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सीआरपीसी की धारा 453 | अभियुक्त के पास मिले धन का निर्दोष क्रेता को संदाय | CrPC Section- 453 in hindi| Payment to innocent purchaser of money found on accused.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 453 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 453 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 453 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 453 के अन्तर्गत जहां इस संहिता के अधीन कोई बन्धपत्र किसी न्यायालय के समक्ष हाजिर होने या सम्पत्ति पेश करने के लिए है और उस न्यायालय या किसी ऐसे न्यायालय को, जिसे तत्पश्चात् मामला अन्तरित किया गया है, समाधानप्रद रूप में यह साबित कर दिया जाता है कि बन्धपत्र समपहृत हो चुका है, अथवा जहां इस संहिता के अधीन किसी अन्य बन्धपत्र की बाबत उस न्यायालय को, जिसके द्वारा बन्धपत्र लिया गया था, या ऐसे किसी न्यायालय को, जिसे तत्पश्चात् मामला अंतरित किया गया है, या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के किसी न्यायालय को, समाधानप्रद रूप में यह साबित कर दिया जाता है कि बन्धपत्र समपहृत हो चुका है।

सीआरपीसी की धारा 453 के अनुसार

अभियुक्त के पास मिले धन का निर्दोष क्रेता को संदाय-

जब कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए, जिसके अन्तर्गत चोरी या चुराई हुई सम्पत्ति को प्राप्त करना है अथवा जो चोरी या चुराई हुई सम्पत्ति प्राप्त करने की कोटि में आता है, दोषसिद्ध किया जाता है और यह साबित कर दिया जाता है कि किसी अन्य व्यक्ति ने चुराई हुई सम्पत्ति को, यह जाने बिना या अपने पास यह विश्वास करने का कारण हुए बिना कि वह चुराई हुई है, उससे क्रय किया है और सिद्धदोष व्यक्ति की गिरफ्तारी पर उसके कब्जे में से कोई धन निकाला गया था तब न्यायालय ऐसे क्रेता के आवेदन पर और चुराई हुई सम्पत्ति पर कब्जे के हकदार व्यक्ति को उस सम्पत्ति के वापस कर दिया जाने पर आदेश दे सकता है कि ऐसे क्रेता द्वारा दिये गए मूल्य से अनधिक राशि ऐसे धन में उसे परिदत्त की जाए।

Payment to innocent purchaser of money found on accused-
When any person is convicted on any offence which includes, or amounts to, theft or receiving stolen property, and it is proved that any other person bought the stolen property from him without knowing or having reason to believe that the same was stolen, and that any money has on his arrest been taken out of the possession of the convicted person, the Court may, on the application of such purchaser and on the restitution of the stolen property to the person entitled to the possession thereof, order that out of such money a sum not exceeding the price paid by such purchaser be delivered to him.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 453 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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