नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 473 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 473 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 473 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 473 के अन्तर्गत इस अध्याय के पूर्ववर्ती उपबन्धों में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कोई भी न्यायालय किसी अपराध का संज्ञान परिसीमा-काल के अवसान के पश्चात् कर सकता है यदि मामले के तथ्यों या परिस्थितियों से उसका समाधान हो जाता है कि विलम्ब का उचित रूप से स्पष्टीकरण कर दिया गया है या न्याय के हित में ऐसा करना आवश्यक है।
सीआरपीसी की धारा 473 के अनुसार
कुछ दशाओं में परिसीमा-काल का विस्तारण-
इस अध्याय के पूर्ववर्ती उपबन्धों में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कोई भी न्यायालय किसी अपराध का संज्ञान परिसीमा-काल के अवसान के पश्चात् कर सकता है यदि मामले के तथ्यों या परिस्थितियों से उसका समाधान हो जाता है कि विलम्ब का उचित रूप से स्पष्टीकरण कर दिया गया है या न्याय के हित में ऐसा करना आवश्यक है।
Extension of period of limitation in certain cases-
Notwithstanding anything contained in the foregoing provisions of this Chapter, any Court may take cognizance of an offence after the expiry of the period of limitation, if it is satisfied on the facts and in the circumstance of the case that the delay has been properly explained or that it is necessary so to do in the interests of justice.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 473 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।