भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-148) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 148 के अनुसार “उपनिधान” एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को किसी प्रयोजन के लिए इस संविदा पर माल का परिदान करना है कि जब वह प्रयोजन पूरा हो जाए तब वह लौटा दिया जाएगा; या उसे परिदान करने वाले व्यक्ति के निदेशों के अनुसार अन्यथा व्ययनित कर दिया जाएगा। माल का परिदान करने वाला व्यक्ति “उपनिधाता” कहलाता है । वह व्यक्ति, जिसको वह परिदत्त किया जाता है “उपनिहिती” कहलाता है, जिसे IC Act Section-148 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 148 (Indian Contract Act Section-148) का विवरण
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 148 IC Act Section-148 के अनुसार “उपनिधान” एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को किसी प्रयोजन के लिए इस संविदा पर माल का परिदान करना है कि जब वह प्रयोजन पूरा हो जाए तब वह लौटा दिया जाएगा; या उसे परिदान करने वाले व्यक्ति के निदेशों के अनुसार अन्यथा व्ययनित कर दिया जाएगा। माल का परिदान करने वाला व्यक्ति “उपनिधाता” कहलाता है । वह व्यक्ति, जिसको वह परिदत्त किया जाता है “उपनिहिती” कहलाता है।
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 148 (IC Act Section-148 in Hindi)
“उपनिधान”, “उपनिधाता” और “उपनिहिती की परिभाषा-
“उपनिधान” एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को किसी प्रयोजन के लिए इस संविदा पर माल का परिदान करना है कि जब वह प्रयोजन पूरा हो जाए तब वह लौटा दिया जाएगा; या उसे परिदान करने वाले व्यक्ति के निदेशों के अनुसार अन्यथा व्ययनित कर दिया जाएगा। माल का परिदान करने वाला व्यक्ति “उपनिधाता” कहलाता है । वह व्यक्ति, जिसको वह परिदत्त किया जाता है “उपनिहिती” कहलाता है।
स्पष्टीकरण–यदि वह व्यक्ति, जो किसी अन्य के माल पर पहले से ही कब्जा रखता है, उसका धारण उपनिहिती के रूप में करने की संविदा करता है तो वह् तद्द्वारा उपनिहिती हो जाता है और माल का स्वामी उसका उपनिधाता हो जाता है यद्यपि वह माल उपनिधान के तौर पर परिदत्त न किया गया हो।
Indian Contract Act Section-148 (IC Act Section-148 in English)
“Bailment” “bailor” and “bailee” defined”-
A “bailment” is the delivery of goods by one person to another for some purpose, upon a contract that they shall, when the purpose is accomplished, be returned or otherwise disposed of according to the directions of the person delivering them. The person delivering the goods is called the “bailor”. The person to whom they are delivered is called, the “bailee”.
Explanation.—If a person already in possession of the goods of another contracts to hold them as a bailee, he thereby becomes the bailee, and the owner becomes the bailor of such goods, although they may not have been delivered by way of bailment.
हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 148 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।