भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-135) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 135 के अनुसार लेनदार और मूलऋणी के बीच किसी ऐसी संविदा से, जिसके द्वारा मूलऋणी निर्मुक्त हो जाए या लेनदार के किसी ऐसे कार्य या लोप से, जिसका विधिक परिणाम मूलऋणी का उन्मोचन हो, प्रतिभू उन्मोचित हो जाता है, जिसे IC Act Section-135 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 135 (Indian Contract Act Section-135) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 135 IC Act Section-135 के अनुसार लेनदार और मूलऋणी के बीच किसी ऐसी संविदा से, जिसके द्वारा मूलऋणी निर्मुक्त हो जाए या लेनदार के किसी ऐसे कार्य या लोप से, जिसका विधिक परिणाम मूलऋणी का उन्मोचन हो, प्रतिभू उन्मोचित हो जाता है।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 135 (IC Act Section-135 in Hindi)
प्रतिभू का उन्मोचन जब कि लेनदार मूलऋणी के साथ प्रशमन करता है, उसे समय देता है या उस पर वाद न लाने का करार करता है-
लेनदार और मूलऋणी के बीच ऐसी संविदा जिससे लेनदार मूलऋणी के साथ समझौता कर लेता है या उसे समय देने या उस पर वाद न लाने का वचन देता है, प्रतिभू को तब के सिवाय उन्मोचित कर देती है जब कि प्रतिभू ऐसी संविदा के लिए अनुमति दे देता है।
Indian Contract Act Section-135 (IC Act Section-135 in English)
Discharge of surety when creditor compounds with, gives time to, or agrees not to sue, principal debtor-
A contract between the creditor and the principal debtor, by which the creditor makes a composition with, or promises to give time to, or not to sue, the principal debtor, discharges the surety, unless the surety assents to such contract.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 135 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।