्तों के अनुसार होगी, जो विहित की जाएं :
परंतु यह भी कि प्रमाणपत्र में यह भी उपदर्शित किया जाएगा कि क्या संपरीक्षक ने धारा 141 में उपबंधित मानदंड का समाधान कर दिया है :
परंतु यह भी कि कंपनी संबद्ध संपरीक्षक को उसकी नियुक्ति की सूचना देगी और अधिवेशन के, जिसमें संपरीक्षक की नियुक्ति की जाती है, पन्द्रह दिन के भीतर रजिस्ट्रार को ऐसी नियुक्ति की सूचना भी फाइल करेगी ।
स्पष्टीकरण– इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए “नियुक्ति” में पुनर्नियुक्ति भी सम्मिलित है।
(2) कोई सूचीबद्ध कंपनी या कंपनी के ऐसे वर्ग वा वर्गों की जो विहित किए जाएं. कोई कंपनी निम्नलिखित को नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति नहीं करेगी –
(क) संपरीक्षक के रूप में, किसी व्यष्टिक को पांच क्रमवर्ती वर्षों की एक पदावधि से अधिक के लिए और
(ख) संपरीक्षक के रूप में किसी संपरीक्षा फर्म को पांच क्रमवर्ती वर्षों की दो पदावधि से अधिक के लिए :
परंतु-
(i) कोई ऐसा व्यष्टिक संपरीक्षक जिसने खंड (क) के अधीन अपनी पदावधि पूरी कर ली है, उसकी पदावधि के पूरा होने से पांच वर्ष के लिए उसी कंपनी में संपरीक्षक के रूप में पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा;
(ii) कोई ऐसी संपरीक्षा फर्म जिसने खंड (ख) के अधीन अपनी पदावा पूरी कर ली है ऐसी पदावधि के पूरा होने से पांच वर्ष के लिए उसी कंपनी में संपरीक्षक के रूप में पुनर्नियुक्ति की पात्र नहीं होगी;
परंतु यह और कि नियुक्ति की तारीख को ऐसी कोई संपरीक्षा फर्म, जो किसी अन्य संपरीक्षा फर्म में समान भागीदार या भागीदारों को रखती है, जिसकी अवधि ठीक पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में कंपनी में समाप्त हो चुकी है, पांच वर्ष की अवधि के लिए उसी कंपनी में संपरीक्षक के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा :
परंतु यह भी कि इस अधिनियम के प्रारंभ होने पर या उसके पूर्व विद्यमान प्रत्येक ऐसी कंपनी, जिससे इस उपधारा के उपबंधों का अनुपालन करने की अपेक्षा की जाती है, इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से तीन वर्ष के भीतर इस उपधारा की अपेक्षाओं का अनुपालन करेगी;
परंतु यह भी कि इस उपधारा की कोई बात किसी संपरीक्षक को हटाने के कंपनी के अधिकार या कंपनी के ऐसे पद का त्याग करने के संपरीक्षक के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी।
(3) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, कंपनी के सदस्य निम्नलिखित का उपबंध करने के लिए संकल्प कर सकेगी कि-
(क) किसी लेखापरीक्षा फर्म में उसके द्वारा नियुक्त लेखापरीक्षा भागीदार और उसकी टीम को ऐसे अंतरालों पर, जैसा सदस्यों द्वारा संकल्प पारित किया जाए. चक्रानुक्रमित किया जाएगा, या
(ख) लेखापरीक्षा, एक से अधिक संपरीक्षकों द्वारा की जाएगी।
(4) केन्द्रीय सरकार नियमों द्वारा ऐसी रीति विहित कर सकेगी, जिसमें कंपनियां उपधारा (2) के अनुसरण में अपने संपरीक्षकों को चक्रानुक्रमित करेगी ।
स्पष्टीकरण- इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए “फर्म” शब्द में सीमित दायित्व भागीदारी अधिनियम, 2008 के अधीन निगमित सीमित दायित्व भागीदारी भी सम्मिलित है ।
(5) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी किसी सरकारी कंपनी या केंद्रीय सरकार द्वारा या किसी राज्य सरकार या राज्य सरकारों द्वारा प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः या भागतः केंद्रीय सरकार और भागतः एक या अधिक राज्य सरकारों के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी अन्य कंपनी की दशा में, भारत का नियंत्रक – महालेखापरीक्षक, किसी वित्तीय वर्ष के संबंध में, वित्तीय वर्ष के प्रारंभ से एक सौ अस्सी दिन की अवधि के भीतर इस अधिनियम के अधीन कंपनियों के संपरीक्षक के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए सम्यक रूप से अर्हित किसी संपरीक्षक को नियुक्त करेगा, जो वार्षिक साधारण अधिवेशन की समाप्ति तक के लेखे अंगीकृत किए जाने तक पद धारण करेगा ।
(6) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी सरकारी कंपनी से भिन्न किसी कंपनी का प्रथम संपरीक्षक, कंपनी के रजिस्ट्रीकरण की तारीख से तीस दिन के भीतर निदेशक बोर्ड द्वारा नियुक्त किया जाएगा और किसी संपरीक्षक को नियुक्त करने में बोर्ड के असफल रहने की दशा में वह कंपनी के सदस्यों को सूचित करेगा, जो किसी असामान्य असाधारण अधिवेशन में नब्बे दिन के भीतर ऐसे संपरीक्षक की नियुक्ति करेंगे । उक्त संपरीक्षक प्रथम वार्षिक साधारण अधिवेशन के समाप्त होने तक पद धारण करेगा ।
(7) उपधारा (1) या उपधारा (5) में किसी बात के होते हुए भी, किसी सरकारी कंपनी या केन्द्रीय सरकार द्वारा या किसी राज्य सरकार या सरकारों द्वारा या भागतः केन्द्रीय सरकार द्वारा अथवा भागतः एक या अधिक राज्य सरकारों के प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी अन्य कंपनी की दशा . प्रथम संपरीक्षक की नियुक्ति भारत के नियंत्रक – महालेखापरीक्षक द्वारा कंपनी के रजिस्ट्रीकरण की तारीख से साठ दिन के भीतर की जाएगी और यदि भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक उक्त अवधि के भीतर ऐसे संपरीक्षक की नियुक्ति नहीं करता है तो कंपनी का निदेशक बोर्ड अगले तीस दिन के भीतर ऐसे संपरीक्षक की नियुक्ति करेगा। अगले तीस दिन के भीतर ऐसे संपरीक्षक की नियुक्ति करने के बोर्ड के असफल रहने की दशा में, वह, कंपनी के सदस्यों को सूचित करेगा जो असामान्य असाधारण अधिवेशन में साठ दिन के भीतर ऐसे संपरीक्षक को नियुक्त करेंगे, जो पहले वार्षिक साधारण अधिवेशन के समाप्त होने तक पद धारण करेगा ।
(8) किसी संपरीक्षक के पद पर कोई आकस्मिक रिक्ति –
(i) ऐसी कंपनी से भिन्न किसी कंपनी की दशा में, जिसके लेखे भारत के नियंत्रक – महालेखापरीक्षक द्वारा नियुक्त किसी संपरीक्षक द्वारा संपरीक्षा किए जाने के अधीन हैं, निदेशक बोर्ड द्वारा तीस दिन के भीतर भरी जाएगी, किंतु यदि ऐसी आकस्मिक रिक्ति, किसी संपरीक्षक के त्यागपत्र के परिणामस्वरूप हुई है तो ऐसी नियुक्ति को, बोर्ड की सिफारिश के तीन मास के भीतर बुलाए गए साधारण अधिवेशन में कंपनी द्वारा अनुमोदित भी किया जाएगा और वह आगामी वार्षिक साधारण अधिवेशन की समाप्ति तक पद धारण करेगा;
(ii) ऐसी कंपनी की दशा में, जिसके लेखे भारत के नियंत्रक – महालेखापरीक्षक द्वारा नियुक्त किसी संपरीक्षक द्वारा संपरीक्षा किए जाने के अधीन हैं, तीस दिन के भीतर भारत के नियंत्रक – महालेखापरीक्षक द्वारा भरी जाएगी:
परन्तु भारत का नियंत्रक – महालेखापरीक्षक उक्त अवधि के भीतर रिक्ति नहीं भरता है तो निदेशक बोर्ड अगले तीस दिन के भीतर रिक्ति को भरेगा।
(9) उपधारा (1) और उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के अधीन रहते हुए सेवानिवृत्त होने वाला कोई संपरीक्षक किसी वार्षिक साधारण अधिवेशन में पुनर्नियुक्त किया जा सकेगा, यदि –
(क) वह पुनर्नियुक्ति के लिए निरर्हित नहीं है:
(ख) उसने पुनर्नियुक्त किए जाने के लिए अपनी असहमति की लिखित में सूचना, कंपनी को नहीं दे दी है और
ग) किसी अन्य संपरीक्षक की नियुक्ति करने वाला या स्पष्ट रूप से यह उपबंध करने वाला कोई विशेष संकल्प, कि वह पुनर्नियुक्त नहीं किया जाएगा, उस अधिवेशन में पारित नहीं किया गया है ।
(10) जहां किसी वार्षिक साधारण अधिवेशन में किसी संपरीक्षक की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति नहीं की जाती है, वहां विद्यमान संपरीक्षक, कंपनी के संपरीक्षक के रूप में बना रहेगा।
(11) जहां कंपनी द्वारा, धारा 177 के अधीन किसी संपरीक्षा समिति का गठन अपेक्षित है, वहां ऐसी सभी नियुक्तियां, जिनके अंतर्गत इस धारा के अधीन किसी संपरीक्षक की आकस्मिक रिक्ति का भरा जाना भी है उस समिति की सिफारिशों पर विचार करने के पश्चात् की जाएंगी।
Companies Act Section-139 (Company Act Section-139 in English)
Appointment of auditors-
(1) Subject to the provisions of this Chapter, every company shall, at the first annual general meeting, appoint an individual or a firm as an auditor who shall hold office from the conclusion of that meeting till the conclusion of its sixth annual general meeting and thereafter till the conclusion of every sixth meeting and the manner and procedure of selection of auditors by the members of the company at such meeting shall be such as may be prescribed:
Provided that the company shall place the matter relating to such appointment for ratification by members at every annual general meeting:
Provided further that before such appointment is made, the written consent of the auditor to such appointment, and a certificate from him or it that the appointment, if made, shall be in accordance with the conditions as may be prescribed, shall be obtained from the auditor:
Provided also that the certificate shall also indicate whether the auditor satisfies the criteria provided in section 141:
Provided also that the company shall inform the auditor concerned of his or its appointment, and also file a notice of such appointment with the Registrar within fifteen days of the meeting in which the auditor is appointed.
Explanation- For the purposes of this Chapter, ―appointment‖ includes re-appointment.
(2) No listed company or a company belonging to such class or classes of companies as may be prescribed, shall appoint or re-appoint—
(a) an individual as auditor for more than one term of five consecutive years; and
(b) an audit firm as auditor for more than two terms of five consecutive years: Provided that—
(I) an individual auditor who has completed his term under clause (a) shall not be eligible for re-appointment as auditor in the same company for five years from the completion of his term;
(ii) an audit firm which has completed its term under clause (b), shall not be eligible for re-appointment as auditor in the same company for five years from the completion of such term:
Provided further that as on the date of appointment no audit firm having a common partner or partners to the other audit firm, whose tenure has expired in a company immediately preceding the financial year, shall be appointed as auditor of the same company for a period of five years:
Provided also that every company, existing on or before the commencement of this Act which is required to comply with provisions of this sub-section, shall comply with the requirements of this sub- section within three years from the date of commencement of this Act:
Provided also that, nothing contained in this sub-section shall prejudice the right of the company to remove an auditor or the right of the auditor to resign from such office of the company.
(3) Subject to the provisions of this Act, members of a company may resolve to provide that—
(a) in the audit firm appointed by it, the auditing partner and his team shall be rotated at such intervals as may be resolved by members; or
(b) the audit shall be conducted by more than one auditor.
(4) The Central Government may, by rules, prescribe the manner in which the companies shall rotate their auditors in pursuance of sub-section (2).
Explanation- For the purposes of this Chapter, the word ―firm‖ shall include a limited liability partnership incorporated under the Limited Liability Partnership Act, 2008 (6 of 2009).
(5) Notwithstanding anything contained in sub-section (1), in the case of a Government company or any other company owned or controlled, directly or indirectly, by the Central Government, or by any State Government or Governments, or partly by the Central Government and partly by one or more State Governments, the Comptroller and Auditor-General of India shall, in respect of a financial year, appoint an auditor duly qualified to be appointed as an auditor of companies under this Act, within a period of one hundred and eighty days from the commencement of the financial year, who shall hold office till the conclusion of the annual general meeting.
(6) Notwithstanding anything contained in sub-section (1), the first auditor of a company, other than a Government company, shall be appointed by the Board of Directors within thirty days from the date of registration of the company and in the case of failure of the Board to appoint such auditor, it shall inform the members of the company, who shall within ninety days at an extraordinary general meeting appoint such auditor and such auditor shall hold office till the conclusion of the first annual general meeting.
(7) Notwithstanding anything contained in sub-section (1) or sub-section (5), in the case of a Government company or any other company owned or controlled, directly or indirectly, by the Central Government, or by any State Government, or Governments, or partly by the Central Government and partly by one or more State Governments, the first auditor shall be appointed by the Comptroller and Auditor-General of India within sixty days from the date of registration of the company and in case the Comptroller and Auditor-General of India does not appoint such auditor within the said period, the Board of Directors of the company shall appoint such auditor within the next thirty days; and in the case of failure of the Board to appoint such auditor within the next thirty days, it shall inform the members of the company who shall appoint such auditor within the sixty days at an extraordinary general meeting, who shall hold office till the conclusion of the first annual general meeting.
(8) Any casual vacancy in the office of an auditor shall—
(i) in the case of a company other than a company whose accounts are subject to audit by an auditor appointed by the Comptroller and Auditor-General of India, be filled by the Board of Directors within thirty days, but if such casual vacancy is as a result of the resignation of an auditor, such appointment shall also be approved by the company at a general meeting convened within three months of the recommendation of the Board and he shall hold the office till the conclusion of the next annual general meeting;
(ii) in the case of a company whose accounts are subject to audit by an auditor appointed by the Comptroller and Auditor-General of India, be filled by the Comptroller and Auditor-General of India within thirty days:
Provided that in case the Comptroller and Auditor-General of India does not fill the vacancy within the said period, the Board of Directors shall fill the vacancy within next thirty days.
(9) Subject to the provisions of sub-section (1) and the rules made thereunder, a retiring auditor may be re-appointed at an annual general meeting, if—
(a) he is not disqualified for re-appointment;
(b) he has not given the company a notice in writing of his unwillingness to be re-appointed; and
(c) a special resolution has not been passed at that meeting appointing some other auditor or providing expressly that he shall not be re-appointed.
(10) Where at any annual general meeting, no auditor is appointed or re-appointed, the existing auditor shall continue to be the auditor of the company.
(11) Where a company is required to constitute an Audit Committee under section 177, all appointments, including the filling of a casual vacancy of an auditor under this section shall be made after taking into account the recommendations of such committee.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 139 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स मे कमेंट करके पूछ सकते है।