भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-54) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 54 के अनुसार जबकि कोई संविदा ऐसे व्यतिकारी वचनों से गठित हो जिनमें से एक का पालन या पालन का दावा तब तक नहीं किया जा सके जब तक दूसरे का पालन न कर दिया जाए और अन्तिम-वर्णित वचन का वचनदाता उसका पालन करने में असफल रहे तब ऐसा वचनदाता व्यतिकारी वचन के पालन का दावा नहीं कर सकता और उसे संविदा के दूसरे पक्षकार को, किसी भी हानि के लिए, जो ऐसा दूसरा पक्षकार संविदा के अपालन से उठाए, प्रतिकर देना होगा, जिसे IC Act Section-54 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 54 (Indian Contract Act Section-54) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 54 IC Act Section-54 के अनुसार जबकि कोई संविदा ऐसे व्यतिकारी वचनों से गठित हो जिनमें से एक का पालन या पालन का दावा तब तक नहीं किया जा सके जब तक दूसरे का पालन न कर दिया जाए और अन्तिम-वर्णित वचन का वचनदाता उसका पालन करने में असफल रहे तब ऐसा वचनदाता व्यतिकारी वचन के पालन का दावा नहीं कर सकता और उसे संविदा के दूसरे पक्षकार को, किसी भी हानि के लिए, जो ऐसा दूसरा पक्षकार संविदा के अपालन से उठाए, प्रतिकर देना होगा।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 54 (IC Act Section-54 in Hindi)
व्यतिकारी वचनों से गठित संविदा में, उस वचन के व्यतिक्रम का प्रभाव जिसका पालन पहले किया जाना चाहिये-
जबकि कोई संविदा ऐसे व्यतिकारी वचनों से गठित हो जिनमें से एक का पालन या पालन का दावा तब तक नहीं किया जा सके जब तक दूसरे का पालन न कर दिया जाए और अन्तिम-वर्णित वचन का वचनदाता उसका पालन करने में असफल रहे तब ऐसा वचनदाता व्यतिकारी वचन के पालन का दावा नहीं कर सकता और उसे संविदा के दूसरे पक्षकार को, किसी भी हानि के लिए, जो ऐसा दूसरा पक्षकार संविदा के अपालन से उठाए, प्रतिकर देना होगा।
दृष्टान्त
(क) ‘ख’ के पोत को ‘क’ अपने द्वारा दिये जाने वाले स्थोरा को भरने और कलकत्ते से मॉरीशस तक प्रवहण करने के लिए भाड़े पर लेता है। उसके प्रवहण के लिए ‘ख’ को अमुक ढुलाई मिलनी है। ‘क’ पोत के लिए कोई स्थोरा नहीं देता। ‘ख’ के वचन के पालन का दावा ‘क’ नहीं कर सकता और ‘ख’ को, उस हानि के लिए, जो ‘ख’ उस संविदा के अपालन से उठाए, प्रतिकर देना होगा।
(ख) ‘क’ एक नियत कीमत पर कोई निर्माण कर्म निष्पादित करने के लिए ‘ख’ से संविदा करता है। उस कर्म के लिए आवश्यक पाड़ और काष्ठ ‘ख’ द्वारा दिया जाना है। ‘ख’ पाड़ या काष्ठ देने से इन्कार करता है और कर्म निष्पादित नहीं किया जा सकता। कर्म का निष्पादन करना ‘क’ के लिए आवश्यक नहीं है, और ‘क’ को, किसी भी हानि के लिए जो उस संविदा के अपालन से कारित हो, प्रतिकर देने के लिए ‘ख’ आबद्ध है।
(ग्) ‘ख’ से ‘क’ संविदा करता है कि वह उस वाणिज्या को, जो ऐसे पोत पर है, जो एक मास तक नहीं पहुँच सकता, विनिर्दिष्ट कीमत पर उसे परिदत्त करेगा, और ‘ख’ की तारीख से एक माह के भीतर उस वाणिज्या के लिए संदाय करने का वचनबन्ध करता है। ‘ख’ उस सप्ताह के भीतर संदाय नहीं करता। परिदान करने के ‘क’ के वचन का पालन आवश्यक नहीं है और ‘ख’ को प्रतिकर देना होगा।
(घ) ‘ख’ को ‘क’ वाजिण्या की सौ गांठे बेचने का वचन देता है जिनका परिदान अगले दिन किया जाने वाला है और उनके लिए एक मास के भीतर संदाय करने का वचन ‘क’ को ‘ख’ देता है। ‘क’ अपने वचन के अनुसार परिदान नहीं करता। संदाय करने के ‘क’ के वचन का पालन आवश्यक नहीं है और ‘ख’ को प्रतिकर देना होगा।
Indian Contract Act Section-54 (IC Act Section-54 in English)
Effect of default as to that promise which should be performed, in contract consisting of reciprocal promises-
When a contract consists of reciprocal promises, such that one of them cannot be performed, or that its performance cannot be claimed till the other has been performed, and the promisor of the promise last mentioned fails to perform it, such promisor cannot claim the performance of the reciprocal promise, and must make compensation to the other party to the contract for any loss which such other party may sustain by the nonperformance of the contract.
Illustrations
(a) A hires B’s ship to take in and convey, from Calcutta to the Mauritius, a cargo to be provided by A, B receiving a certain freight for its conveyance. A does not provide any cargo for the ship. A cannot claim the performance of B’s promise, and must take compensation to B for the loss which B sustains by the non performance of the contract.
(b) A contracts with B to execute certain builder’s work for a fixed price, B supplying the scaffolding and timber necessary for the work. B refuses to furnish any scaffolding or timber, and the work cannot be executed. A need not execute the work, and B is bound to make compensation to A for any loss caused to him by the non-performance of the contract.
(c) A contracts with B to deliver to him, at a specified price, certain merchandise on board a ship which cannot arrive for a month, and B engages to pay for the merchandise within a week from the date of the contract. B does not pay within the week. As the promise to deliver need not be performed, and B must make compensation.
(d) A promises B to sell him one hundred bales of merchandise, to be delivered next day, and B promises A to pay for them within a month. A does not deliver according to his promise. B’s promise to pay need not be performed, and A must make compensation.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 54 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।