भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 50 | नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है | Indian Evidence Act Section- 50 in hindi| Opinion on relationship, when relevant.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 50 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 50, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 50 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 50 के अन्तर्गत जब न्यायालय को एक व्यक्ति की किसी अन्य के साथ नातेदारी के बारे में राय बनानी हो, तब ऐसी नातेदारी के अस्तित्व के बारे में ऐसे किसी व्यक्ति के आचरण द्वारा अभिव्यक्त राय, जिसके पास कुटुम्ब के सदस्य के रूप में या अन्यथा उस विषय के सम्बन्ध में ज्ञान के विशेष साधन हैं, सुसंगत तथ्य हैं।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 50 के अनुसार

नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है-

जबकि न्यायालय को एक व्यक्ति की किसी अन्य के साथ नातेदारी के बारे में राय बनानी हो, तब ऐसी नातेदारी के अस्तित्व के बारे में ऐसे किसी व्यक्ति के आचरण द्वारा अभिव्यक्त राय, जिसके पास कुटुम्ब के सदस्य के रूप में या अन्यथा उस विषय के सम्बन्ध में ज्ञान के विशेष साधन हैं, सुसंगत तथ्य हैं:
परन्तु भारतीय विवाह-विच्छेद अधिनियम, 1869 (1869 का 4) के अधीन कार्यवाहियों में या भारतीय दण्ड संहिता, (1860 का 45) की धारा 494, 495, 497 या 498 के अधीन अभियोजनों में ऐसी राय विवाह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।

Opinion on relationship, when relevant-
When the Court has to form an opinion as to the relationship of one person to another, the opinion, expressed by conduct, as to the existence of such relationship, of any person who, as a member of the family or otherwise, has special means of knowledge on the subject, is a relevant fact :
Provided that such opinion shall not be sufficient to prove a marriage in proceedings under the Indian Divorce Act, 1869 (4 of 1869), or in prosecutions under Sections 494, 495, 497 or 498 of the Indian Penal Code (45 of 1860).

दृष्टान्त
(क) प्रश्न यह है कि क्या क और ख विवाहित थे।
यह तथ्य कि वे अपने मित्रों द्वारा पति और पत्नी के रूप में प्राय: स्वीकृत किये जाते थे और उनसे वैसा बर्ताव किया जाता था, सुसंगत है।
(ख) प्रश्न यह है कि क्या क, ख का धर्मज पुत्र है। यह तथ्य कि कुटुम्ब के सदस्यों द्वारा क से सदा उस रूप में बर्ताव किया जाता था, सुसंगत है।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 50 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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