नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 180 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 180 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 180 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 180 के अन्तर्गत जब कोई कार्य किसी ऐसे अन्य कार्य से सम्बन्धित होने के कारण अपराध है, जो स्वयं भी अपराध है या अपराध होता यदि कर्त्ता अपराध करने के लिए समर्थ होता, तब प्रथम वर्णित अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर उन दोनों में से कोई भी कार्य किया गया है। यह धारा 180 ऐसे मामलों में जहां कार्य अन्य अपराध से सम्बन्धित होने के कारण अपराध है वहां विचारण का स्थान की जांच प्रक्रिया को बतलाता है।
सीआरपीसी की धारा 180 के अनुसार
जहां कार्य अन्य अपराध से सम्बन्धित होने के कारण अपराध है वहां विचारण का स्थान-
जब कोई कार्य किसी ऐसे अन्य कार्य से सम्बन्धित होने के कारण अपराध है, जो स्वयं भी अपराध है या अपराध होता यदि कर्त्ता अपराध करने के लिए समर्थ होता, तब प्रथम वर्णित अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर उन दोनों में से कोई भी कार्य किया गया है।
Place of trial where act is an offence by reason of relation to other offence-
When an act is an offence by reason of its relation to any other act which is also an offence or which would be an offence if the doer were capable of committing an offence, the first-mentioned offence may be inquired into or tried by a Court within whose local jurisdiction either act was done.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 180 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।