नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 23 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 23, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 23 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 23 के अन्तर्गत सिविल मामलों में कोई भी स्वीकृति सुसंगत नहीं है, यदि वह या तो इस अभिव्यक्त शर्त पर की गई हो कि उसका साक्ष्य नहीं दिया जायेगा या ऐसी परिस्थितियों के अधीन दी गई हो जिससे न्यायालय यह अनुमान कर सके कि पक्षकार इस बात पर परस्पर सहमत हो गये थे कि उसका साक्ष्य नहीं दिया जाना चाहिए।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 23 के अनुसार
सिविल मामलों में स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं-
सिविल मामलों में कोई भी स्वीकृति सुसंगत नहीं है, यदि वह या तो इस अभिव्यक्त शर्त पर की गई हो कि उसका साक्ष्य नहीं दिया जायेगा या ऐसी परिस्थितियों के अधीन दी गई हो जिससे न्यायालय यह अनुमान कर सके कि पक्षकार इस बात पर परस्पर सहमत हो गये थे कि उसका साक्ष्य नहीं दिया जाना चाहिए।
स्पष्टीकरण- इस धारा की कोई भी बात किसी बैरिस्टर, प्लीडर, अटर्नी या वकील को किसी ऐसी बात का साक्ष्य देने से छूट देने वाली नहीं मानी जायेगी जिसका साक्ष्य देने के लिए धारा 126 के अधीन उसे विवश किया जा सकता है।Admissions in civil cases, when relevant-
In civil cases no admission is relevant, if it is made either upon an express condition that evidence of it is not to be given, or under circumstances from which the Court can infer that the parties agreed together that evidence of it should not be given.
Explanation-Nothing in this section shall be taken to exempt any barrister, pleader, attorney or vakil from giving evidence of any matter of which he may be compelled to give evidence under Section 126.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 23 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।