नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 159 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 159? साथ ही हम आपको IPC की धारा 159 के अंतर्गत परिभाषा इत्यादि की जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 159 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 159 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। वैसे तो हम सभी जानते हैं दंगा किसे कहते है, फिर भी हम मुख्य बाते समझते है जब दो या दो से अधिक व्यक्ति पब्लिक प्लेस पर आपस में इस प्रकार लड़ते झगड़ते है कि समाज की लोक शांति भंग होती है, तब उसे हम सभी ‘दंगा करना’ कहते है। यह धारा 159 दंगा को परिभाषित करती है। दंगा करने वाले व्यक्तियों को धारा 160 के अंतर्गत दंड का प्रावधान है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 159 इसी विषय के बारे में बतलाती है।
आईपीसी की धारा 159 के अनुसार-
दंगा-
जब कि दो या अधिक व्यक्ति लोकस्थान में लड़कर लोक शान्ति में विघ्न डालते हैं, तब यह कहा जाता है कि वे “दंगा करते हैं”।
Affray-
When two or more persons, by fighting in a public place, disturb the public peace, they are said to “commit an affray”.
दंगा क्या होता है?
वैसे जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर सामाजिक हिंसा और लड़ते झगड़ते है, तो उसे हम दंगा करना कहते है । जिसमें सामान्यतः एक हिंसक समूह प्रशासन, संपत्ति या लोगों के खिलाफ सार्वजनिक अशांति का माहौल पैदा करता है। दंगों में आम तौर पर बर्बरता और सार्वजानिक या निजी संपत्ति का विनाश देखने को मिलता है। संपत्ति का प्रकार इसमें शामिल लोगों के हठ पर निर्भर करता है। लक्ष्य में दुकानें, कारें, रेस्तरां, राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाओं और धार्मिक इमारतों भी शामिल हो सकतीं हैं।
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 159 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन मे कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।