भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 74 | Indian Contract Act Section 74

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-74) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 74 के अनुसार जबकि कोई संविदा-भंग कर दी गई है, तब, यदि उस संविदा में ऐसी कोई राशि नामित हो जो ऐसे भंग की अवस्था में संदेय होगी या यदि शास्ति के तौर का कोई अन्य अनुबंध उस संविदा में अंतर्विष्ट हो तो चाहे यह साबित किया गया हो या नहीं कि उस भंग से वस्तुतः नुकसान या हानि हुई है, भंग का परिवाद करने वाला पक्षकार उस पक्षकार से जिसने संविदा भंग की है, यथास्थिति, ऐसी नामित रकम से या अनुबद्ध शास्ति से अनधिक युक्तियुक्त प्रतिकर पाने का हकदार होगा, जिसे IC Act Section-74 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 74 (Indian Contract Act Section-74) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 74 IC Act Section-74 के अनुसार जबकि कोई संविदा-भंग कर दी गई है, तब, यदि उस संविदा में ऐसी कोई राशि नामित हो जो ऐसे भंग की अवस्था में संदेय होगी या यदि शास्ति के तौर का कोई अन्य अनुबंध उस संविदा में अंतर्विष्ट हो तो चाहे यह साबित किया गया हो या नहीं कि उस भंग से वस्तुतः नुकसान या हानि हुई है, भंग का परिवाद करने वाला पक्षकार उस पक्षकार से जिसने संविदा भंग की है, यथास्थिति, ऐसी नामित रकम से या अनुबद्ध शास्ति से अनधिक युक्तियुक्त प्रतिकर पाने का हकदार होगा।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 74 (IC Act Section-74 in Hindi)

जहां कि शास्ति का अनुबंध है वहां संविदा भंग के लिए प्रतिकर-

जबकि कोई संविदा-भंग कर दी गई है, तब, यदि उस संविदा में ऐसी कोई राशि नामित हो जो ऐसे भंग की अवस्था में संदेय होगी या यदि शास्ति के तौर का कोई अन्य अनुबंध उस संविदा में अंतर्विष्ट हो तो चाहे यह साबित किया गया हो या नहीं कि उस भंग से वस्तुतः नुकसान या हानि हुई है, भंग का परिवाद करने वाला पक्षकार उस पक्षकार से जिसने संविदा भंग की है, यथास्थिति, ऐसी नामित रकम से या अनुबद्ध शास्ति से अनधिक युक्तियुक्त प्रतिकर पाने का हकदार होगा।
स्पष्टीकरण-व्यतिक्रम की तारीख से वर्धित ब्याज के लिए अनुबंध शास्ति के तौर का अनुबंध हो सकता है।]
अपवाद–जब कि कोई व्यक्ति कोई जमानतनामा, मुचलका या उसी प्रकृति की अन्य लिखत करता है, अथवा किसी विधि के उपबंधों के अधीन, या केन्द्रीय सरकार] के या किसी राज्य सरकार के आदेशों के अधीन कोई बंधपत्र किसी लोक कर्तव्य के या ऐसे कार्य के, जिसमें जनता हितबद्ध हो, पालन के लिए देता है, तब वह किसी ऐसी लिखत की शर्त के भंग होने पर उसमें वर्णित संपूर्ण राशि देने के लिए दायी होगा।
स्पष्टीकरण-वह व्यक्ति जो सरकार से कोई संविदा करता है तदद्वारा आवश्यकतः न तो किसी लोक-कर्तव्य का भार लेता है न ऐसा कार्य करने का वचन देता है जिसमें जनता हितबद्ध हो ।
दृष्टांत
(क) ख से क संविदा करता है कि यदि वह ख को एक निर्दिष्ट दिन 500 रुपए देने में असफल रहे तो वह ख को, 1,000 रुपए देगा। क उस दिन ख को 500 रुपए देने में असफल रहता है। क से ख 1,000 रुपए से अनधिक ऐसा प्रतिकर, जो न्यायालय युक्तियुक्त समझे, वसूल करने का हकदार है।
(ख) ख से क संविदा करता है कि यदि क कलकत्ते के भीतर शल्य-चिकित्सक के रूप में व्यवसाय करेगा तो वह ख को 5,000 रुपए देगा। क कलकत्ते में शल्य चिकित्सक के रूप में व्यवसाय करता है। ख 5,000 रुपए से अनधिक उतना प्रतिकर पाने का हकदार है जितना न्यायालय युक्तियुक्त समझे।
(ग) क अमुक दिन न्यायालय में स्वयं उपसंजात होने के लिए मुचलका देता है जिससे ऐसा न करने पर वह 500 रुपए की शास्ति देने के लिए आबद्ध है। उसका मुचलका समपहृत हो जाता है। यह सम्पूर्ण शास्ति देने का दायी है।
(घ) ख को क छह मास के अंत पर 1,000 रुपए 12 प्रतिशत ब्याज के सहित संदाय करने का बंधपत्र इस अनुबंध के साथ लिख देता है कि व्यतिक्रम की दशा में ब्याज व्यतिक्रम की तारीख से 75 प्रतिशत की दर से देय होगा। यह शास्ति के तौर का अनुबंध है और क से ख केवल ऐसा प्रतिकर वसूल करने का हकदार है जो न्यायालय युक्तियुक्त समझे।
(ङ) क, जो एक साहूकार ख को धन का देनदार है, यह वचनबंध करता है कि वह उसको अमुक दिन 10 मन अनाज परिदत्त करने द्वारा प्रतिसंदाय करेगा और यह अनुबंध करता है कि यदि वह नियत परिणाम नियत तारीख तक परिदत्त न करे तो वह 20 मन परिदान करने का दायी होगा। यह शास्ति के तौर का अनुबंध है और भंग की दशा में ख केवल युक्तियुक्त प्रतिकर का ही हकदार है।
(च) ख को क, 1,000 रुपए के उधार को पांच मासिक सम किस्तों में प्रतिसंदत्त करने के लिए इस अनुबंध के साथ बचनबद्ध होता है कि किसी किस्त के संदाय में व्यतिक्रम होने पर संपूर्ण राशि शोध्य हो जाएगी। यह अनुबंध शास्ति के तौर का नहीं है, और संविदा उसके निबंधनों के अनुसार प्रवर्तित कराई जा सकेगी।
(छ) ख से क 100 रुपए उधार लेता है और 200 रुपए के लिए बंधपत्र जो चालीस रुपए की पांच वार्षिक किस्तों में देय है. इस अनुबंध के साथ लिख देता है कि किसी भी किस्त के संदाय में व्यतिक्रम होने पर संपूर्ण राशि शोध्य हो जाएगी। यह शास्ति के तौर का अनुबंध है।

Indian Contract Act Section-74 (IC Act Section-74 in English)

Compensation for breach of contract where penalty stipulated for-

When a contract has been broken, if a sum is named in the contract as the amount to be paid in case of such breach, or if the contract contains any other stipulation by way of penalty, the party complaining of the breach is entitled, whether or not actual damage or loss is proved to have been caused thereby, to receive from the party who has broken the contract reasonable compensation not exceeding the amount so named or, as the case may be, the penalty stipulated for.
Explanation.—A stipulation for increased interest from the date of default may be a stipulation by way of penalty.]
Exception.—When any person enters into any bail-bond, recognizance or other instrument of the same nature, or, under the provisions of any law, or under the orders of the 2[Central Government] or of any 3[State Government], gives any bond for the performance of any public duty or act in which the public are interested, he shall be liable, upon breach of the condition of any such instrument, to pay the whole sum mentioned therein.
Explanation.—A person who enters into a contract with Government does not necessarily thereby undertake any public duty, or promise to do an act in which the public are interested.
Illustrations
(a) A contracts with B to pay B Rs. 1,000, if he fails to pay B Rs. 500 on a given day. A fails to pay B Rs. 500 on that day. B is entitled to recover from A such compensation, not exceeding Rs. 1,000, as the Court considers reasonable.
(b) A contracts with B that, if A practises as a surgeon within Calcutta, he will pay B Rs. 5,000. A practises as a surgeon in Calcutta. B is entitled to such compensation; not exceeding Rs. 5,000, as the Court considers reasonable.
(c) A gives a recognizance binding him in a penalty of Rs. 500 to appear in Court on a certain day. He forfeits his recognizance. He is liable to pay the whole penalty.
(d) A gives B a bond for the repayment of Rs. 1,000 with interest at 12 per cent. at the end of six months, with a stipulation that, in case of default, interest shall be payable at the rate of 75 per cent. from the date of default. This is a stipulation by way of penalty, and B is only entitled to recover from A such compensation as the Court considers reasonable.
(e) A, who owes money to B a money-lender, undertakes to repay him by delivering to him 10 maunds of grain on a certain date, and stipulates that, in the event of his not delivering the stipulated amount by the stipulated date, he shall be liable to deliver 20 maunds. This is a stipulation by way of penalty, and B is only entitled to reasonable compensation in case of breach.
(f) A undertakes to repay B a loan of Rs. 1,000 by five equal monthly instalments, with a stipulation that in default of payment of any instalment, the whole shall become due. This stipulation is not by way of penalty, and the contract may be enforced according to its terms.
(g) A borrows Rs. 100 from B and gives him a bond for Rs. 200 payable by five yearly instalments of Rs. 40, with a stipulation that, in default of payment of any instalment, the whole shall become due. This is a stipulation by way of penalty.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 74 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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