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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 153 | सत्यवादिता परखने के प्रश्नों के उत्तरों का खण्डन करने के लिए साक्ष्य का अपवर्जन | Indian Evidence Act Section- 153 in hindi| Exclusion of evidence to contradict answers to questions testing veracity.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 153 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 153, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 153 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 153 के अन्तर्गत जब किसी साक्षी से ऐसा कोई प्रश्न पूछा गया हो, जो जाँच से केवल वहीं तक सुसंगत है जहाँ तक कि वह उसके शील को क्षति पहुंचा कर उसकी विश्वसनीयता को धक्का पहुंचाने की प्रवृत्ति रखता है, और उसने उसका उत्तर दे दिया हो, तब उसका खण्डन करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं दिया जायेगा; किन्तु यदि वह मिथ्या उत्तर देता है तो तत्पश्चात् उस पर मिथ्या साक्ष्य देने का आरोप लगाया जा सकेगा।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 153 के अनुसार

सत्यवादिता परखने के प्रश्नों के उत्तरों का खण्डन करने के लिए साक्ष्य का अपवर्जन-

जबकि किसी साक्षी से ऐसा कोई प्रश्न पूछा गया हो, जो जाँच से केवल वहीं तक सुसंगत है जहाँ तक कि वह उसके शील को क्षति पहुंचा कर उसकी विश्वसनीयता को धक्का पहुंचाने की प्रवृत्ति रखता है, और उसने उसका उत्तर दे दिया हो, तब उसका खण्डन करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं दिया जायेगा; किन्तु यदि वह मिथ्या उत्तर देता है तो तत्पश्चात् उस पर मिथ्या साक्ष्य देने का आरोप लगाया जा सकेगा।
अपवाद 1- यदि किसी साक्षी से पूछा जाए कि क्या वह तत्पूर्व किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध हुआ था और वह उसका प्रत्याख्यान करे, तो उसकी पूर्व दोषसिद्धि का साक्ष्य दिया जा सकेगा।
अपवाद 2- यदि किसी साक्षी से उसकी निष्पक्षता पर अधिक्षेप करने की प्रवृत्ति रखने वाला कोई प्रश्न पूछा जाए और वह सुझाए हुए तथ्यों के प्रत्याख्यान द्वारा उसका उत्तर देता है, तो उसका खण्डन किया जा सकेगा।

Exclusion of evidence to contradict answers to questions testing veracity-
When a witness has been asked and has answered any question which is relevant to the inquiry only insofar as it tends to shake his credit by injuring his character, no evidence shall be given to contradict him; but, if he answers falsely, he may afterwards be charged with giving false evidence.
Exception 1- If a witness is asked whether he has been previously convicted of any crime and denies it, evidence may be given of his previous conviction.
Exception 2- If a witness is asked any question tending to impeach his impartiality, and answers it, by denying the facts suggested, he may be contradicted.

दृष्टान्त
(क) किसी निम्नांकक के विरुद्ध एक दावे का प्रतिरोध कपट के आधार पर किया जाता है। दावेदार से पूछा जाता है कि क्या उसने पिछले एक संव्यवहार में कपटपूर्ण दावा नहीं किया था। वह इसका प्रत्याख्यान करता है।
यह दर्शित करने के लिए साक्ष्य प्रस्थापित किया जाता है कि उसने ऐसा दावा सचमुच किया था। यह साक्ष्य अग्राह्य है।
(ख) किसी साक्षी से पूछा जाता है कि क्या वह किसी ओहदे से बेईमानी के लिए पदच्युत नहीं किया गया था। वह इसका प्रत्याख्यान करता है।
यह दर्शित करने के लिए कि वह बेईमानी के लिए पदच्युत किया गया था, साक्ष्य प्रस्थापित किया जाता है। यह साक्ष्य ग्राह्य नहीं है।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 153 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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