नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 91 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 91, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 91 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 91 के अन्तर्गत जबकि किसी संविदा के या अनुदान के या सम्पत्ति के किसी अन्य व्ययन के निबन्धन दस्तावेज के रूप में लेखबद्ध कर लिये गये हों, तब, तथा उन सब दशाओं में, जिनमें विधि द्वारा अपेक्षित है कि कोई बात दस्तावेज के रूप में लेखबद्ध की जाये, ऐसी संविदा, अनुदान या सम्पत्ति के अन्य व्ययन के निबन्धनों के या ऐसी बात के साबित किये जाने के लिए स्वयं उस दस्तावेज के सिवाय, या उन दशाओं में जिनमें एतस्मिन्पूर्व अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अधीन द्वितीयिक साक्ष्य ग्राह्य है, उसकी अन्तर्वस्तु के द्वितीयिक साक्ष्य के सिवाय, कोई भी साक्ष्य नहीं दिया जाएगा।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 91 के अनुसार
दस्तावेजों के रूप में लेखबद्ध संविदाओं, अनुदानों तथा सम्पत्ति के अन्य व्ययनों के निबन्धनों का साक्ष्य–
जबकि किसी संविदा के या अनुदान के या सम्पत्ति के किसी अन्य व्ययन के निबन्धन दस्तावेज के रूप में लेखबद्ध कर लिये गये हों, तब, तथा उन सब दशाओं में, जिनमें विधि द्वारा अपेक्षित है कि कोई बात दस्तावेज के रूप में लेखबद्ध की जाये, ऐसी संविदा, अनुदान या सम्पत्ति के अन्य व्ययन के निबन्धनों के या ऐसी बात के साबित किये जाने के लिए स्वयं उस दस्तावेज के सिवाय, या उन दशाओं में जिनमें एतस्मिन्पूर्व अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अधीन द्वितीयिक साक्ष्य ग्राह्य है, उसकी अन्तर्वस्तु के द्वितीयिक साक्ष्य के सिवाय, कोई भी साक्ष्य नहीं दिया जाएगा।
Evidence of terms of contracts, grants and other dispositions of property reduced to form of document-
When the terms of a contract, or of a grant, or of any other disposition of property, have been reduced to the form of a document, and in all cases in which any matter is required by law to be reduced to the form of a document, no evidence shall be given in proof of the terms of such contract, grant or other disposition of property, or of such matter, except the document itself, or secondary evidence of its contents in cases in which secondary evidence is admissible under the provisions hereinbefore contained.
अपवाद
1-जबकि विधि द्वारा यह अपेक्षित है कि किसी लोक आफिसर की नियुक्ति लिखित रूप में हो, और जब यह दर्शित किया गया है कि किसी विशिष्ट व्यक्ति ने ऐसे आफिसर के नाते कार्य किया है, तब उस लेख का, जिसके द्वारा वह नियुक्त किया गया था, साबित किया जाना आवश्यक नहीं है।
2- जिन विलों का भारत में प्रोबेट मिला है, वे प्रोबेट द्वारा साबित की जा सकेंगी।
स्पष्टीकरण 1- यह धारा उन दशाओं को, जिनमें निर्दिष्ट संविदाएँ, अनुदान या सम्पत्ति के व्ययन एक ही दस्तावेज में अन्तर्विष्ट हैं तथा उन दशाओं को, जिनमें वे एक से अधिक दस्तावेजों में अन्तर्विष्ट हैं, समान रूप से लागू हैं।
स्पष्टीकरण 2- जहाँ कि एक से अधिक मूल हैं, वहाँ केवल एक मूल साबित करना आवश्यक है।
स्पष्टीकरण 3- इस धारा में निर्दिष्ट तथ्यों से भिन्न किसी तथ्य का किसी भी दस्तावेज में कथन, उसी तथ्य के बारे में मौखिक साक्ष्य की ग्राह्यता का प्रवारण नहीं करेगा।
दृष्टान्त
(क) यदि कोई संविदा कई पत्रों में अन्तर्विष्ट है, तो वे सभी पत्र, जिनमें वह अन्तर्विष्ट है, साबित करने होंगे।
(ख) यदि कोई संविदा किसी विनिमय-पत्र में अन्तर्विष्ट है, तो वह विनिमय-पत्र साबित करना होगा।
(ग) यदि विनिमय-पत्र तीन परतों में लिखित है, तो केवल एक को साबित करना आवश्यक है।
(घ) ख से कतिपय निबन्धनों पर कनील के परिदान के लिए लिखित संविदा करता है। संविदा इस तथ्य का वर्णन करती है कि खने क को किसी अन्य अवसर पर मौखिक रूप से संविदाकृत अन्य नील का मूल्य चुकाया था।
मौखिक साक्ष्य पेश किया जाता है कि अन्य नील के लिए कोई संदाय नहीं किया गया। यह साक्ष्य ग्राह्य है।
(ङ) खद्वारा दिए गए धन की रसीद ख को क देता है। संदाय करने का मौखिक साक्ष्य पेश किया जाता है। यह साक्ष्य ग्राह्य है।
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 91 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।