नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 125 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को अपने पुत्र, पुत्री, पत्नी एवंम् वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण का दायित्व होता है, भरण-पोषण से सम्बन्धित कई न्यायिक निर्णय भी इस सम्बन्ध मे आये हुये है, जिनके आधार पर किसी व्यक्ति को अपने आश्रितों का भरण-पोषण समाजिक दायित्व है। यह धारा भरण पोषण के लिये कोई व्.
सीआरपीसी की धारा 125 के अनुसार
पत्नी, सन्तान माता-पिता के भरण-पोषण के लिए आदेश-
(क) अपनी पत्नी का, जो अपना भरणपोषण करने में असमर्थ है, या
(ख) अपनी धर्मज या अधर्मज अवयस्क सन्तान का, चाहे विवाहित हो या न हो, जो अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हैं या
(ग) अपनी धर्मज या अधर्मज संतान का (जो विवाहित पुत्री नहीं है), जिसने वयस्कता प्राप्त कर ली है, जहां ऐसी संतान किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता या क्षति के कारण अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है, या
(घ) अपने पिता या माता का, जो अपना भरणपोषण करने में असमर्थ है,
भरण-पोषण करने में उपेक्षा करता है या भरण-पोषण करने से इन्कार करता है तो प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट, ऐसी उपेक्षा या इंकार के साबित हो जाने पर, ऐसे व्यक्ति को यह निदेश दे सकता है कि वह अपनी पत्नी या ऐसी सन्तान, पिता या माता के भरण-पोषण के लिए। ऐसी मासिक दर पर, जिसे मजिस्ट्रेट ठीक समझे, मासिक भत्ता और उस भत्ते का संदाय ऐसे व्यक्ति को करे जिसको संदाय करने का मजिस्ट्रेट समय समय पर निदेश दे।
Order for maintenance of wives, children and parents-Order for maintenance of wives, children and parents-
(a) his wife, unable to maintain herself, or
(b) his legitimate or illegitimate minor child, whether married or not, unable to maintain itself, or
(c) his legitimate or illegitimate child (not being a married daughter) who has attained majority, where such child is, by reason of any physical or mental abnormality or injury unable to maintain itself, or
(d) his father or mother, unable to maintain himself or herself,
a Magistrate of the first class may, upon proof of such neglect or refusal, order such person to make a monthly allowance for the maintenance of his wife or such child, father or mother, at such monthly rate, as such Magistrate thinks fit, and to pay the same to such person as the Magistrate may from time to time direct.
दण्ड प्रकिया संहिता की धारा-125 के अन्तर्गत वृद्ध माता-पिता, पत्नी एवंम् बच्चो के भरण-पोषण के अधिकारो के लिये मुख्य बाते-
भारतीय संविधान मे प्रत्येक व्यक्ति को अपने पुत्र, पुत्री, पत्नी एवंम् वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण का दायित्व होता है, भरण-पोषण से सम्बन्धित कई न्यायिक निर्णय भी इस सम्बन्ध मे आये हुये है, जिनके आधार पर किसी व्यक्ति को अपने आश्रितों का भरण-पोषण देना समाजिक दायित्व है, जिसे प्रत्येक को पूर्ण करना होता है अथवा वह व्यक्ति अगर सक्षम नही है तो वह न्यायालय व्दारा अपने दायित्व को चैलेन्ज कर सकता है, इस सम्बन्ध मे बहुत से निर्णय न्यायालय व्दारा भरण-पोषण का अधिकार दिलाया गया है।
दण्ड प्रकिया संहिता की धारा-125 के अन्तर्गत वही व्यक्ति अथवा महिला भरण पोषण का अधिकार प्राप्त कर सकता है, भरण-पोषण तभी न्यायाय व्दारा दिलाया जा सकता है, जब वह व्यक्ति अपना जीवन यापन चलाने मे समर्थ है, अगर स्वयं का जीवन यापन चलाने मे असमर्थ है तो भरण-पोषण पाने के अधिकारी नही होगें ।
दण्ड प्रकिया संहिता की धारा-125 से धारा-128 तक की व्यक्ति को कभी दण्डित करने का नही रहा है और न ही धारा-125 से धारा-128 तक की दण्ड की श्रेणी मे आती है ।
भरण-पोषण किसे-किसे दिया जा सकता है-
भरण-पोषण मुख्यतः अपने पिता, पुत्र, पत्नी अथवा पति को दिया जाने का कानूनी दायित्व है एवंम् आप अपने उन सम्बन्धियों जो पूर्ण रूप से आप पर निर्भर है, एवंम् वह अपना जीवन यापन स्वंय का करने मे सक्षम नही है।
जब कोई पुत्र मानसिक विक्षिप्त है और वह अपना जीवन यापन नही कर सकता है, तब पिता का दायित्व होता है कि पुत्र को भरण-पोषण देने का, इसी प्रकार से पुत्र अपने वृद्ध माता-पिता का पूर्ण दायित्व होता है कि वृद्ध माता-पिता को भरण-पोषण करे ।
इसी तरह से पत्नी अगर तलाक-शुदा भी है, वह अपना जीवन यापन करने मे समर्थ नही है और अकेले ही जीवन यापन कर रही है तो भी आप उसे भरण पोषण देने के बाध्य होंगें अथवा वह तलाक के पश्चात् भी अपना जीवन यापन करने के लिये भरण-पोषण की मांग कर सकती है । दण्ड प्रकिया संहिता 125 के अन्तर्गत अपनी धर्मज अथवा अधर्मज अवयस्क संतान का, चाहे विवाहित हो या न हो, जो भरण-पोषण करने मे असमर्थ हो, तो वह अपने पिता से भरण-पोषण की मांग कर सकता है तथा वह संन्तान जो धर्मज अथवा अधर्मज हो,किसी शारीरिक अथवा मानसिक क्षति के कारण भरण-पोषण करने मे असमर्थ है, तो उसका पिता भरण-पोषण करेगा ।
हमारा प्रयास दण्ड प्रकिया संहिता की धारा-125 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।