नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 248 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 248 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 248 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 248 के अन्तर्गत यदि किसी मामले मे जो विचरित किया जा रहा है और मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुचता है कि अभियुक्त दोषी नही है, तो वह दोषमुक्ति का आदेश अभिलिखित करेगा। यदि वह धारा 325 या धारा 360 के उपबन्धों के अनुसार कार्यवाही नहीं करता है वहां वह दण्ड के प्रश्न पर अभियुक्त को सुनने के पश्चात् विधि के अनुसार उसके बारे में दंडादेश दे सकता है। यह धारा 248 ऐसे मामले को दोषमुक्ति या दोषसिद्धि की प्रक्रिया को बताता है।
सीआरपीसी की धारा 248 के अनुसार
दोषमुक्ति या दोषसिद्धि-
(1) यदि इस अध्याय के अधीन किसी मामले में, जिसमें आरोप विरचित किया गया है, मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि अभियुक्त दोषी नहीं है तो वह दोषमुक्ति का आदेश अभिलिखित करेगा।
(2) जहां इस अध्याय के अधीन किसी मामले में मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि अभियुक्त दोषी है किन्तु वह धारा 325 या धारा 360 के उपबन्धों के अनुसार कार्यवाही नहीं करता है वहां वह दण्ड के प्रश्न पर अभियुक्त को सुनने के पश्चात् विधि के अनुसार उसके बारे में दंडादेश दे सकता है।
(3) जहां इस अध्याय के अधीन किसी मामले में धारा 211 की उपधारा (7) के उपबन्धों के अधीन पूर्व दोषसिद्धि का आरोप लगाया गया है और अभियुक्त यह स्वीकार नहीं करता है कि आरोप में किए गए अभिकथन के अनुसार उसे पहले दोषसिद्ध किया गया था वहां मजिस्ट्रेट उक्त अभियुक्त को दोषसिद्ध करने के पश्चात् अभिकथित पूर्व दोषसिद्धि के बारे में साक्ष्य ले सकेगा और उस पर निष्कर्ष अभिलिखित करेगा;
परन्तु जब तक अभियुक्त उपधारा (2) के अधीन दोषसिद्ध नहीं कर दिया जाता है तब तक न तो ऐसा आरोप मजिस्ट्रेट द्वारा पढ़कर सुनाया जाएगा, न अभियुक्त से उस पर अभिवचन करने को कहा जाएगा, और न पूर्व दोषसिद्धि का निर्देश अभियोजन द्वारा या उसके द्वारा दिए गए किसी साक्ष्य में किया जाएगा।
Acquittal or conviction–
(1) If, in any case under this Chapter in which a charge has been framed, the Magistrate finds the accused not guilty, he shall record an order of acquittal.
(2) Where, in any case under this Chapter, the Magistrate finds the accused guilty, but does not proceed in accordance with the provisions of Section 325 or Section 360, he shall, after hearing the accused on the question of sentence, pass sentence upon him according to law.
(3) Where, in any case under this Chapter, a previous conviction is charged under the provisions of sub-section (7) of Section 211 and the accused does not admit that he has been previously convicted as alleged in the charge, the Magistrate may, after he has convicted the said accused, take evidence in respect of the alleged previous conviction, and shall record a finding thereon:
Provided that no such charge shall be read out by the Magistrate nor shall the accused be asked to plead thereto nor shall the previous conviction be referred to by the prosecution or in any evidence adduced by it, unless and until the accused has been convicted under sub-section (2).
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 248 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
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