नमस्कार दोस्तों आज हम आपको GST Returns में डेबिट नोट एवं क्रेडिट नोट भरते समय क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए और जीएसटी रिटर्न के किस कॉलम में भरेंगे, यह भी समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि अधिकतर् कराधेय व्यक्ति द्वारा यह गलती की जा रही है, तो आज लेख के माध्यम से डेबिट नोट एवं क्रेडिट नोट कैसे और कहा भरा जाना चाहिए, जानेंगे।
क्रेडिट नोट एवं डेबिट नोट जारी करते समय हमे सावधानियां बरतने की आवश्यकता है, अधिकांशतः कराधेय व्यक्ति द्वारा Credit Note और Debit Note सही ढंग से बनाते ही नहीं है, इसके अलावा जीएसटी रिटर्न्स में भी छोड़ देते है अथवा गलत ढंग से प्रदर्शित करते है।
क्रेडिट नोट एवं डेबिट नोट जारी करते समय सप्लायर एवं प्राप्तकर्ता के नाम, पते, जीएसटी नम्बर आदि के अतिरिक्त उस इनवाइस की जानकारी देनी होती है जिसके संबंध में इसे जारी किया जा रहा है। इसके साथ ही टैक्सबल सप्लाई का मूल्य, रेट ऑफ टैक्स, टैक्स की राशि जिसे डेबिट या क्रेडिट किया जाना है इसमें दिखानी होती है। इसका प्रावधान रूल 53(1ए) में किया गया है।
डेबिट नोट के आधार पर प्राप्तकर्ता इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकता है लेकिन रूल 53(3) के अनुसार यदि धारा 74, धारा 129 या धारा 130 के तहत डेबिट नोट जारी किया गया है तो उस पर यह लिखा जाना चाहिए कि इस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ प्राप्त होगा या नहीं होगा।
रिटर्न में इसे कहां दिखाये?
जीएसटी रिटर्न जीएसटीआर-3बी में इसे एडजस्ट करना होगा। यदि क्रेडिट नोट जारी किया गया है तो आऊटपुट टैक्स से उसे कम करना होगा तथा डेबिट नोट की स्थिति में इसे आऊटपुट टैक्स जोड़ना होगा।
इसी प्रकार जीएसटीआर-1 में इसे टेबिल नम्बर 9 में दिखाना होगा। ध्यान रहे इसे विक्रेता को ही दिखाना होगा क्रेता को इसे दिखाने की आवश्यकता नहीं है। जीएसटीआर-1 में क्रेडिट नोट दिखाने पर क्रेता का इनपुट टैक्स क्रेडिट स्वतः ही कम हो जायेगा। डेबिट नोट के मामले में क्रेता को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ प्राप्त हो जायेगा ।
प्राप्तकर्ता को क्रेडिट नोट को स्वीकार कर उसकी जानकारी रुल 74 के तहत देनी होगी तभी सप्लायर के आऊटपुट टैक्स का दायित्व कम होगा। इसकी जानकारी MIS-1 में धारा 43(2) के तहत भेजनी होगी। यदि प्राप्तकर्ता क्रेडिट नोट को स्वीकार नहीं करता है तो इसकी जानकारी सप्लायर को MIS-2 में भेजी जायेगी। यह प्रावधान धारा 43(3) एवं रूल 75 में किया गया है।
धारा 43(5) के प्रावधान के तहत यदि प्राप्तकर्ता उसे स्वीकार नहीं करता है, तो सप्लायर के आऊटपुट टैक्स दायित्व को वापस बढ़ा दिया जायेगा। धारा 43(7) के अनुसार यदि प्राप्तकर्ता धारा 39(9) के तहत उसे ठीक कर देता है तो सप्लायर का आऊटपुट टैक्स दायित्व पुनः कम कर दिया जायेगा।