नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 58 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 58, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 58 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 58 के अन्तर्गत किसी ऐसे तथ्य को किसी कार्यवाही में साबित करना आवश्यक नहीं है, जिसे उस कार्यवाही के पक्षकार या उनके अभिकर्ता सुनवाई पर स्वीकार करने के लिये सहमत हो जाते हैं, या जिसे वे सुनवाई के पूर्व किसी स्वहस्ताक्षरित लेख द्वारा स्वीकार करने के लिये सहमत हो जाते हैं या जिसके बारे में अभिवचन सम्बन्धी किसी तत्समय प्रवृत्त नियम के अधीन यह समझ लिया जाता है कि उन्होंने उसे अपने अभिवचनों द्वारा स्वीकार कर लिया है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 58 के अनुसार
स्वीकृत तथ्यों को साबित करना आवश्यक नहीं है-
किसी ऐसे तथ्य को किसी कार्यवाही में साबित करना आवश्यक नहीं है, जिसे उस कार्यवाही के पक्षकार या उनके अभिकर्ता सुनवाई पर स्वीकार करने के लिये सहमत हो जाते हैं, या जिसे वे सुनवाई के पूर्व किसी स्वहस्ताक्षरित लेख द्वारा स्वीकार करने के लिये सहमत हो जाते हैं या जिसके बारे में अभिवचन सम्बन्धी किसी तत्समय प्रवृत्त नियम के अधीन यह समझ लिया जाता है कि उन्होंने उसे अपने अभिवचनों द्वारा स्वीकार कर लिया है :
परन्तु न्यायालय स्वीकृत तथ्यों का ऐसी स्वीकृतियों द्वारा साबित किये जाने से अन्यथा साबित किया जाना अपने विवेकानुसार अपेक्षित कर सकेगा।
Facts admitted need not be proved-
No fact need to be proved in any proceeding which the parties thereto or their agents agree to admit at the hearing, or which, before the hearing, they agree to admit by any writing under their hands, or which by any rule of pleading in force at the time they are deemed to have admitted by their pleadings :
Provided that the Court may, in its discretion, require the facts admitted to be proved otherwise than by such admissions.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 58 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।