भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-62) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 62 के अनुसार यदि किसी संविदा के पक्षकार उसके बदले एक नई संविदा प्रतिस्थापित करने या उस संविदा को विखण्डित या परिवर्तित करने का करार करें तो मूल संविदा का पालन करने की आवश्यकता न होगी, जिसे IC Act Section-62 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 62 (Indian Contract Act Section-62) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 62 IC Act Section-62 के अनुसार यदि किसी संविदा के पक्षकार उसके बदले एक नई संविदा प्रतिस्थापित करने या उस संविदा को विखण्डित या परिवर्तित करने का करार करें तो मूल संविदा का पालन करने की आवश्यकता न होगी।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 62 (IC Act Section-62 in Hindi)
संविदा के नवीयन, विखण्डन और परिवर्तन का प्रभाव-
यदि किसी संविदा के पक्षकार उसके बदले एक नई संविदा प्रतिस्थापित करने या उस संविदा को विखण्डित या परिवर्तित करने का करार करें तो मूल संविदा का पालन करने की आवश्यकता न होगी।
दृष्टान्त
(क) ‘क’ एक संविदा के अधीन ‘ख’ को धन का देनदार है। ‘क’, ‘ख’ और ‘ग’ के बीच यह करार होता है कि ‘ख’ तत्पश्चात् ‘क’ के बजाय ‘ग’ को अपना ऋणी मानेगा। ‘क’ पर ‘ख’ के पुराने ऋण का अन्त हो गया और ‘ग’ पर ‘ख’ के एक नये ऋण की संविदा हो गई है।
(ख) ‘ख’ का ‘क’ 10,000 रुपये का देनदार है। ‘ख’ से ‘क’ ठहराव करता है और ‘ख’ को 10,000 रुपये के ऋण के बदले 5,000 रुपये के लिए ‘क’ की सम्पदा बन्धक करता है। यह नई संविदा है और पुरानी को निर्वाचित कर देती है।
(ग) ‘क’ एक संविदा के अधीन ‘ख’ को 1,000 रुपये का देनदार है। ‘ग’ का ‘ख’ 1,000 रुपये का देनदार है। ‘क’ को ‘ख’ आदेश देता है कि वह अपनी बहियों में ‘ग’ के नाम 1,000 रुपये जमा कर दे, किन्तु ‘ग’ इस ठहराव के लिए अनुमति नहीं देता। ‘ख’ अब भी ‘ग’ का 1,000 रुपये का देनदार है और कोई नई संविदा नहीं की गई है।
Indian Contract Act Section-62 (IC Act Section-62 in English)
Effect of novation, rescission, and alteration of contract-
If the parties to a contract agree to substitute a new contract for it, or to rescind or alter it, the original contract need not be performed.
Illustrations
(a) A owes money to B under a contract. It is agreed between A, B and C, that B shall thenceforth accept C as his debtor, instead of A. The old debt of A to B is at an end, and a new debt from C to B has been contracted.
(b) A owes B 10,000 rupees. A enters into an agreement with B, and gives B a mortgage of his (As), estate for 5,000 rupees in place of the debt of 10,000 rupees. This is a new contract and extinguishes the old.
(c) A owes B 1,000 rupees under a contract, B owes C 1,000 rupees, B orders A to credit C with 1,000 rupees in his books, but C does not assent to the agreement. B still owes C 1,000 rupees, and no new contract has been entered into.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 62 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।