भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 50 | Indian Contract Act Section 50

 भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-50) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 50 के अनुसार किसी भी वचन का पालन उस प्रकार से और उस समय पर किया जा सकेगा, जिसे वचनग्रहीता विहित या मंजूर करे, जिसे IC Act Section-50 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 50 (Indian Contract Act Section-50) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 50 IC Act Section-50 के अनुसार किसी भी वचन का पालन उस प्रकार से और उस समय पर किया जा सकेगा, जिसे वचनग्रहीता विहित या मंजूर करे।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 50 (IC Act Section-50 in Hindi)

वचनग्रहीता द्वारा विहित या मंजूर किए गए प्रकार से या समय पर पालन-

किसी भी वचन का पालन उस प्रकार से और उस समय पर किया जा सकेगा, जिसे वचनग्रहीता विहित या मंजूर करे ।
दृष्टान्त
(क) ‘क’ का ‘ख’ 2,000 रुपये का देनदार है। ‘क’ चाहता है कि ‘ख’ उस रकम को एक बैंककार ‘ग’ के यहाँ ‘क’ के खाते में जमा करा दे। ‘ख’ का भी ‘ग’ के यहाँ खाता है और वह यह आदेश देता है कि वह रकम उसके खाते में से अन्तरित करके ‘ख’ के नाम जमा कर दी जाए और ‘ग’ ऐसा कर देता है। तत्पश्चात् और उस अन्तरण का ज्ञान ‘क’ को होने से पूर्व ‘ग’ का कारबार बैठ जाता है। ‘ख’ का संदाय ठीक है
(ख) ‘क’ और ‘ख’ परस्पर ऋणी हैं। ‘क’ और ‘ख’ एक मद को दूसरी में से मुजरा करके लेखा का परिनिर्धारण कर | लेते हैं और ऐसे परिनिर्धारण पर जो धन उससे शोध्य बाकी निकलता है उसे ‘क’ को ‘ख’ देता है। यह ‘क’ और ‘ख’ द्वारा एक-दूसरे को देय राशियों का संदाय क्रमशः एक-दूसरे को हो जाता है।
(ग) ‘क’ का ‘ख’ 2,000 रुपये का देनदार है। उस ऋण में कमी करने के लिए ‘ख’ का कुछ माल ‘क’ प्रतिग्रहित करता है। माल के परिदान से भागित संदाय हो जाता है। 
(घ) ‘क’ यह चाहता है कि ‘ख’, जो उसे 100 रुपये का देनदार है, उसे डाक द्वारा 100 रुपये का नोट भेजे। जैसे ही ‘ख’ उस नोट सहित चिट्ठी को, जिस पर ‘क’ का पता सम्यक् रूप से लिखा है, डाक में डालता है वैसे ही ऋण का सम्मोचन हो जाता है।

Indian Contract Act Section-50 (IC Act Section-50 in English)

Performance in manner or at time prescribed or sanctioned by promisee-

The performance of any promise may be made in any manner, or at any time which the promisee prescribes or sanctions.
Illustrations
(a) Bowes A 2,000 rupees. A desires B to pay the amount to A’s account with C, a banker. B, who also banks with C, orders the amount to be transferred from his account to A’s credit, and this is done by C. Afterwards, and before A knows of the transfer, C fails. There has been a good payment by B.
(b) A and B are mutually indebted. A and B settle an account by setting off one item against another, and B pays A the balance found to be due from him upon such settlement. This amounts to a payment by A and B, respectively, of the sums which they owed to each other.
(c) A owes B 2,000 rupees. B accepts some of A’s goods in reduction of the debt. The delivery of the goods operates as a part payment,
(d) A desires B, who owes him Rs.100, to send him a note for Rs.100 by post. The debt is discharged as soon as B puts into the post a letter containing the note duly addressed to A

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 50 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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