भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-18) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 18 के अनुसार गलत या अनुचित उपयोग करना” यह शब्द विशेष रूप से न्यायशास्त्र और व्यवहारिक संदर्भों में प्रयोग होता है। इसका उपयोग किसी विधि, नियम, नीति, या संगठन के गलत या अनुचित अनुपालन को संकेतित करने के लिए किया जाता है। जहां अवैध और न्याय विरुद्ध कार्रवाई को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, यह शब्द अनुचित उपयोग, दुर्व्यवहार या किसी नियम की लापरवाही को भी संकेतित करने के लिए उपयोग होता है, जिसे IC Act Section-18 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 18 (Indian Contract Act Section-18) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 18 IC Act Section-18 के अनुसार गलत या अनुचित उपयोग करना”। यह शब्द विशेष रूप से न्यायशास्त्र और व्यवहारिक संदर्भों में प्रयोग होता है। इसका उपयोग किसी विधि, नियम, नीति, या संगठन के गलत या अनुचित अनुपालन को संकेतित करने के लिए किया जाता है। जहां अवैध और न्याय विरुद्ध कार्रवाई को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, यह शब्द अनुचित उपयोग, दुर्व्यवहार या किसी नियम की लापरवाही को भी संकेतित करने के लिए उपयोग होता है।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 18 (IC Act Section-18 in Hindi)
दुर्व्यपदेशन” की परिभाषा-
“दुर्व्यपदेशन” से अभिप्रेत है और उसके अन्तर्गत आते हैं—
(1) उस बात को, जो सत्य नहीं है, ऐसे प्रकार से किया गया निश्चयात्मक प्राख्यान जो उस व्यक्ति की जो उसे करता है, जानकारी से समर्थित न हो, यद्यपि वह उस बात के सत्य होने का विश्वास करता हो;
(2) कोई ऐसा कर्तव्य-भंग, जो प्रवंचना करने के आशय के बिना उस व्यक्ति को, जो उसे करता है, या उससे व्युत्पन्न अधिकार के अधीन दावा करने वाले किसी व्यक्ति को कोई फायदा किसी अन्य को ऐसा भुलावा देकर पहुँचाए, जिससे उस अन्य पर या उससे व्युत्पन्न अधिकार के अधीन दावा करने वाले किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े;
(3) चाहे कितने ही सरल भाव से क्यों न हो, करार के किसी पक्षकार से उस बात के पदार्थ के बारे में, जो उस करार का विषय हो, कोई भूल कराना।
Indian Contract Act Section-18 (IC Act Section-18 in English)
“Misrepresentation” defined-
“Misrepresentation” means and includes
(1) the positive assertion, in a manner not warranted by the information of the person making it, of that which is not true, though he believes it to be true;
(2) any breach of duty which, without an intent to deceive, gains an advantage of the person committing it, or any one claiming under him, by misleading another to his prejudice, or to the prejudice of any one claiming under him;
(3) causing, however innocently, a party to an agreement, to make a mistake as to the substance of the thing which is the subject of the agreement.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 18 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।