कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-35 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 35 के अनुसार जहां किसी व्यक्ति ने, प्रास्पेक्टस में किसी सम्मिलित किए गए ऐसे कथन या ऐसे किसी विषय के सम्मिलित या लोप किए जाने पर, जो भ्रामक है, कार्य करते हुए कंपनी की किन्हीं प्रतिभूतियों के लिए अभिदाय किया है और उसके परिणामस्वरूप कोई हानि या नुकसान हुआ है, जिसे Companies Act Section-35 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 35 (Companies Act Section-35) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 35 Companies Act Section-35 के अनुसार जहां किसी व्यक्ति ने, प्रास्पेक्टस में किसी सम्मिलित किए गए ऐसे कथन या ऐसे किसी विषय के सम्मिलित या लोप किए जाने पर, जो भ्रामक है, कार्य करते हुए कंपनी की किन्हीं प्रतिभूतियों के लिए अभिदाय किया है और उसके परिणामस्वरूप कोई हानि या नुकसान हुआ है।
कंपनी अधिनियम की धारा 35 (Companies Act Section-35 in Hindi)
प्रास्पेक्टस में मिथ्या कथन के लिए सिविल दायित्व–
(1) जहां किसी व्यक्ति ने, प्रास्पेक्टस में किसी सम्मिलित किए गए ऐसे कथन या ऐसे किसी विषय के सम्मिलित या लोप किए जाने पर, जो भ्रामक है, कार्य करते हुए कंपनी की किन्हीं प्रतिभूतियों के लिए अभिदाय किया है और उसके परिणामस्वरूप कोई हानि या नुकसान हुआ है तो कंपनी और ऐसा प्रत्येक व्यक्ति,
(क) जो प्रास्पेक्टस जारी किए जाने के समय कंपनी का निदेशक है;
(ख) उसने या तो तुरंत या समय के किसी अंतराल के पश्चात् कंपनी के निदेशक के रूप में प्रास्पेक्टस में नामित किए जाने के लिए स्वयं को प्राधिकृत किया है या उसमें नामित है या ऐसा निदेशक बनने के लिए अपनी सहमति दी है;
(ग) जो कंपनी का संप्रवर्तक है; (घ) जिसने प्रास्पेक्टस का जारी किया जाना प्राधिकृत किया है; और
(ङ) जो धारा 26 की उपधारा (5) में निर्दिष्ट कोई विशेषज्ञ है, ऐसे किसी दंड पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जिसके लिए कोई व्यक्ति धारा 36 के अधीन भागी हो सकेगा, ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को, जिसको ऐसी हानि या नुकसान हुआ है, प्रतिकर का संदाय करने के लिए दायी होगा ।
(2) कोई व्यक्ति उपधारा (1) के अधीन भागी नहीं होगा, यदि वह यह साबित कर देता है कि
(क) कंपनी का निदेशक बनने के लिए सहमति देने पर भी उसने प्रास्पेक्टस के जारी किए जाने के पूर्व अपनी सहमति वापस ले ली थी तथा वह उसके प्राधिकार या सहमति के बिना जारी किया गया था; या
(ख) प्रास्पेक्टस उसकी जानकारी या सहमति के बिना जारी किया गया था और इस बात की जानकारी होने पर उसने तुरन्त यह युक्तियुक्त लोक सूचना दे दी थी कि वह उसकी जानकारी या सहमति के बिना जारी किया गया है।
(3) इस धारा में किसी बात के होते हुए भी, जहां यह साबित किया जाता है कि प्रास्पेक्टस, कंपनी की प्रतिभूतियों के लिए आवेदकों या किसी अन्य व्यक्ति को धोखा देने के आशय से या किसी कपटपूर्वक प्रयोजन के लिए जारी किया गया है तो उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रत्येक व्यक्ति, ऐसी सभी या किन्हीं हानियों या नुकसानों के लिए, जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा, जिसने प्रतिभूतियों में ऐसे प्रास्पेक्टस के आधार पर अभिदाय किया है, उपगत की गई हो, दायित्व की किसी सीमा के बिना, व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होगा।
Companies Act Section-35 (Company Act Section-35 in English)
Civil liability for mis-statements in prospectus–
(1) Where a person has subscribed for securities of a company acting on any statement included, or the inclusion or omission of any matter, in the prospectus which is misleading and has sustained any loss or damage as a consequence thereof, the company and every person who—
(a) is a director of the company at the time of the issue of the prospectus;
(b) has authorized himself to be named and is named in the prospectus as a director of the company, or has agreed to become such director, either immediately or after an interval of time;
(c) is a promoter of the company;
(d) has authorized the issue of the prospectus; and
(e) is an expert referred to in sub-section (5) of section 26,
shall, without prejudice to any punishment to which any person may be liable under section 36, be liable to pay compensation to every person who has sustained such loss or damage.
(2) No person shall be liable under sub-section (1), if he proves—
(a) that, having consented to become a director of the company, he withdrew his consent before the issue of the prospectus, and that it was issued without his authority or consent; or
(b) that the prospectus was issued without his knowledge or consent, and that on becoming aware of its issue, he forthwith gave a reasonable public notice that it was issued without his knowledge or consent.
(3) Notwithstanding anything contained in this section, where it is proved that a prospectus has been issued with intent to defraud the applicants for the securities of a company or any other person or for any fraudulent purpose, every person referred to in subsection (1) shall be personally responsible, without any limitation of liability, for all or any of the losses or damages that may have been incurred by any person who subscribed to the securities on the basis of such prospectus.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 35 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।