आज हम लिखित अथवा मौखिक रूप से प्रकट की गयी अभियुक्त की स्वतंत्रता के सम्बन्ध मे सम्पूर्ण जानकारी आपके साथ साझा करेंगे। इसके अलावा किसी व्यक्ति को अपनी बात प्रकट करने की क्या स्वतंत्रता हमारे भारत के संविधान मे दिया गया है, यह भी जानकारी देंगे। भाषण एवंम् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech and Expression) के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी इस लेख के माध्यम जानेंगें। किसी व्यक्ति को अपनी बात लिखित या मौखिक रूप से समाज के समक्ष रखने के कुछ नियम एवंम् सयंम होते है, जिसके तहत वह अपने कथन को समाज के प्रति रखा जा सकता है, जिसे हमारे संविधान मे अनुच्छेद-19 (Article-19) मे परिभाषित किया गया है।
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संविधान के भाग 3 में मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है ये अधिकार प्रत्येक नागरिक के विकास के लिए बेहद जरूरी है, Article-19, को भी मौलिक अधिकार की श्रेणी में रखा गया है। आज हम इस लेख में अनुच्छेद 19 में वर्णित विभिन्न प्रकार के मौलिक अधिकार के बारे में भी जानेंगे साथ ही, इनका क्या अर्थ होता है, यह स्पष्ट करेंगे। आखिर आर्टिकल 19 क्या है। What is Article 19 (Freedom of Speech and Expression) in Hindi.
आर्टिकल-19 मे प्रत्येक व्यक्ति अपनी लिखित एवंम् मौखिक बात रखने के लिये भारत के संविधान मे अधिकारों को परिभाषित किया गया है। भाषण एवंम् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार होता है। यह अधिकार आम नागरिक एवंम् पत्रकारिता/प्रेस के विचारो को प्रकट करने की स्वतंत्रता पर भी आधारित है।
आर्टिकल 19 क्या है ? (What is Article 19)
भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत लिखित और मौखिक रूप से अपना मत प्रकट करने हेतु अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रावधान किया गया है, किंतु अभियक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है इस पर युक्तियुक्त निर्बंधन हैं। भारत की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता पर खतरे की स्थिति में, वैदेशिक संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव की स्थिति में, न्यायालय की अवमानना की स्थिति में इस अधिकार को बाधित किया जा सकता है। भारत के सभी नागरिकों को विचार करने, भाषण देने और अपने व अन्य व्यक्तियों के विचारों के प्रचार की स्वतंत्रता प्राप्त है। प्रेस/पत्रकारिता भी विचारों के प्रचार का एक साधन ही है इसलिये अनुच्छेद 19 में प्रेस की स्वतंत्रता भी सम्मिलित है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of expression) या बोलने की स्वतंत्रता (freedom of speech) किसी व्यक्ति या समुदाय द्वारा अपने मत और विचार को बिना प्रतिशोध, अभिवेचन या दंड के डर के प्रकट कर पाने की स्थिति होती है। इस स्वतंत्रता को सरकारें, जनसंचार कम्पनियाँ, और अन्य संस्थाएँ बाधित कर सकती हैं। इसलिये यह अधिकार प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार माना गया है। अनुच्छेद 19 में प्रयुक्त ‘अभिव्यक्ति’ शब्द इसके क्षेत्र को बहुत विस्तृत कर देता है। विचारों के व्यक्त करने के जितने भी माध्यम हैं जैसे लिखित अथवा मौखिक वे अभिव्यक्ति, पदावली के अन्तर्गत आ जाते हैं। इस प्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में प्रेस की स्वतन्त्रता भी सम्मिलित है। विचारों का स्वतन्त्र प्रसारण ही इस स्वतन्त्रता का मुख्य उद्देश्य है। यह भाषण द्वारा या समाचार-पत्रों द्वारा किया जा सकता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में किसी व्यक्ति के विचारों को किसी ऐसे माध्यम से अभिव्यक्त करना सम्मिलित है जिससे वह दूसरों तक उन्हे संप्रेषित(Communicate) कर सके। इस प्रकार इनमें संकेतों, अंकों, चिह्नों तथा ऐसी ही अन्य क्रियाओं द्वारा किसी व्यक्ति के विचारों की अभिव्यक्ति सम्मिलित है।
संविधान के अनुच्छेद 19 में 6 तरह की स्वतंत्रताओं का उल्लेख है जो निम्न है – संविधान के अनुच्छेद 19 में 6 तरह की स्वतंत्रताओं के बारे में एक एक करके हम देखने का प्रयास करते हैं।
क्रम सं0 | अनुच्छेद | स्वंत्रतता |
1 | 19(A) | बोलने की आजादी |
2 | 19(B) | सभा की आजादी |
3 | 19(C) | संघ बनाने की आजादी |
4 | 19(D) | पूरे देश मेँ आने जाने की आजादी |
5 | 19(E) | पूरे देश मेँ बसने की/रहने की आजादी |
6 | 19(G) | कोई भी व्यापार एवं जीविका की आजादी |
अनुच्छेद-19 (Indian Constitution Article 19)
“Protection of certain rights regarding freedom of speech, etc”–
“भाषण की स्वतंत्रता आदि के संबंध में कतिपय अधिकारों का संरक्षण”-
All citizens shall have the right-
(a) to freedom of speech and expression;
(b) to assemble peaceably and without arms;
(c) to form associations or unions 2[or co-operative societies];
(d) to move freely throughout the territory of India;
(e) to reside and settle in any part of the territory of India; 3[and]
(g) to practise any profession, or to carry on any occupation, trade or business.
सभी नागरिकों को अधिकार होगा-
(क) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए;
(ख) शांतिपूर्वक और हथियारों के बिना इकट्ठा होने के लिए;
(ग) संघों या यूनियनों 2 [या सहकारी समितियों] बनाने के लिए;
(घ) भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने के लिए;
(ड़) भारत के क्षेत्र के किसी भी हिस्से में रहने और बसने के लिए; 3 [और]
(छ) कोई व्यवसाय करना, या कोई उपजीविका, व्यापार या व्यापार करना।
अनुच्छेद-19(A) | बोलने की आजादी (freedom of speech)
भारत के संविधान मे आर्टिकल 19(A) में भारत के सभी नागरिकों को विचार करने, भाषण देने और अपने व अन्य व्यक्तियों के विचारों के प्रचार की स्वतंत्रता (freedom of speech and expression) प्राप्त है। प्रेस भी अपने विचारों के प्रचार का एक साधन होने के कारण Article-19(A) में प्रेस की स्वतंत्रता भी शामिल है लेकिन नागरिकों को विचार और अभिव्यक्ति की यह स्वतंत्रता असीमित रूप से प्राप्त नहीं है।
भारत के संविधान मे प्रत्येक व्यक्ति को बोलने का अधिकार जन्मजात दिया गया है यदि प्रत्येक व्यक्ति को बोलना बंद कर दिया गया तो हमारी आवाज़ और हमारे विचार सीमित हो जाएंगे। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(A) के अंदर हमें बोलने की स्वतंत्रता दी गई है और इसे लागू भी किया गया है , यह हमारा मौलिक अधिकार है अतः यदि कोई व्यक्ति किसी के बोलने पर पाबंधी अथवा अपनी बात रखने पर एतराज करता है, तो हम न्यायालय भी जा सकते हैं।
अनुच्छेद-19(B) | सभा की आजादी (freedom of assembly)
भारत के संविधान मे आर्टिकल 19(B) में व्यक्तियों के द्वारा अपने विचारों के प्रचार के लिए शांतिपूर्वक और बिना किन्हीं शस्त्रों के सभा या सम्मलेन करने का अधिकार प्रदान किया गया है और व्यक्तियों द्वारा जुलूस या प्रदर्शन का आयोजन भी किया जा सकता है। यहाँ भी यह स्वतंत्रता (assemble peacefully and without arms) असीमित नहीं है और राज्य के द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा के हित में व्यक्ति की इस स्वतंत्रता को सीमित किया जा सकता है।
भारत के संविधान मे प्रत्येक व्यक्ति को सभा बनाने/सभा मे उपस्थित होने की आजादी है, प्रत्येक व्यक्ति को शांतिपूर्वक और बिना किन्हीं शस्त्रों के सभा या सम्मलेन बनाने या उपस्थित होने की आजादी दिया गया है। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(B) के अंदर सभा बनाने या उपस्थित होने की स्वतंत्रता दी गई है और इसे लागू भी किया गया है , यह हमारा मौलिक अधिकार है अतः यदि कोई व्यक्ति किसी को सभा बनाने या उपस्थित होने पर एतराज करता है, तो हम न्यायालय भी जा सकते हैं।
अनुच्छेद-19(C) | संघ बनाने की आजादी (freedom of association)
भारत के संविधान मे आर्टिकल 19(C) मे सभी नागरिकों को समुदायों और संघों के निर्माण की स्वतंत्रता प्रदान की गई है परन्तु यह स्वतंत्रता भी उन प्रतिबंधों के अधीन है, जिन्हें राज्य साधारण जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए लगाता है। इस स्वतंत्रता की आड़ में व्यक्ति ऐसे समुदायों का निर्माण नहीं कर सकता जो षड्यंत्र करें अथवा सार्वजनिक शान्ति और व्यवस्था को भंग करें।
भारत के संविधान मे प्रत्येक व्यक्ति को संघ बनाने या उपस्थित होने की आजादी है, प्रत्येक व्यक्ति को सार्वजनिक शांति और बिना किसी षणयंत्र के अथवा किसी आम नागरिक को कोई परेशानी को ध्यान मे रखते हुये ऐसे संघ बनाने या उपस्थित होने की आजादी दी गयी है। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(C) के अंदर संघ बनाने या उपस्थित होने की स्वतंत्रता दी गई है और इसे लागू भी किया गया है , यह हमारा मौलिक अधिकार है अतः यदि कोई व्यक्ति किसी को संघ बनाने या उपस्थित होने पर एतराज करता है, तो हम न्यायालय भी जा सकते हैं।
अनुच्छेद-19(D) | पूरे देश मे आने-जाने की आजादी (freedom of movement throughout the country)
भारत के संविधान मे आर्टिकल 19(D) भारत के सभी नागरिक बिना किसी प्रतिबंध या विशेष अधिकार-पत्र के सम्पूर्ण भारतीय क्षेत्र में कही भी घूम सकते हैं।
भारत के संविधान मे प्रत्येक व्यक्ति को पूरे भारत देश मे आने-जाने की आजादी है, प्रत्येक व्यक्ति को किसी गैर-इरादे (भागने के उद्देश्य निहित न हो) अथवा किसी आम नागरिक को किसी परेशानी को ध्यान मे रखते हुये ऐसे भारत के किसी भी राज्य मे घूमने की आजादी दी गयी है। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(D) के अंदर पूरे भारत देश मे घूमने की आजादी की स्वतंत्रता दी गई है और इसे लागू भी किया गया है , यह हमारा मौलिक अधिकार है अतः यदि कोई व्यक्ति किसी को भारत के किसी राज्य मे आने-जाने पर एतराज करता है, तो हम न्यायालय भी जा सकते हैं।
अनुच्छेद-19(E) | पूरे देश मेँ बसने की/रहने की आजादी (Freedom to settle/reside throughout the country)
भारत के संविधान मे आर्टिकल 19(E) भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत में कहीं भी रहने या बस जाने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। भ्रमण और निवास के सम्बन्ध में यह व्यवस्था संविधान द्वारा अपनाई गई इकहरी नागरिकता के अनुरूप है, भ्रमण और निवास की इस स्वतंत्रता पर भी राज्य सामान्य जनता के हित और अनुसूचित जातियों और जनजातियों के हितों में यक्ति-युक्त प्रतिबंध लगा सकता है।
भारत के संविधान मे प्रत्येक व्यक्ति को पूरे भारत देश मे बसने या रहने की आजादी है, प्रत्येक व्यक्ति को किसी गैर-इरादे (भागने के उद्देश्य निहित न हो) अथवा किसी आम नागरिक को किसी परेशानी को ध्यान मे रखते हुये ऐसे भारत के किसी भी राज्य मे बसने या रहने की आजादी दी गयी है। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(E) के अंदर पूरे भारत देश मे बसने या रहने की आजादी की स्वतंत्रता दी गई है और इसे लागू भी किया गया है , यह हमारा मौलिक अधिकार है अतः यदि कोई व्यक्ति किसी को भारत के किसी राज्य मे बसने या रहने पर एतराज करता है, तो हम न्यायालय भी जा सकते हैं।
अनुच्छेद-19(G) | कोई भी व्यापार एवं जीविका की आजादी (Freedom of any trade and livelihood)
भारत के संविधान मे आर्टिकल 19(G) भारत में सभी नागरिकों को इस बात की स्वतंत्रता है कि वे अपनी आजीविका के लिए कोई भी पेशा, व्यापार या कारोबार कर सकते हैं | राज्य साधारणतया व्यक्ति को न तो कोई विशेष नौकरी, व्यापार या व्यवसाय करने के लिए बाध्य करेगा और न ही उसके इस प्रकार के कार्य में बाधा डालेगा. किन्तु इस सबंध में भी राज्य को यह अधिकार प्राप्त है कि वह कुछ व्यवसायों के सम्बन्ध में आवश्यक योग्यताएं निर्धारित कर सकता है अथवा किसी कारोबार या उद्योग को पूर्ण अथवा आंशिक रूप से अपने हाथ में ले सकता है।
भारत के संविधान मे प्रत्येक व्यक्ति को पूरे भारत देश मे कोई भी नौकरी, व्यापार करके जीविका चलाने की आजादी है, बशर्ते किसी गैर-कानूनी तरीके व्यापार से नही। प्रत्येक व्यक्ति को नौकरी, व्यापार करके जीविका चलाने की आजादी है। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(G) के अंदर पूरे भारत देश मे कोई भी नौकरी, व्यापार एवं किसी प्रकार से जीविका अर्जित करने की स्वतंत्रता दी गई है और इसे लागू भी किया गया है , यह हमारा मौलिक अधिकार है अतः यदि कोई व्यक्ति किसी को भारत के किसी राज्य मे कोई भी नौकरी, व्यापार एवं अन्य कोई जीविका अर्जित करने पर एतराज करता है, तो हम न्यायालय भी जा सकते हैं।
नोट- भारत के संविधान के भाग 3 मे मौलिक अधिकारो मे अनुच्छेद-19 भी, प्रत्येक व्यक्ति का एक जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन जो कोई व्यक्ति इस अधिकार का अनुचित लाभ उठाता है जैसे- भारत की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता पर खतरा जैसे स्थिति मे, वैदेशिक संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव की स्थिति में, न्यायालय की अवमानना की स्थिति में उपरोक्त अधिकारों को बाधित करता है अथवा अपने शब्दों से किसी को ठेस पहुचाता है, जो गैर-कानूनी होता है, तो ऐसी दशा मे वह व्यक्ति दोषी माना जायेगा।
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हमारा प्रयास अनुच्छेद-19 (Article-19) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech and Expression) की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।