नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 138 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 138, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 138 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 138 के अन्तर्गत साक्षियों से प्रथमतः मुख्य परीक्षा होगी, तत्पश्चात् (यदि प्रतिपक्षी ऐसा चाहे तो) प्रतिपरीक्षा होगी, तत्पश्चात् (यदि उसे बुलाने वाला पक्षकार ऐसा चाहे तो) पुन:परीक्षा होगी, परीक्षा और प्रतिपरीक्षा को सुसंगत तथ्यों से सम्बन्धित होना होगा, किन्तु प्रतिपरीक्षा का उन तथ्यों तक सीमित रहना आवश्यक नहीं है, जिनकी साक्षी ने अपनी मुख्य परीक्षा में परिसाक्ष्य दिया है। पुन: परीक्षा उन बातों के स्पष्टीकरण के प्रति उद्दिष्ट होगी जो प्रतिपरीक्षा में निर्दिष्ट हुए हों, तथा यदि पुन: परीक्षा में न्यायालय की अनुज्ञा से कोई नई बात प्रविष्ट की गई हो, तो प्रतिपक्षी उस बात के बारे में अतिरिक्त प्रतिपरीक्षा कर सकेगा।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 138 के अनुसार
परीक्षाओं का क्रम-
साक्षियों से प्रथमतः मुख्य परीक्षा होगी, तत्पश्चात् (यदि प्रतिपक्षी ऐसा चाहे तो) प्रतिपरीक्षा होगी, तत्पश्चात् (यदि उसे बुलाने वाला पक्षकार ऐसा चाहे तो) पुन:परीक्षा होगी।
परीक्षा और प्रतिपरीक्षा को सुसंगत तथ्यों से सम्बन्धित होना होगा, किन्तु प्रतिपरीक्षा का उन तथ्यों तक सीमित रहना आवश्यक नहीं है, जिनकी साक्षी ने अपनी मुख्य परीक्षा में परिसाक्ष्य दिया है।
पुनः परीक्षा की दिशा- पुन: परीक्षा उन बातों के स्पष्टीकरण के प्रति उद्दिष्ट होगी जो प्रतिपरीक्षा में निर्दिष्ट हुए हों, तथा यदि पुन: परीक्षा में न्यायालय की अनुज्ञा से कोई नई बात प्रविष्ट की गई हो, तो प्रतिपक्षी उस बात के बारे में अतिरिक्त प्रतिपरीक्षा कर सकेगा।
Order of examinations-
Witnesses shall be first examined-in-chief, then (if the adverse party so desires) cross-examined, then (if the party calling him so desires) re-examined.
The examination and cross-examination must relate to relevant facts but the cross examination need not be confined to the facts to which the witness testified on his examination-in-chief.
Direction of re-examination- The re-examination shall be directed to the explanation of matters referred to in cross-examination; and, if new matter is, by permission of the Court, introduced in re-examination, the adverse party may further cross-examine upon that matter.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 138 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।