कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-56 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 56 के अनुसार कोई कंपनी उस दशा में, जहां कंपनी की कोई शेयर पूंजी नहीं है, ऐसे व्यक्तियों के बीच किसी अंतरण से भिन्न, जिन दोनों के नाम निक्षेपागार के अभिलेख में फायदाग्राही हित के धारक के रूप में दर्ज हैं, कंपनी की प्रतिभूतियों या कंपनी के किसी सदस्य के हित के अंतरण को तब तक रजिस्टर नहीं करेगी, जब तक अंतरण की समुचित लिखत को ऐसे प्ररूप में, जो विहित किया जाए, सम्यक् रूप से स्टांपित, दिनांकित और अंतरणकर्ता या अंतरिती द्वारा या उसकी ओर से निष्पादित न किया गया हो तथा अंतरिती का नाम, पता और उपजीविका, यदि कोई हो, विनिर्दिष्ट करने वाली अंतरण की समुचित लिखत अंतरक या अंतरिती द्वारा निष्पादन की तारीख से साठ दिन के भीतर जो विहित की जाये, जिसे Companies Act Section-56 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 56 (Companies Act Section-56) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 56 Companies Act Section-56 के अनुसार कोई कंपनी उस दशा में, जहां कंपनी की कोई शेयर पूंजी नहीं है, ऐसे व्यक्तियों के बीच किसी अंतरण से भिन्न, जिन दोनों के नाम निक्षेपागार के अभिलेख में फायदाग्राही हित के धारक के रूप में दर्ज हैं, कंपनी की प्रतिभूतियों या कंपनी के किसी सदस्य के हित के अंतरण को तब तक रजिस्टर नहीं करेगी, जब तक अंतरण की समुचित लिखत को ऐसे प्ररूप में, जो विहित किया जाए, सम्यक् रूप से स्टांपित, दिनांकित और अंतरणकर्ता या अंतरिती द्वारा या उसकी ओर से निष्पादित न किया गया हो तथा अंतरिती का नाम, पता और उपजीविका, यदि कोई हो, विनिर्दिष्ट करने वाली अंतरण की समुचित लिखत अंतरक या अंतरिती द्वारा निष्पादन की तारीख से साठ दिन के भीतर जो विहित की जाये।
कंपनी अधिनियम की धारा 56 (Companies Act Section-56 in Hindi)
प्रतिभूतियों का स्थानांतरण और पारेषण–
(1) कोई कंपनी उस दशा में, जहां कंपनी की कोई शेयर पूंजी नहीं है, ऐसे व्यक्तियों के बीच किसी अंतरण से भिन्न, जिन दोनों के नाम निक्षेपागार के अभिलेख में फायदाग्राही हित के धारक के रूप में दर्ज हैं, कंपनी की प्रतिभूतियों या कंपनी के किसी सदस्य के हित के अंतरण को तब तक रजिस्टर नहीं करेगी, जब तक अंतरण की समुचित लिखत को ऐसे प्ररूप में, जो विहित किया जाए, सम्यक् रूप से स्टांपित, दिनांकित और अंतरणकर्ता या अंतरिती द्वारा या उसकी ओर से निष्पादित न किया गया हो तथा अंतरिती का नाम, पता और उपजीविका, यदि कोई हो, विनिर्दिष्ट करने वाली अंतरण की समुचित लिखत अंतरक या अंतरिती द्वारा निष्पादन की तारीख से साठ दिन के भीतर जो विहित की जाए, प्रतिभूतियों के संबंध में प्रमाणपत्र के साथ या यदि ऐसा कोई प्रमाणपत्र विद्यमान नहीं है तो प्रतिभूतियों के आबंटन पत्र के साथ कंपनी को परिदत्त नहीं किया गया हो :
परंतु जहां अंतरण की लिखत खो गई है या अंतरण की लिखत को विहित अवधि के भीतर परिदत्त नहीं किया गया है, वहां कंपनी उस अंतरण को, क्षतिपूर्ति विषयक ऐसे निबंधनों पर जो बोर्ड ठीक समझे, रजिस्ट्रीकृत कर सकेगी।
(2) उपधारा (1) की कोई बात किसी व्यक्ति से, जिसको ऐसे अधिकार पारेषित किए गए हैं, विधि के प्रवर्तन द्वारा प्रतिभूतियों के किसी अधिकार के पारेषण की किसी सूचना के प्राप्त होने पर कंपनी की रजिस्टर करने की शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी ।
(3) जहां कोई आवेदन अकेले अंतरक द्वारा किया गया है और भागतः संदत्त शेयरों से संबंधित है, वहां अंतरण को तब तक रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा, जब तक कंपनी आवेदन की सूचना, ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, अंतरिती को नहीं दे देती है और अंतरिती सूचना की प्राप्ति के दो सप्ताह के भीतर अंतरण के संबंध में कोई आक्षेप नहीं करता है।
(4) प्रत्येक कंपनी, जब तक कि विधि के किसी उपबंध या न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकारी के आदेश द्वारा प्रतिषिद्ध न हो,
(क) ज्ञापन के अभिदाताओं की दशा में, निगमन से दो मास की अवधि के भीतर;
(ख) अपने किन्हीं शेयरों के किसी आबंटन की दशा में, आबंटन की तारीख से दो मास की अवधि के भीतर;
(ग) प्रतिभूतियों के अंतरण या पारेषण की दशा में, कंपनी द्वारा, यथास्थिति, उपधारा (1) के अधीन अंतरण की लिखत या उपधारा (2) के अधीन पारेषण की सूचना की प्राप्ति की तारीख से एक मास की अवधि के भीतर
(घ) डिबेंचर के किसी आबंटन की दशा में, आबंटन की तारीख से छह मास की अवधि के भीतर . आबंटित, अंतरित या पारेषित सभी प्रतिभूतियों के प्रमाणपत्र परिदत्त करेगी :
. परंतु जहां प्रतिभूतियां किसी निक्षेपागार से संबद्ध हैं, वहां कंपनी ऐसी प्रतिभूतियों के आबंटन पर तुरंत निक्षेपागार को प्रतिभूतियों के आबंटन के ब्यौरे सूचित करेगी।
(5) किसी कंपनी में किसी मृतक व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधि द्वारा किया गया किसी प्रतिभूति या अन्य हित का अंतरण, विधिक प्रतिनिधि के स्वयं उसका धारक न होने के बावजूद भी उसी प्रकार विधिमान्य होगा मानो वह अंतरण की लिखत के निष्पादन के समय उसका धारक रहा हो।
(6) जहां उपधारा (1) से उपधारा (5) के उपबंधों का अनुपालन करने में कोई व्यतिक्रम किया जाता है, वहां कंपनी ऐसे जुर्माने से, जो पच्चीस हजार रुपए से अन्यून का नहीं होगा, किंतु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगी और कंपनी का ऐसा प्रत्येक अधिकारी, जो व्यतिक्रमी है, जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से अन्यून का नहीं होगा, किंतु जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
(7) निक्षेपागार अधिनियम, 1996 के अधीन किसी दायित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जहां किसी निक्षेपागार या भागीदार ने किसी व्यक्ति को कपटवंचन करने के आशय से शेयरों का अंतरण किया है, वहां वह धारा 447 के अधीन दायी होगा।
Companies Act Section-56 (Company Act Section-56 in English)
Transfer and transmission of securities–
(1) A company shall not register a transfer of securities of the company, or the interest of a member in the company in the case of a company having no share capital, other than the transfer between persons both of whose names are entered as holders of beneficial interest in the records of a depository, unless a proper instrument of transfer, in such form as may be prescribed, duly stamped, dated and executed by or on behalf of the transferor and the transferee and specifying the name, address, and occupation, if any, of the transferee has been delivered to the company by the transferor or the transferee within a period of sixty days from the date of execution, along with the certificate relating to the securities, or if no such certificate is in existence, along with the letter of allotment of securities:
Provided that where the instrument of transfer has been lost or the instrument of transfer has not been delivered within the prescribed period, the company may register the transfer on such terms as to indemnity as the Board may think fit.
(2) Nothing in sub-section (1) shall prejudice the power of the company to register, on receipt of an intimation of transmission of any right to securities by operation of law from any person to whom such right has been transmitted.
(3) Where an application is made by the transferor alone and relates to partly paid shares, the transfer shall not be registered, unless the company gives the notice of the application, in such manner as may be prescribed, to the transferee and the transferee gives no objection to the transfer within two weeks from the receipt of the notice.
(4) Every company shall, unless prohibited by any provision of law or any order of Court, Tribunal or other authority, deliver the certificates of all securities allotted, transferred or transmitted—
(a) within a period of two months from the date of incorporation, in the case of subscribers to the memorandum;
(b) within a period of two months from the date of allotment, in the case of any allotment of any of its shares;
(c) within a period of one month from the date of receipt by the company of the instrument of transfer under sub-section (1) or, as the case may be, of the intimation of transmission under sub-section (2), in the case of a transfer or transmission of securities;
(d) within a period of six months from the date of allotment in the case of any allotment of debenture:
Provided that where the securities are dealt with in a depository, the company shall intimate the details of allotment of securities to the depository immediately on allotment of such securities.
(5) The transfer of any security or other interest of a deceased person in a company made by his legal representative shall, even if the legal representative is not a holder thereof, be valid as if he had been the holder at the time of the execution of the instrument of transfer.
(6) Where any default is made in complying with the provisions of sub-sections (1) to (5), the company shall be punishable with a fine which shall not be less than twenty-five thousand rupees but which may extend to five lakh rupees and every officer of the company who is in default shall be punishable with fine which shall not be less than ten thousand rupees but which may extend to one lakh rupees.
(7) Without prejudice to any liability under the Depositories Act, 1996 (22 of 1996), where any depository or depository participant, with an intention to defraud a person, has transferred shares, it shall be liable under section 447.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 56 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।