नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 90 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 90, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 90 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 90 के अन्तर्गत जहाँ कि कोई दस्तावेज, जिसका तीस वर्ष पुरानी होना तात्पर्यित है या साबित किया गया है, ऐसी किसी अभिरक्षा में से, जिसे न्यायालय उस विशिष्ट मामले में उचित समझता है, पेश की गई है, वहाँ न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि ऐसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर और उसका हर अन्य भाग, जिसका किसी विशिष्ट व्यक्ति के हस्तलेख में होना तात्पर्यित है, उस व्यक्ति के हस्तलेख में है, और निष्पादित या अनुप्रमाणित दस्तावेज होने की दशा में यह उपधारित कर सकेगा कि वह उन व्यक्तियों द्वारा सम्यक् रूप से निष्पादित और अनुप्रमाणित की गई थी जिनके द्वारा उसका निष्पादित और अनुप्रमाणित होना तात्पर्यित है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 90 के अनुसार
तीस वर्ष पुरानी दस्तावेज के बारे में उपधारणा-
जहाँ कि कोई दस्तावेज, जिसका तीस वर्ष पुरानी होना तात्पर्यित है या साबित किया गया है, ऐसी किसी अभिरक्षा में से, जिसे न्यायालय उस विशिष्ट मामले में उचित समझता है, पेश की गई है, वहाँ न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि ऐसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर और उसका हर अन्य भाग, जिसका किसी विशिष्ट व्यक्ति के हस्तलेख में होना तात्पर्यित है, उस व्यक्ति के हस्तलेख में है, और निष्पादित या अनुप्रमाणित दस्तावेज होने की दशा में यह उपधारित कर सकेगा कि वह उन व्यक्तियों द्वारा सम्यक् रूप से निष्पादित और अनुप्रमाणित की गई थी जिनके द्वारा उसका निष्पादित और अनुप्रमाणित होना तात्पर्यित है।
Presumption as to documents thirty years old-
Where any document, purporting or proved to be thirty years old, is produced from any custody which the Court in the particular case considers proper, the Court may presume that the signature and every other part of such document, which purports to be in the handwriting of any particular person, is in that person’s handwriting, and, in the case of a document executed or attested, that it was duly executed and attested by the persons by whom it purports to be executed and attested.
स्पष्टीकरण- दस्तावेजों का उचित अभिरक्षा में होना कहा जाता है, यदि वे ऐसे स्थान में, और उस व्यक्ति की देख-रेख में हैं, जहाँ और जिसके पास वे प्रकृत्या होनी चाहिए; किन्तु कोई भी अभिरक्षा अनुचित नहीं है, यदि यह साबित कर दिया जाए कि अभिरक्षा का उद्गम विधिसम्मत था, या यदि उस विशिष्ट मामले की परिस्थितियाँ ऐसी हों जिनसे ऐसा उद्गम अधिसम्भाव्य हो जाता है। यह स्पष्टीकरण धारा 81 को भी लागू है।
दृष्टान्त
(क) कभू-सम्पत्ति पर दीर्घकाल से कब्जा रखता आया है। वह उस भूमि सम्बन्धी विलेख, जिनसे उस भूमि पर उसका हक दर्शित होता है, अपनी अभिरक्षा में से पेश करता है। यह अभिरक्षा उचित है।
(ख) क उस भू-सम्पत्ति से सम्बद्ध विलेख, जिनका वह बन्धकदार है, पेश करता है। बन्धककर्ता सम्पत्ति पर कब्जा रखता है। यह अभिरक्षा उचित है।
(ग) ख का संसर्गी क, ख के कब्जे वाली भूमि से सम्बन्धित विलेख पेश करता है, जिन्हें ख ने उसके पास अभिरक्षा के लिए निक्षिप्त किया था। यह अभिरक्षा उचित है।
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 90 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।