नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 479 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 479 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 479 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 479 के अन्तर्गत कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी ऐसे मामले का, जिसमें वह पक्षकार है, या वैयक्तिक रूप से हितबद्ध है, उस न्यायालय की अनुज्ञा के बिना, जिसमें उसके न्यायालय से अपील होती है, न तो विचारण करेगा और न उसे विचारणा सुपुर्द करेगा और न कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट अपने द्वारा पारित या किए गए किसी निर्णय या आदेश की अपील ही सुनेगा।
सीआरपीसी की धारा 479 के अनुसार
वह मामला जिसमें न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट वैयक्तिक रूप से हितबद्ध है-
कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी ऐसे मामले का, जिसमें वह पक्षकार है, या वैयक्तिक रूप से हितबद्ध है, उस न्यायालय की अनुज्ञा के बिना, जिसमें उसके न्यायालय से अपील होती है, न तो विचारण करेगा और न उसे विचारणा सुपुर्द करेगा और न कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट अपने द्वारा पारित या किए गए किसी निर्णय या आदेश की अपील ही सुनेगा।
Case in which Judge or Magistrate is personally interested-
No Judge or Magistrate shall, except with the permission of the Court to which an appeal lies from his Court, try or commit for trial any case to or in which he is a party, or personally interested, and no Judge or Magistrate shall hear, an appeal from any judgment or order passed or made by himself.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 479 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।