नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 200 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 200 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 200 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 200 के अन्तर्गत जब कोई अपराध कारित होता है, तो जिस भी व्यक्ति के साथ अपराध हुआ है अथवा जिस भी किसी व्यक्ति उस अपराध के संबंध में शिकायत करनी हो, उसे शिकायतकर्ता कहा जाता हैं, शिकायतकर्ता को ही परिवादी कहते है, जब कोई परिवादी किसी अपराध के संबध में कोई शिकायत दर्ज कराता है, तो परिवादी से शिकायत लेखाबद्ध रूप में ली जाती है साथ ही उस अपराध के समय कोई साक्षी उपस्थित था, तो वह भी परिवादी के साथ लेखाबद्घ किया किया जाएगा। परिवादी और और साक्षियों का मजिस्ट्रेट द्वारा परीक्षा ली जाती है अर्थात् अपराध कारित होने की पूर्ण जानकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष लेखाबद्ध कर हस्ताक्षरित कराया जाता है। यह धारा 200 परिवादी की परीक्षा प्रकिया को बताता है।
सीआरपीसी की धारा 200 के अनुसार
परिवादी की परीक्षा-
परिवाद पर किसी अपराध का संज्ञान करने वाला मजिस्ट्रेट, परिवादी को और यदि कोई साक्षी उपस्थित है तो उनकी शपथ पर परीक्षा करेगा और ऐसी परीक्षा का सारांश लेखबद्ध किया जाएगा और परिवादी और साक्षियों द्वारा तथा मजिस्ट्रेट द्वारा भी हस्ताक्षरित किया जाएगा :
परन्तु जब परिवाद लिख कर किया जाता है तब मजिस्ट्रेट के लिए परिवादी या साक्षियों की परीक्षा करना आवश्यक न होगा-
(क) यदि परिवाद अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में कार्य करने वाले या कार्य करने का तात्पर्य रखने वाले लोक सेवक द्वारा या न्यायालय द्वारा किया गया है, अथवा
(ख) यदि मजिस्ट्रेट जांच या विचारण के लिए मामले को धारा 192 के अधीन किसी अन्य मजिस्ट्रेट के हवाले कर देता है :
परन्तु यह और कि यदि मजिस्ट्रेट परिवादी या साक्षियों की परीक्षा करने के पश्चात् मामले को धारा 192 के अधीन किसी अन्य मजिस्ट्रेट के हवाले करता है तो बाद वाले मजिस्ट्रेट के लिए उनकी फिर से परीक्षा करना आवश्यक न होगा।
Examination of complainant-
A Magistrate taking cognizance of an offence on complaint shall examine upon oath the complainant and the witnesses present, if any, and the substance of such examination shall be reduced to writing and shall be signed by the complainant and the witnesses, and also by the Magistrate :
Provided that, when the complaint is made in writing, the Magistrate need not examine the complainant and the witnesses-
(a) if a public servant acting or purporting to act in the discharge of his official duties or a court has made the complaint ; or
(b) if the Magistrate makes over the case for inquiry or trial to another Magistrate under Section 192:
Provided further that if the Magistrate makes over the case to another Magistrate under Section 192 after examining the complainant and the witnesses, the latter Magistrate need not re-examine them.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 200 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
Sec 307 ipc me compromise krte huye rupaye dene ka agreement krte huye huf ki property ka partition bhi likh liya Rs 100 ke stamp papper par or bad me revenue court se us agreement ke adhar par partition ki decree banawa li
To kya ye docoment adha Shi or adha galt hoga or kya aese docoment ka court me use krna permissible hai ??
पहले उन दस्तावेजों को कोर्ट मे चलैन्ज करो, और किसी अच्छे वकील से सलाह लेकर धोखाधडी का केस करो।
सन् 2017 में दिल्ली मेरठ हाईवे एक्सप्रेसवे परियोजना को पूर्ण करने के लिए नेशनल हाईवे 24 स्तिथ कालोनी पाण्डव नगर और समसपुर जागीर गांव जिला पूर्वी दिल्ली, दिल्ली धवस्त करी गई थी परियोजना केंद्र सरकार के अधीन थी लेकिन ध्वस्त हो चुके मकानों का मुआवजा राजस्व विभाग जिला पूर्वी दिल्ली की गठित समिति द्वारा दिया गया था जो की दिल्ली सरकार के अधीन है इस समिति का गठन केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के उच्च अधिकारीयों के करीब दस सदस्यों द्वारा गठित करी गई थी लेकिन समिति द्वारा मकानों को ध्वस्त करने से पूर्व फोटोएं खींचने और वीडियो बनाने का प्रावधान नही था केवल भारतीय राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक एवं सर्वे इंजीनियर द्वारा मकानों की सर्वक्षण रिपोर्टों को तैयार किया गया था जिसमें हमारे मकान के प्रथम तल की जानबूझकर झूठी सर्वक्षण रिपोर्ट बनाकर भ्रष्टाचार द्वारा समिति ने केवल ग्राउंड फ्लोर का ही मुआवजा दिया। इस संबंध हमने समिति के सबसे उच्च अधिकारी डीएम साहब से न्याय के लिए शिकायत करी लेकिन डीएम साहब ने हमारी कोई मदद नहीं करी उनका कहना था की समिति द्वारा झूठी रिपोर्ट थोड़े ही नही बनाएंगे समिति में दस सदस्य है क्या सभी झूठी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर देंगे इसी कारण से हमारा परिवार पिछले पांच सालों से किराए के मकान में रह रहा है और आर्थिक स्थिति भी खराब होने के कारण से न्यायलय द्वारा केस दायर नही कर सके और 2020 में कॉरोना महामारी के कारण से पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ था
मेरा आपसे यह प्रश्न है की क्या अब हम दिल्ली उच्च न्यायलय द्वारा केस कर सकते है क्योंकि पांच साल बीत चुके है । क्या हमारे साथ न्याय होगा भ्रष्टाचार के कारण से हमें परेशानियों और आर्थिक दिखे से गुजरना पड़ा है उसके लिए हमें दुगना मुआवजा मिल सकता है न्याय के संबंध किस अधिनियम और धारा के तहत केस दायर किया जाता है या किया जाएगा
कृपया सर्वोच्च न्यायलय के वरिष्ठ वकील साहब से न्याय के संबंध केस दायर के लिए वरिष्ठ वकील साहब बताने की अति कृपा करें
मैं आशा करता हू की न्याय के संबंध आप अवश्य ही हमारे परिवार की वरिष्ठ वकील साहब बताकर निष्पक्ष मदद करेंगे।
आपकी अति कृपा होगी
राकेश कुमार
मोबाईल नंबर 9821763525. केवल कॉल
मोबाईल नम्बर 8860881672(केवल व्हाट्सएप)
पहले निचले कोर्ट से ही लड़ाई शुरू करो। अगर निचली कोर्ट उस पर प्रतिक्रिया करती है तभी हाइकोर्ट जा सकोंगे। डायरेक्ट हाइकोर्ट नही जाया जा सकता है।