कंपनी (Companies) व्यापारिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए एक संगठन, सास्था जिसे कंपनी कहते है। आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि कंपनी किसे कहते है? (What is the Company Called?) और कंपनी की क्या विशेषतायें है? (Companies Features?) और कंपनी के क्या दायित्व है? (What are the Responsibilities of the Company?) कंपनी अधिनियम् 2013 मे कितनी धाराये है (How many sections are there in the Companies Act 2013?) आज हम सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से जानेंगे।
कंपनी (Companies) वह व्यापारिक सास्था, संगठन होती है, जहां किन्ही व्यक्तियों या शेयरधारकों के एक समूह द्वारा लाभ कमाने के उद्देश्य से व्यावसायिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए बनाई गई एक कानूनी संगठनात्मक संरचना है जो व्यक्तियों को सामान्य लक्ष्यों और उद्देश्यों को व्यवसायिक करने का एक स्वरूप देती है, जहां कोई भी व्यक्ति स्वंय मे मालिक नही होता है, केवल नौकर की ही तरह कंपनी मे काम करता है, जिसे लाभ के रूप मे सैलरी एवंम् उसके लाभ का उसकी हिस्सेदारी का हिस्सा दिया जाता है।
IMPORTANT HIGHLIGHT
वह संगठन जहां व्यावसायिक लाभ कमाने के लिये दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य एक कानूनी करार बनाया जाता है। जहां प्रत्येक हिस्सेदार या शेयरधारक के हिस्से के अनुरूप लाभ कमाने एक प्रणाली है। इसके अलावा कई व्यक्ति मिलकर अपने कौशल/प्रतिभा के आधार पर एक निकाय का कानूनी रूप निर्माण कर व्यावसाय करने का लाभ प्रदान करता है, जहां वह निकाय समाज मे आर्थिक विकास मे भी वृद्धि कर सके।
कंपनी किसे कहते है? (What is the company called?)
कंपनी Companies सामान्यतः उस संगठन, सास्था को कहते है, जहां कोई मालिक नही कहलाता है, वह सास्था या संगठन मे केवल नौकर होते है, जो केवल नौकरी की तरह ही काम करते है, मालिक नही कहलाये जा सकते है। क्यो कि कंपनी स्वंय मे एक जिम्मेदार पर्सन की भांति सारे दायित्वों को निभाती है, कंपनी कानूनी वाद-विवाद, दायित्व और किसी सम्पत्ति खरीद इत्यादि सभी अधिकार कंपनी को होता है जैसे किसी साधारण व्यवसाय करने वाले व्यक्ति को। कंपनी वैसे कई प्रकार की भी हो सकती हैं। प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के लिए सदस्यों की संख्या कम से कम दो और अधिकतम 200 तक सीमित है, जबकि पब्लिक लिमिटेड कम्पनी मे ऐसा बिल्कुल भी नही है यहां कम से कम दो और अधिकतम कितनी भी हो सकती है।
कंपनी एक व्यापारिक संगठन/संस्था होती है जो नियमित व्यापारिक गतिविधियों के लिए गठित की जाती है। इसमें दो या अधिक व्यक्ति, संगठन, या संस्था द्वारा संचालित होती है, जिसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है। कंपनी नियमित रूप से वस्तुओं, सेवाओं, उत्पादों या विभिन्न व्यापार गतिविधियों को विकसित, उत्पादित करता है।
कंपनी के प्रकार (Type of Companies)
कंपनियां विभिन्न प्रकार की होती हैं, जो उनके उद्देश्यों, संरचना और स्वामित्व के आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं। यहां कुछ प्रमुख कंपनी जो इस प्रकार हैं:
- संचालनात्मक कंपनी (Operating Company): इस प्रकार की कंपनी मे व्यापार या उत्पादन करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित की जा सकती है। इनमें विभिन्न उद्योगों की कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं जैसे कि विनिर्माण, वित्तीय सेवाएं, खुदरा, वितरण इत्यादि।
- निगमित कंपनी (Incorporated Company): निगमित कंपनी संचालनात्मक कंपनी का ही एक प्रकार है, जहां कम से कम दो संचालक (डायरेक्टर्स) होते हैं जो कंपनी की सभी प्रबंधन और नियंत्रण की जिम्मेदारी लेते हैं। इस प्रकार की कंपनी में स्वामित्व की एक विशेष प्रकृति होती है जिसे शेयर धारकों के माध्यम से भी प्रकट किया जाता है।
- निजी लिमिटेड कंपनी (Private Limited Company): यह एक निगमित कंपनी होती है जिसमें स्वामित्व को सीमित किया जाता है। इस प्रकार की कंपनी में शेयर धारकों के पास सीमित संपत्ति या हिस्सेदारी होती है, जिसके माध्यम से उन्हें कंपनी के लाभ और हक दिए जाते हैं।
- सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी (Public Limited Company): सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी एक ऐसी कंपनी होती है जिसके शेयर सार्वजनिक बाजारों में खरीदे और बेचे जा सकते हैं। ये कंपनियां अपने स्वामित्व को जनता के साथ बांटती हैं और नियमित रूप से निधि इकट्ठा करने के लिए इतने लोगों को संबोधित करती हैं।
- सहकारी कंपनी (Co-operative Company): सहकारी कंपनियां सदस्यों के हितों को संघटित करने के लिए गठित की जाती हैं। इन कंपनियों के सदस्य एक साथ मिलकर कंपनी के संचालन में हिस्सा लेते हैं और उनकी हितों को प्राथमिकता देते हैं। उदाहरण के लिए, किसानों की सहकारी कंपनियां कृषि उत्पादों की खरीदारी और विपणन के लिए गठित की जाती हैं।
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कंपनी के विशेषताये (Company Features)
कंपनी की विशेषताएं विभिन्न हो सकती हैं, लेकिन यहां कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जो कंपनी को परिभाषित करती हैं:
- नियमित संरचना: कंपनी एक नियमित संरचना के अंतर्गत संचालित होती है। इसमें संगठित , प्रबंधन संरचना, निर्णायक मंडल और कार्यकारी अधिकारियों की भूमिका शामिल होती है। यह संरचना कंपनी को सुचारु और सुगठित रूप से संचालित करने में मदद करती है।
- नियमित व्यापार गतिविधियाँ: कंपनी की मुख्य गतिविधि व्यापार होती है, जिसमें उत्पादों, सेवाओं या वस्तुओं को विकसित, उत्पादित और बिक्री किया जाता है। कंपनी उत्पादों या सेवाओं के वितरण, खरीद, बिक्री, मार्केटिंग और आपूर्ति शामिल गतिविधियों को संचालित कर सकती है।
- स्वामित्व और नियंत्रण: कंपनी में स्वामित्व एक महत्वपूर्ण पहलू है। निजी कंपनियों में, एक व्यक्ति या समूह को कंपनी की संपत्ति और नियंत्रण करने का हक होता है। सार्वजनिक कंपनियों में, शेयरधारकों को कंपनी के लाभ और हिस्सेदारी का हक प्राप्त होता है।
- आपातकालीनता: कंपनी एक अलग व्यक्तिगत इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त करती है, जिससे उसे अपने स्वयं के नाम से संपत्ति को संचालित करने और संबंधित कानूनी कार्रवाई में समर्थन प्राप्त होता है। कंपनी के अपारदर्शिता, देयता, और स्वावलंबितता की विशेषताओं से विश्वासिता और विश्वास प्राप्त होता है।
- निगमन: कंपनी के व्यापारिक और कानूनी नियमों के अनुसार निगमित होना। यह कंपनी को संपत्ति का व्यवस्थापन करने, निधि इकट्ठा करने, विनिवेश करने, लोन लेने, अदालती कार्रवाई में शामिल होने और अन्य कानूनी और व्यापारिक कार्यों को संचालित करने की अनुमति देता है।
कंपनी के दायित्व (Company’s Liability)
कंपनी में विभिन्न दायित्व हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं:
- शेयरधारकों के प्रति दायित्व: कंपनी के शेयरधारकों के प्रति पहला दायित्व होता है। कंपनी के शेयरधारकों को उनके हिस्सेदारी के अनुसार लाभ, आय, वोटिंग अधिकार और अन्य सुविधाएं प्रदान करने का दायित्व होता है।
- कर्मचारियों के प्रति दायित्व: कंपनी के कर्मचारियों के प्रति दायित्व विभिन्न रूपों में होता है। यह शामिल कर सकता है कर्मचारी के उच्चतम मानकों में वेतन और लाभ, सुरक्षित और स्वस्थ्यपूर्ण कार्यस्थल, कार्यकारी बनाने के अवसर, प्रशिक्षण और विकास के अवसर, और कार्यसंगठन के नियम और नियमों का पालन करना।
- ग्राहकों के प्रति दायित्व: कंपनी के ग्राहकों के प्रति दायित्व होता है उन्हें उत्पादों या सेवाओं की गुणवत्ता, मूल्य, ग्राहक सेवा, संकुचित ग्राहकों की सुरक्षा, उनकी प्राथमिकताओं को पूरा करने का प्रदान करने का दायित्व होता है।
- सामाजिक और पर्यावरणीय दायित्व: कंपनी को सामाजिक और पर्यावरणीय दायित्व का ध्यान रखना चाहिए। यह शामिल करता है समाज में उद्यमीता को प्रोत्साहित करना, कारगर सामाजिक प्रयोजनों का समर्थन करना, विभिन्न सामाजिक कार्यों में सहयोग करना, वातावरणीय संरक्षण के प्रयासों में योगदान करना, और सामाजिक न्याय और जिम्मेदारी के प्रतिबद्धता का पालन करना।
- कानूनी और नियामक दायित्व: कंपनी को कानूनी और नियामक दायित्व का पालन करना होता है। यह शामिल करता है कंपनी के लिए संबंधित कानूनों, नियमों, निर्देशिकाओं और अन्य नियमों का पालन करना, वित्तीय रिपोर्टिंग और खाता प्रबंधन, कानूनी और न्यायिक जिम्मेदारियों को पूरा करना, और सरकारी और निजी निर्देशों का पालन करना।
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कंपनी अधिनियम् 2013 (Companies Act 2013)
कंपनी अधिनियम 2013 (Companies Act 2013) में कुल 470 धाराएं (Sections) हैं। यह अधिनियम भारतीय कंपनियों के गठन, संचालन और अन्य विषयों को नियंत्रित करने के लिए अवधारित किया गया है। इन धाराओं में कंपनी के निर्माण, मेमोरेंडम और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन, शेयरधारकों के अधिकार, निदेशक मंडल, सार्वजनिक और निजी कंपनियों के बीच अंतर, विनियमित बाजार, संचालन मंडल, लेखा-विवरण, उद्यमी गौरव दिन आदि के विषयों पर प्रावधान किया गया है।
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