नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 209 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 209 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 209 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 209 के अन्तर्गत जब पुलिस रिपोर्ट पर या अन्यथा संस्थित किसी मामले में अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होता है या लाया जाता है और मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत होता है कि अपराध अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तो वह धारा 207 या धारा 208 के उपबन्धों का अनुपालन करने के पश्चात्, मामला सेशन न्यायालय को सुपुर्द करेगा, और जमानत से सम्बन्धित इस संहिता के उपबन्धों के अधीन रहते हुए अभियुक्त व्यक्ति को अभिरक्षा में तब तक के लिए प्रतिप्रेषित करेगा।
सीआरपीसी की धारा 209 के अनुसार
जब अपराध अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तब मामला उसे सुपुर्द करना-
जब पुलिस रिपोर्ट पर या अन्यथा संस्थित किसी मामले में अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होता है या लाया जाता है और मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत होता है कि अपराध अनन्यतः सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तो वह-
(क) यथास्थिति, धारा 207 या धारा 208 के उपबन्धों का अनुपालन करने के पश्चात्, मामला सेशन न्यायालय को सुपुर्द करेगा, और जमानत से सम्बन्धित इस संहिता के उपबन्धों के अधीन रहते हुए अभियुक्त व्यक्ति को अभिरक्षा में तब तक के लिए प्रतिप्रेषित करेगा जब तक ऐसी सुपुर्दगी नहीं कर दी जाती है;
(ख) जमानत से सम्बन्धित इस संहिता के उपबन्धों के अधीन रहते हुए विचारण के दौरान और समाप्त होने तक अभियुक्त की अभिरक्षा में प्रतिप्रेषित करेगा;
(ग) मामले का अभिलेख तथा दस्तावेजें और वस्तुएं, यदि कोई हों, जिन्हें साक्ष्य में पेश किया जाना है, उस न्यायालय को भेजेगा ;
(घ) मामले के सेशन न्यायालय को सुपुर्द किए जाने की लोक अभियोजक को सूचना देगा।
Commitment of case to Court of Session when offence is triable. exclusively by it-
When in a case instituted on a police report or otherwise, the accused appears or is brought before the Magistrate and it appears to the Magistrate that the offence is triable exclusively by the Court of Session, he shall-
(a) commit, after complying with the provisions of Section 207 or Section 208, as the case may be, the case to the Court of Session, and subject to the provisions of this Code relating to bail, remand the accused to custody until such commitment has been made;
(b) subject to the provisions of this Code relating to bail, remand the accused to custody during, and until the conclusion of, the trial;
(c) send to that Court the record of the case and the documents and articles, if any, which are to be produced in evidence; (d) notify the Public Prosecutor of the commitment of the case to the Court of Session.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 209 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।