नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 129 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 129, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 129 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 129 के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति किसी गोपनीय संसूचना को, जो उसके और उसके विधि-वृत्तिक सलाहकार के बीच हुई है, न्यायालय को प्रकट करने के लिए विवश नहीं किया जाएगा, जब तक कि वह अपने को साक्षी के तौर पर पेश न कर दे; ऐसे पेश करने की दशा में किन्हीं न्यायालय को आवश्यक प्रतीत हो, प्रकट करने के लिए विवश किया जा सकेगा, किन्तु किन्हीं भी अन्य भी ऐसी संसूचनाओं को, जिन्हें अउस किसी साक्ष्य को स्पष्ट करने के लिये जानना, जो उसने दिया है, संसूचनाओं को नहीं।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 129 के अनुसार
विधि सलाहकारों से गोपनीय संसूचनाएँ—
कोई भी व्यक्ति किसी गोपनीय संसूचना को, जो उसके और उसके विधि-वृत्तिक सलाहकार के बीच हुई है, न्यायालय को प्रकट करने के लिए विवश नहीं किया जाएगा, जब तक कि वह अपने को साक्षी के तौर पर पेश न कर दे; ऐसे पेश करने की दशा में किन्हीं न्यायालय को आवश्यक प्रतीत हो, प्रकट करने के लिए विवश किया जा सकेगा, किन्तु किन्हीं भी अन्य भी ऐसी संसूचनाओं को, जिन्हें अउस किसी साक्ष्य को स्पष्ट करने के लिये जानना, जो उसने दिया है, संसूचनाओं को नहीं।
Confidential communications with legal advisers-
No one shall be compelled to disclose to the Court any confidential communication which has taken place between him and his legal professional adviser, unless he offers himself as a witness, in which case he may be compelled to disclose any such communications as may appear to the Court necessary to be known in order to explain any evidence which he has given, but no others.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 129 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।