कंपनी अधिनियम Companies Act (Companies Act Section-70 in Hindi) के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कंपनी अधिनियम की धारा 70 के अनुसार यदि कंपनी द्वारा इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व या उसके पश्चात् स्वीकृत निक्षेपों के प्रतिसंदाय में कोई व्यतिक्रम किया जाता है तो किसी शेयर धारक को उस पर व्याज का संदाय, डिबेंचरों या अधिमानी शेयरों का मोचन या किसी शेयर धारक को लाभांश का संदाय या किसी वित्तीय संस्था या बैंककारी कंपनी को किसी कालिक ऋण या उस पर संदेय ब्याज का प्रतिसंदाय, क्रय नहीं करेगी, जिसे Companies Act Section-70 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
कंपनी अधिनियम की धारा 70 (Companies Act Section-70) का विवरण
कंपनी अधिनियम की धारा 70 Companies Act Section-70 के अनुसार यदि कंपनी द्वारा इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व या उसके पश्चात् स्वीकृत निक्षेपों के प्रतिसंदाय में कोई व्यतिक्रम किया जाता है तो किसी शेयर धारक को उस पर व्याज का संदाय, डिबेंचरों या अधिमानी शेयरों का मोचन या किसी शेयर धारक को लाभांश का संदाय या किसी वित्तीय संस्था या बैंककारी कंपनी को किसी कालिक ऋण या उस पर संदेय ब्याज का प्रतिसंदाय, क्रय नहीं करेगी।
कंपनी अधिनियम की धारा 70 (Companies Act Section-70 in Hindi)
कतिपय परिस्थितियों में क्रय द्वारा वापसी के लिए प्रतिषेध-
(1) कोई कंपनी अपने ही शेयरों या अन्य विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों का प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः
(क) किसी समनुषंगी कंपनी के माध्यम से, जिसके अंतर्गत उसकी अपनी समनुषंगी कंपनियां भी हैं; –
(ख) किसी विनिधान कंपनी या विनिधान कंपनियों के समूह के माध्यम से; या
(ग) यदि कंपनी द्वारा इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व या उसके पश्चात् स्वीकृत निक्षेपों के प्रतिसंदाय में कोई व्यतिक्रम किया जाता है तो किसी शेयर धारक को उस पर व्याज का संदाय, डिबेंचरों या अधिमानी शेयरों का मोचन या किसी शेयर धारक को लाभांश का संदाय या किसी वित्तीय संस्था या बैंककारी कंपनी को किसी कालिक ऋण या उस पर संदेय ब्याज का प्रतिसंदाय, क्रय नहीं करेगीः
परंतु क्रय द्वारा वापसी का प्रतिषेध नहीं किया गया है, यदि व्यतिक्रम को उपचारित किया गया है और ऐसे व्यतिक्रम के समाप्त होने के पश्चात् तीन वर्ष की अवधि व्यपगत हो गई है।
(2) कोई कंपनी, प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उसके स्वयं के शेयरों या अन्य विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों का क्रय नहीं करेगी, यदि ऐसी कंपनी ने धारा 92, धारा 123, धारा 127 और धारा 129 के उपबंधों का अनुपालन नहीं किया है।
Companies Act Section-70 (Company Act Section-70 in English)
Prohibition for buy-back in certain circumstances–
(1) No company shall directly or indirectly purchase its own shares or other specified securities—
(a) through any subsidiary company including its own subsidiary companies;
(b) through any investment company or group of investment companies; or
(c) if a default is made by the company, in the repayment of deposits accepted either before or after the commencement of this Act, interest payment thereon, redemption of debentures or preference shares or payment of dividend to any shareholder, or repayment of any term loan or interest payable thereon to any financial institution or banking company:
Provided that the buy-back is not prohibited if the default is remedied and a period of three years has lapsed after such default ceased to subsist.
(2) No company shall, directly or indirectly, purchase its own shares or other specified securities in case such company has not complied with the provisions of sections 92, 123, 127 and section 129.
हमारा प्रयास कंपनी अधिनियम (Companies Act Section) की धारा 70 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स मे कमेंट करके पूछ सकते है।