भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-127) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 127 के अनुसार मूलऋणी के फायदे के लिए की गई कोई भी बात या दिया गया कोई वचन प्रतिभू द्वारा प्रत्याभूति दिए जाने का पर्याप्त प्रतिफल हो सकेगा, जिसे IC Act Section-127 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 127 (Indian Contract Act Section-127) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 127 IC Act Section-127 के अनुसार मूलऋणी के फायदे के लिए की गई कोई भी बात या दिया गया कोई वचन प्रतिभू द्वारा प्रत्याभूति दिए जाने का पर्याप्त प्रतिफल हो सकेगा।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 127 (IC Act Section-127 in Hindi)
प्रत्याभूति के लिए प्रतिफल-
मूलऋणी के फायदे के लिए की गई कोई भी बात या दिया गया कोई वचन प्रतिभू द्वारा प्रत्याभूति दिए जाने का पर्याप्त प्रतिफल हो सकेगा।
दृष्टांत
(क) क से ख माल उधार बेचने और परिदत्त करने की प्रार्थना करता है। क वैसा करने को इस शर्त पर रजामंद हो जाता है कि ग माल की कीमत के संदाय की प्रत्याभूति दे। क के इस वचन के प्रतिफलस्वरूप कि वह माल परिदान करेगा ग संदाय की प्रत्याभूति देता है। यह ग के वचन के लिए पर्याप्त प्रतिफल है।
(ख) ख को क माल बेचता है और परिदत्त करता है । ग तत्पश्चात् क से प्रार्थना करता है कि वह एक वर्ष तक ऋण के लिए ख पर वाद लाने से प्रविरत रहे और वचन देता है कि यदि वह ऐसा करेगा तो ख द्वारा संदाय में व्यतिक्रम होने पर ग उस माल के लिए संदाय करेगा। क यथाप्रार्थित प्रविरत रहने के लिए रजामंद हो जाता है । यह ग के वचन के लिए पर्याप्त प्रतिफल है।
(ग) ख को क माल बेचता और परिदत्त करता है । ग तत्पश्चात् प्रतिफल के बिना करार करता है कि ख द्वारा व्यतिक्रम होने पर वह माल के लिए संदाय करेगा। करार शून्य है।
Indian Contract Act Section-127 (IC Act Section-127 in English)
Consideration for guarantee-
Anything done, or any promise made, for the benefit of the principal debtor, may be a sufficient consideration to the surety for giving the guarantee.
Illustrations
(a) B requests A to sell and deliver to him goods on credit. A agrees to do so, provided C will guarantee the payment of the price of the goods. C promises to guarantee the payment in consideration of A‟s promise to deliver the goods. This is a sufficient consideration for C‟s promise.
(b) A sells and delivers goods to B. C afterwards requests A to forbear to sue B for the debt for a year, and promises that, if he does so, C will pay for them in default of payment by B. A agrees to forbear as requested. This is a sufficient consideration for C‟s promise.
(c) A sells and delivers goods to B. C afterwards, without consideration, agrees to pay for them in default of B. The agreement is void.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 127 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।