नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 307 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 307 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 307 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 307 के अन्तर्गत मामले की सुपुर्दगी के पश्चात् किसी समय किन्तु निर्णय दिए जाने के पूर्व वह न्यायालय जिसे मामला सुपुर्द किया जाता है किसी ऐसे अपराध से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में संबद्ध या संसर्गित समझे जाने वाले किसी व्यक्ति का साक्ष्य विचारण में अभिप्राप्त करने की दृष्टि से उस व्यक्ति को उसी शर्त पर क्षमा-दान कर सकता है।
सीआरपीसी की धारा 307 के अनुसार
क्षमा-दान का निदेश देने की शक्ति-
मामले की सुपुर्दगी के पश्चात् किसी समय किन्तु निर्णय दिए जाने के पूर्व वह न्यायालय जिसे मामला सुपुर्द किया जाता है किसी ऐसे अपराध से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में संबद्ध या संसर्गित समझे जाने वाले किसी व्यक्ति का साक्ष्य विचारण में अभिप्राप्त करने की दृष्टि से उस व्यक्ति को उसी शर्त पर क्षमा-दान कर सकता है।
Power to direct tender of pardon-
At any time after commitment of a case but before judgment is passed, the Court to which the commitment is made may, with a view to obtaining at the trial the evidence of any person supposed to have been directly or indirectly concerned in, or privy to, any such offence, tender a pardon on the same condition to such person.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 307 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।