भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-63) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 63 के अनुसार हर वचनग्रहीता अपने को दिये गए किसी वचन के पालन से अभिमुक्ति या उसका परिहार पूर्णत: या भागतः दे या कर सकेगा, या ऐसे पालन के लिए समय बढ़ा सकेगा, या उसके स्थान पर किसी तुष्टि को, जिसे वह ठीक समझे प्रतिग्रहीत कर सकेगा, जिसे IC Act Section-63 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 63 (Indian Contract Act Section-63) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 63 IC Act Section-63 के अनुसार हर वचनग्रहीता अपने को दिये गए किसी वचन के पालन से अभिमुक्ति या उसका परिहार पूर्णत: या भागतः दे या कर सकेगा, या ऐसे पालन के लिए समय बढ़ा सकेगा, या उसके स्थान पर किसी तुष्टि को, जिसे वह ठीक समझे प्रतिग्रहीत कर सकेगा।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 63 (IC Act Section-63 in Hindi)
वचनग्रहीता वचन के पालन से अभिमुक्ति या उसका परिहार दे या कर सकेगा-
हर वचनग्रहीता अपने को दिये गए किसी वचन के पालन से अभिमुक्ति या उसका परिहार पूर्णत: या भागतः दे या कर सकेगा, या ऐसे पालन के लिए समय बढ़ा सकेगा, या उसके स्थान पर किसी तुष्टि को, जिसे वह ठीक समझे प्रतिग्रहीत कर सकेगा।
दृष्टान्त
(क) ‘ख’ के लिए ‘क’ एक रंगचित्र बनाने का वचन देता है। तत्पश्चात् ‘ख’ उससे वैसा करने का निषेध कर देता है। ‘क’ उस वचन के पालन के लिए अब आबद्ध नहीं है।
(ख). ‘ख’ का ‘क’ 5,000 रुपये का देनदार है। ‘क’ उस समय और स्थान पर, जिस पर 5,000 रुपये देय थे, ‘ख’ को 2,000 रुपये देता है और ‘ख’ सम्पूर्ण ऋण की तुष्टि में उन्हें प्रतिग्रहीत कर लेता है। सम्पूर्ण ऋण का उन्मोचन हो जाता है
(ग) ‘ख’ का ‘क’ 5,000 रुपये का देनदार है। ‘ख’ को ‘ग’ 1,000 रुपये देता है और ‘ख’ उन्हें ‘क’ पर अपने दावे की तुष्टि में प्रतिग्रहीत कर लेता है। यह संदाय सम्पूर्ण दावे का उन्मोचन है।
(घ) ‘क’ एक संविदा के अधीन ‘ख’ को ऐसी धनराशि का देनदार है जिसका परिमाण अभिनिश्चित नहीं किया गया है। ‘क’ परिमाण अभिनिश्चित किए बिना, ‘ख’ को 2,000 रुपये देता है और ‘ख’ उसे उसकी तुष्टि में प्रतिग्रहीत कर लेता है। यह सम्पूर्ण ऋण का उन्मोचन है चाहे उसका परिमाण कुछ भी हो।
(ङ) ‘ख’ का ‘क’ 2,000 रुपये का देनदार है और अन्य लेनदारों का भी ऋणी है। ‘ख’ समेत लेनदारों से ‘क’ उनकी अपनी-अपनी मांगों का प्रशमन करने के लिए उन्हें रुपये में आठ आने देने का ठहराव करता है। ‘ख’ को 1,000 रुपये का संदाय ‘ख’ की माँग का उन्मोचन है।
Indian Contract Act Section-63 (IC Act Section-63 in English)
Promisee may dispense with or remit performance of promise-
Every promisee may dispense with or remit, wholly or in part, the performance of the premise made to him, or may extend the time for such performance or may accept instead of it any satisfaction which he thinks fit.
Illustrations
(a) A promises to paint a picture for B. B afterward forbids him to do so. A is no longer bound to perform the promise.
(b) A owes B 5,000 rupees. A pays to B, and B accepts, in satisfaction of the whole debt, 2,000 rupees paid at the time and place at which the 5,000 rupees were payable. The whole debt is discharged.
(c) A owes B 5,000 rupees. C pays to B 1,000 rupees, and B accepts them, in satisfaction of his claim on A. This payment is a discharge of the whole claim.
(d) A owes B, under a contract, a sum of money, the amount of which has not been ascertained. A, without ascertaining the amount, gives to B, and B, in satisfaction thereof, accepts, the sum of 2,000 rupees. This is a discharge of the whole debt, whatever may be its amount.
(e) A owes B 2,000 rupees, and is also indebted to another creditor. A makes an arrangement with his creditors, including B, to pay them a composition of eight annas in the rupee upon their respective demands. Payment to B of 1,000 rupees is a discharge of B’s demand.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 63 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।