भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-16) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 16 के अनुसार अनुचित प्रभाव” या “गलत प्रभाव” यह शब्द विशेष रूप से संदिग्धता, अस्पष्टता और गलत या हानिकारक प्रभाव को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है। जब किसी क्रिया, निर्णय, व्यवहार, योजना या सामरिक प्रयास का प्रभाव अनुचित या गलत होता है और इससे नकारात्मक परिणाम होता है, तो हम इसे “असम्यक् असर” कहते हैं। इसे विशेष रूप से समझौते, नियम, नीतियों, निर्देशों, अधिनियमों, संविधान आदि के प्रभाव को व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है, जिसे IC Act Section-16 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 16 (Indian Contract Act Section-16) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 16 IC Act Section-16 के अनुसार अनुचित प्रभाव” या “गलत प्रभाव” यह शब्द विशेष रूप से संदिग्धता, अस्पष्टता और गलत या हानिकारक प्रभाव को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है। जब किसी क्रिया, निर्णय, व्यवहार, योजना या सामरिक प्रयास का प्रभाव अनुचित या गलत होता है और इससे नकारात्मक परिणाम होता है, तो हम इसे “असम्यक् असर” कहते हैं। इसे विशेष रूप से समझौते, नियम, नीतियों, निर्देशों, अधिनियमों, संविधान आदि के प्रभाव को व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 16 (IC Act Section-16 in Hindi)
असम्यक् असर” की परिभाषा-
(1) संविदा असम्यक् असर द्वारा उत्प्रेरित कही जाती है जहाँ कि पक्षकारों के बीच विद्यमान सम्बन्ध ऐसे हैं कि उनमें से एक पक्षकार दूसरे पक्षकार की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में है और उस स्थिति का उपयोग उस दूसरे पक्षकार से अऋजु फायदा अभिप्राप्त करने के लिए करता है।
(2) विशिष्टतया और पूर्ववर्ती सिद्धान्त की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना यह है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में समझा जाता है जबकि वह —
(क) उस अन्य पर वास्तविक या दृश्यमान प्राधिकार रखता है, या उस अन्य के साथ वैश्वासिक सम्बन्ध की स्थिति में है; अथवा
(ख) ऐसे व्यक्ति के साथ संविदा करता है जिसकी मानसिक सामर्थ्य पर आयु, रुग्णता या मानसिक या शारीरिक कष्ट के कारण अस्थायी या स्थायी रूप से प्रभाव पड़ा है।
(3) जहाँ कि कोई व्यक्ति, जो किसी अन्य की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में हो, उसके साथ संविदा करता है; और वह संव्यवहार देखने से ही या दिए गए साक्ष्य के आधार पर लोकात्माविरुद्ध प्रतीत होता है वहाँ यह साबित करने का भार कि ऐसी संविदा असम्यक् असर से उत्प्रेरित नहीं की गई थी, उस व्यक्ति पर होगा जो उस अन्य की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में था।
इस उपधारा की कोई भी बात भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की धारा 111 के उपबन्धों पर प्रभाव नहीं डालेगी।
दृष्टान्त
(क) ‘क’, जिसने अपने पुत्र को उसकी अप्राप्तवयता के दौरान धन उधार दिया था, ‘ख’ के प्राप्तवय होने पर अपने पैत्रिक असर के दुरुपयोग द्वारा उससे उस उधार धन की बाबत् शोध्य राशि से अधिक रकम के लिए एक बन्धपत्र अभिप्राप्त कर लेता है। ‘क’ असम्यक् असर का प्रयोग करता है।
(ख) रोग या आयु के क्षीण हुए मनुष्य ‘क’ पर ‘ख’ का, जो असर उसके चिकित्सीय परिचारक के नाते है, उस असर से ‘ख’ को उसकी वृत्तिक सेवाओं के लिए एक अयुक्तियुक्त राशि देने का करार करने के लिए ‘क’ उत्प्रेरित किया जाता है। ‘ख’ असम्यक् असर का प्रयोग करता है।
(ग) ‘क’ अपने ग्राम के साहूकार ‘ख’ का ऋणी होते हुए एक नई संविदा करके ऐसे निबन्धनों पर धन उधार लेता है जो लोकात्माविरुद्ध होते हैं। यह साबित करने का भार कि संविदा असम्यक् असर में उत्प्रेरित नहीं की गई थी, ‘ख’ पर है।
(घ) ‘क’ एक बैंककार से उधार के लिए ऐसे समय में आवेदन करता है, जब धन के बाजार में तंगी है। बैंककार ब्याज की अप्रायिक ऊँची दर पर देने के सिवाय उधार देने से इन्कार कर देता है, ‘क’ उन निबन्धनों पर उधार प्रतिगृहीत करता है। यह संव्यवहार कारबार के मामूली अनुक्रम में हुआ है, और यह संविदा असम्यक् असर से उत्प्रेरित नहीं है।
Indian Contract Act Section-16 (IC Act Section-16 in English)
“Undue influence’ defined-
(1) A contract is said to be induced by ‘undue influence where the relations subsisting between the parties are such that one of the parties is in a position to dominate the will of the other and uses that position to obtain an unfair advantage over the other.
(2) In particular and without prejudice to the generality of the foregoing principle, a person is deemed to be in a position to dominate the will of another
(a) where he holds a real or apparent authority over the other, or where he stands in a fiduciary relation to the other; or
(b) where he makes a contract with a person whose mental capacity is temporarily or permanently affected by reason of age, illness, or mental or bodily distress.
(3) Where a person who is in a position to dominate the will of another, enters into a contract with him, and the transaction appears, on the face of it or on the evidence adduced, to be unconscionable, the burden of proving that such contract was not induced by undue influence shall be upon the person in a position to dominate the will of the other.
Nothing in the sub-section shall affect the provisions of section 111 of the Indian Evidence Act, 1872 (1 of 1872),
Illustrations
(a) A having advanced money to his son, B, during his minority, upon B’s coming of age obtains, by misuse of parental influence, a bond from B for a greater amount than the sum due in respect of the advance. A employs undue influence.
(b) A, a man enfeebled by disease or age, is induced, by B’s influence over him as his medical attendant, to agree to pay B an unreasonable sum for his professional services, B employes undue influence.
(C) A, being in debt to B, the money-lender of his village, contracts a fresh loan on terms which appear to be unconscionable. It lies on B to prove that the contract was not induced by undue influence.
(d) A applies to a banker for a loan at a time when there is stringency in the money market. The banker declines to make the loan except at an unusually high rate of interest. A accepts the loan on these terms. This is a transaction in the ordinary course of business, and the contract is not induced by undue influence.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 16 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।