नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 205 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 205 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 205 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 205 के अन्तर्गत जब कभी कोई मजिस्ट्रेट समन जारी करता है तब यदि उसे ऐसा करने का कारण प्रतीत होता है तो वह अभियुक्त को वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्त कर सकता है और अपने प्लीडर द्वारा हाजिर होने की अनुज्ञा दे सकता है। यदि मामले की जांच या विचारण करने वाला मजिस्ट्रेट, स्वविवेकानुसार, कार्यवाही के किसी प्रक्रम में अभियुक्त की वैयक्तिक हाजिरी का निदेश दे सकता है और यदि आवश्यक हो तो उसे इस प्रकार हाजिर होने के लिए इसमें इसके पूर्व उपबन्धित रीति से विवश कर सकता है।
सीआरपीसी की धारा 205 के अनुसार
मजिस्ट्रेट का अभियुक्त को वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति दे सकना—
(1) जब कभी कोई मजिस्ट्रेट समन जारी करता है तब यदि उसे ऐसा करने का कारण प्रतीत होता है तो वह अभियुक्त को वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्त कर सकता है और अपने प्लीडर द्वारा हाजिर होने की अनुज्ञा दे सकता है।
(2) किन्तु मामले की जांच या विचारण करने वाला मजिस्ट्रेट, स्वविवेकानुसार, कार्यवाही के किसी प्रक्रम में अभियुक्त की वैयक्तिक हाजिरी का निदेश दे सकता है और यदि आवश्यक हो तो उसे इस प्रकार हाजिर होने के लिए इसमें इसके पूर्व उपबन्धित रीति से विवश कर सकता है।
Magistrate may dispense with personal attendance of accused-
(1) Whenever a Magistrate issues a summons, he may, if he sees reason so to do, dispense with the personal attendance of the accused and permit him to appear by his pleader.
(2) But the Magistrate inquiring into or trying the case may, in his discretion, at any stage of the proceedings, direct the personal attendance of the accused, and, if necessary, enforce such attendance in the manner hereinbefore provided.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 205 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।