नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 253 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 253 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 253 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 253 के अन्तर्गत अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर हुए बिना आरोप का दोषी होने का अभिवचन करना चाहता है, वहां वह अपना अभिवाक् अन्तर्विष्ट करने वाला एक पत्र और समन में विनिर्दिष्ट जुर्माने की रकम डाक या संदेशवाहक द्वारा मजिस्ट्रेट को भेजेगा। तब मजिस्ट्रेट, स्वविवेकानुसार अभियुक्त को उसके दोषी होने के अभिवाक् के आधार पर उसकी अनुपस्थिति में दोषसिद्ध करेगा और समन में विनिर्दिष्ट जुर्माना देने के लिए दण्डादेश देगा और अभियुक्त द्वारा भेजी गई रकम उस जुर्माने में समायोजित की जाएगी या जहां अभियुक्त द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत प्लीडर अभियुक्त की ओर से उसके दोषी होने का अभिवचन करता है वहां मजिस्ट्रेट यथासम्भव प्लीडर द्वारा प्रयुक्त किए गए शब्दों में अभिवाक् को लेखबद्ध करेगा और स्वविवेकानुसार उस अभियुक्त को ऐसे अभिवाक् पर दोषसिद्ध कर सकेगा और उसे यथापूर्वोक्त दण्डादेश दे सकेगा।
सीआरपीसी की धारा 253 के अनुसार
छोटे मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में दोषी होने के अभिवाक् पर दोषसिद्धि–
(1) जहां धारा 206 के अधीन समन जारी किया जाता है और अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर हुए बिना आरोप का दोषी होने का अभिवचन करना चाहता है, वहां वह अपना अभिवाक् अन्तर्विष्ट करने वाला एक पत्र और समन में विनिर्दिष्ट जुर्माने की रकम डाक या संदेशवाहक द्वारा मजिस्ट्रेट को भेजेगा।
(2) तब मजिस्ट्रेट, स्वविवेकानुसार अभियुक्त को उसके दोषी होने के अभिवाक् के आधार पर उसकी अनुपस्थिति में दोषसिद्ध करेगा और समन में विनिर्दिष्ट जुर्माना देने के लिए दण्डादेश देगा और अभियुक्त द्वारा भेजी गई रकम उस जुर्माने में समायोजित की जाएगी या जहां अभियुक्त द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत प्लीडर अभियुक्त की ओर से उसके दोषी होने का अभिवचन करता है वहां मजिस्ट्रेट यथासम्भव प्लीडर द्वारा प्रयुक्त किए गए शब्दों में अभिवाक् को लेखबद्ध करेगा और स्वविवेकानुसार उस अभियुक्त को ऐसे अभिवाक् पर दोषसिद्ध कर सकेगा और उसे यथापूर्वोक्त दण्डादेश दे सकेगा।
Conviction on plea of guilty in absence of accused in petty cases-
(1) Where a summons has been issued under Section 206 and the accused desires to plead guilty to the charge without appearing before the Magistrate, he shall transmit to the Magistrate, by post or by messenger, a letter containing his plea and also the amount of fine specified in the summons.
(2) The Magistrate may, in his discretion, convict the accused in his absence, on his plea of guilty and sentence him to pay the fine specified in the summons, and the amount transmitted by the accused shall be adjusted towards that fine, or where a pleader authorised by the accused in this behalf pleads guilty on behalf of the accused, the Magistrate shall record the plea as nearly as possible in the words used by the pleader and may, in his discretion, convict the accused on such plea and sentence him as aforesaid.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 253 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।