नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 88 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 88, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 88 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 88 के अन्तर्गत न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि कोई सन्देश, जो किसी तार घर से उस व्यक्ति को भेजा गया है, जिसे ऐसे सन्देश का सम्बोधित होना तात्पर्यित है, उस सन्देश के समरूप है, जो भेजे जाने के लिये, उस कार्यालय को, जहाँ से वह सन्देश पारेषित किया गया तात्पर्यित है, परिदत्त किया गया था, किन्तु न्यायालय उस व्यक्ति के बारे में, जिसने सन्देश पारेषित किए जाने के लिए परिदत्त किया था, कोई उपधारणा नहीं करेगा।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 88 के अनुसार
तार सन्देशों के बारे में उपधारणा-
न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि कोई सन्देश, जो किसी तार घर से उस व्यक्ति को भेजा गया है, जिसे ऐसे सन्देश का सम्बोधित होना तात्पर्यित है, उस सन्देश के समरूप है, जो भेजे जाने के लिये, उस कार्यालय को, जहाँ से वह सन्देश पारेषित किया गया तात्पर्यित है, परिदत्त किया गया था, किन्तु न्यायालय उस व्यक्ति के बारे में, जिसने सन्देश पारेषित किए जाने के लिए परिदत्त किया था, कोई उपधारणा नहीं करेगा।
Presumption as to telegraphic messages-
The Court may presume that a message, forwarded from a telegraph office to the person to whom such message purports to be addressed, corresponds with a message delivered for transmission at the office from which the message purports to be sent; but the Court shall not make any presumption as to the person by whom such message was delivered for transmission.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 88 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।