नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 38 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 38, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 38 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 38 के अन्तर्गत जब न्यायालय किसी देश की विधि के बारे में राय बनानी होती है, तब ऐसी विधि का कोई भी कथन, जो ऐसी किसी पुस्तक में अन्तर्विष्ट है, जो ऐसे देश की सरकार के प्राधिकार के अधीन मुद्रित या प्रकाशित और ऐसी किसी विधि को अन्तर्विष्ट करने वाली तात्पर्यित है और ऐसे देश के न्यायालयों के किसी विनिर्णय की कोई रिपोर्ट, जो ऐसी व्यवस्थाओं की रिपोर्ट तात्पर्यित होने वाली किसी पुस्तक में अन्तर्विष्ट है, सुसंगत है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 38 के अनुसार
विधि की पुस्तकों में अन्तर्विष्ट किसी विधि के कथनों की सुसंगति–
जबकि न्यायालय को किसी देश की विधि के बारे में राय बनानी है, तब ऐसी विधि का कोई भी कथन, जो ऐसी किसी पुस्तक में अन्तर्विष्ट है, जो ऐसे देश की सरकार के प्राधिकार के अधीन मुद्रित या प्रकाशित और ऐसी किसी विधि को अन्तर्विष्ट करने वाली तात्पर्यित है और ऐसे देश के न्यायालयों के किसी विनिर्णय की कोई रिपोर्ट, जो ऐसी व्यवस्थाओं की रिपोर्ट तात्पर्यित होने वाली किसी पुस्तक में अन्तर्विष्ट है, सुसंगत है।
Relevancy of statements as to any law contained in law-books-
When the Court has to form an opinion as to a law of any country, any statement of such law contained in a book purporting to be printed or published under the authority of the Government of such country and to contain any such law, and any report of a ruling of the Courts of such country contained in a book purporting to be a report of such rulings, is relevant.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 38 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
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